ज्ञानेन्द्र रावत : पर्यावरण के सच्चे योद्धा और पर्यावरणीय चेतना के प्रतीक

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जीवन परिचय:

श्री ज्ञानेंद्र रावत जी, एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और समर्पित संरक्षणवादी हैं जिन्होंने अपने जीवन को पेड़ों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया है। उनका अथक प्रयास और अटूट संकल्प हमें दिखाता है कि एक व्यक्ति का योगदान कितनी बड़ी पर्यावरणीय क्रांति ला सकता है।

प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा  :

श्री ज्ञानेंद्र रावत का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश के एटा जिले के एक शिक्षक माता-पिता के परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री राम स्वरूप सिंह रावत हैडमास्टर थे और माता श्रीमती सरस्वती देवी स्थानीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या इंटर कालेज में भूगोल की अध्यापिका थीं। श्री रावत ने राजकीय इंटर कालेज एटा से इंटर करने के बाद मध्य प्रदेश के सागर विश्व विद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। वहाँ अध्ययन के साथ-साथ उन्होंने प्रकृति के निकट रहकर उसके महत्व को गहराई से समझा। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के परिणाम स्वरूप वनों की घटती तादाद के कारण हो रहे पर्यावरणीय दुष्प्रभावों को देखकर वे बहुत प्रभावित हुए। इन समस्याओं को देखकर ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।

महत्वपूर्ण पहल और अभियान:

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल श्री ज्ञानेन्द्र रावत को सम्मानित करते हुए।


श्री रावत ने वृक्षारोपण अभियानों  के तहत देश भर में लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया। नतीजतन जिससे न केवल पर्यावरण संरक्षण में लाभ मिला, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र भी पुनर्जीवित हुआ। उन्होंने वनों की कटाई के विरोध में चलाये विशेष कार्यक्रमों और अभियानों में हिस्सा लिया तथा सरकारी अधिकारियों और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर वन संरक्षण व जल संरक्षण की दिशा में समाचार पत्रों में लिखे लेखों के माध्यम से जन-जागरण का महत्वपूर्ण कार्य किया। श्री रावत ने अपने अभियानों में स्थानीय समुदायों को सक्रिय भागीदार बनाया। उन्होंने स्कूलों, कॉलेजों और स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया। उनकी मेहनत से लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी और उन्होंने  इस मुहिम में बढ़-चढ़कर भागीदारी भी की।
विश्व पर्यावरण कान्फ्रेंस में मेजर जनरल डा. एस. पाल श्री रावत को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करते हुए।

उनके अथक प्रयासों ने पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री रावत कहते हैं कि मुझे इस क्षेत्र में पर्यावरण के गांधी के रूप में विख्यात पर्यावरणविद परमादरणीय श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी, चिपको आंदोलन के नेता प्रख्यात पर्यावरणविद श्री चंडी प्रसाद भट्ट जी, देश-दुनिया को जल संचय के ज्ञान की विधा को बताने वाले बडे़ भाई श्री अनुपम मिश्र जी का आशीर्वाद और मार्गदर्शन व पद्मविभूषण एवं जाने-माने पर्यावरण विज्ञानी डा० अनिल प्रकाश जोशी जी व मैग्सैसे से सम्मानित भाई श्री राजेन्द्र सिंह जी का सहयोग-समर्थन मेरे लिए ईश्वरीय वरदान से कम नहीं है। इस हेतु मैं उनका आजीवन ऋणी रहूंगा। 

झारखण्ड के बरहरवा में सिद्धू-कान्हू विश्व विद्यालय के कुलपति डा. विमल प्रसाद सिंह श्री रावत को राष्ट्र गौरव सम्मान से सम्मानित करते हुए।


सम्मान और पुरस्कार :

प्रख्यात क्रांतिकारी तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान से श्री ज्ञानेन्द्र रावत को सम्मानित करती हुयीं प्रख्यात गांधीवादी बहन राधा भट्ट एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री दुष्यंत गौतम।

श्री ज्ञानेंद्र रावत जी को पर्यावरण के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनमें गंगा सेवा सम्मान, नदी-जल संरक्षण सम्मान, जल संरक्षक सम्मान, महेश गुप्ता स्मृति सृजन सम्मान, सुंदर लाल बहुगुणा स्मृति सम्मान, अनुपम मिश्र स्मृति पर्यावरण पुरस्कार, तिलका मांझी स्मृति सम्मान, अमर शहीद भगवान बिरसा मुंडा स्मृति अंतर्राष्ट्रीय सम्मान,  जे पी सेनानी सम्मान, राष्ट्रीय लोकनायक जय प्रकाश नारायण अवार्ड, ग्लोबल इनवायरमेंट अचीवमेंट अवार्ड, नेशनल ग्रीन अवार्ड,  ट्राई फार हैल्प आईकान अवार्ड, ग्रीन इंडिया अवार्ड, पर्यावरण रत्न सम्मान, पर्यावरण भूषण सम्मान, पर्यावरण विभूषण सम्मान, समाज रत्न जल संरक्षण सम्मान, महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान, गणेश शंकर विद्यार्थी राष्ट्रीय स्मृति सम्मान, राष्ट्र रत्न सम्मान, अमृता देवी स्मृति राष्ट्र रत्न सम्मान, इनवायरमेंट एक्सीलेंसी अवार्ड, सोशल वारियर अवार्ड, नेशनल आईकान अवार्ड, महात्मा गांधी मैमोरियल अवार्ड, इनवायरमेंट वारियर अवार्ड आफ दी ईयर 2024, बाबा आमटे मैमोरियल अवार्ड 2025 एवं भारत भूमि रक्षक अवार्ड 2025 आदि प्रमुख हैं। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनका कार्य समूचे देश में एक प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। 

जे पी नेशनल अवार्ड से श्री ज्ञानेन्द्र रावत को सम्मानित करते केन्द्रीय मंत्री श्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय, गोवा की राज्यपाल डा. मृदुला सिन्हा एवं सिक्किम के राज्यपाल डा. बाल्मीकी प्रसाद सिंह।

विश्व पर्यावरण कान्फ्रेंस में पर्यावरण भूषण सम्मान से सम्मानित करते प्रख्यात गांधीवादी, समाज सेवी डा. एस.एन. सुब्बाराव एवं चिपको आंदोलन के प्रणेता प्रख्यात पर्यावरणविद श्री चंडीप्रसाद भट्ट।

मैग्सैसे से सम्मानित पर्यावरणविद जलपुरुष श्री राजेन्द्र सिंह के साथ।

वर्ल्ड इनवायरमेंट कांफ़्रेंस में प्रख्यात पर्यावरणविद गांधीवादी श्री चंडी प्रसाद भट्ट से चर्चा करते हुए।


प्रेरणा और प्रभाव  :

श्री ज्ञानेंद्र रावत जी के जीवन की प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि एक व्यक्ति का दृढ़ संकल्प और समर्पण बड़े पैमाने पर परिवर्तन ला सकता है। उनकी पहल हमें यह समझने में मदद करती है कि पेड़ों और पर्यावरण की सुरक्षा हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है। उनके प्रति हमारा अटूट सम्मान और कृतज्ञता हमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए सदैव प्रेरित करता रहेगा।

बिहार के सिवान में बिहार के पुलिस महानिदेशक डा. गुप्तेश्वर पांडेय, बिहार के मंत्री श्री अवध बिहारी चौधरी एवं गांधीवादी डा. एस. एन. सुब्बाराव से पर्यावरण रत्न सम्मान ग्रहण करते हुए।

प्रख्यात पर्यावरणविद श्री सुंदर लाल बहुगुणा के साथ।


प्रख्यात पर्यावरणविद, हेस्को के संस्थापक पद्मविभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी के साथ

अनेकों सम्मानों-पुरस्कारों से सम्मानित श्री ज्ञानेंद्र रावत जी को विगत वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर नौएडा में आयोजित वर्ल्ड इनवायरमेंट कांफ़्रेंस में प्रख्यात जल विज्ञानी श्री कृष्ण गोपाल व्यास स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उनका योगदान हमारे समाज और पर्यावरण के लिए अविस्मरणीय है। उनके प्रति हमारा सच्चा सम्मान और आदर हमेशा बना रहेगा।

27 जुलाई 2025 को नयी दिल्ली स्थित इंडिया हैवीटेट सेंटर में आयोजित समारोह में एमिटी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो पी. वी. शर्मा बाबा आमटे मैमोरियल अवार्ड प्रदान करते हुए। साथ में हैं मणिपुर के पूर्व कमिश्नर, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य रहे अमरीक सिंह पाहवा, पीपल मैन फाउंडेशन के डा. रघुराज प्रताप सिंह व पद्मश्री जितेन्द्र सिंह शंटी ( बैठे हुए )।

प्रस्तुति : गगन दीप सिंह