नारी सशक्तिकरण के कितने ही दावे किए जाएं। आज भी नारी सुरक्षित नहीं है। पुरुष प्रधान समाज हर वक्त नारी का अपमान ही करता है। घर हो या कार्य स्थल महिला को यौन उत्पीड़न के साथ-साथ मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया जाता है। बदनामी के डर व परिवार को जोड़े रखने के लिए थाने में भी नहीं जाती हैं। कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न निषेध है इसका कानून भी बना हुआ है। लेकिन त्वरित कार्रवाई नहीं होती है। इसलिए मानसिक यंत्रणा के साथ-साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं भी तेजी से बढ़ती जा रही है। इसका एक मात्र कारण समाज का नैतिक पतन हो चुका है। लेकिन महिलाओं को जागरूक होना होगा उनको आपातकालीन फोन नंबर याद रखना चाहिए और मुसीबत होने पर तत्काल उस नंबर पर कॉल करें वह अपनी लोकेशन भेज दें तो पुलिस आपकी मदद जरूर करेगी।
कई बार महिलाओं को पता ही नहीं होता कि वह कानूनी रूप से भी अपना बचाव कर सकती हैं और कानून बने हुए हैं। गैर सरकारी संगठनों का समर्थन व संकट के समय नारी को वित्तीय सहायता भी मिलनी चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर अपना बचाव स्वयं करें किसी भी असुरक्षित स्थान पर नहीं जाएं। सामाजिक स्तर पर भी प्रयास करने होंगे देश व समाज की सामूहिक व नैतिक जिम्मेदारी है कि समाज में ऐसा वातावरण बनाएं कि महिलाओ को सम्मानजनक स्थान मिले।
राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं कि यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा व मानसिक प्रताड़ना की शिकायतों को दर्ज करने में मदद करता है। डरे नहीं किसी भी परिस्थिति में हो डटकर मुकाबला करें। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।