स्थाई लोक अदालत द्वारा बोर्ड का गठन कर एक माह में रिपोर्ट तलब की गई

अरशद शाहीन 

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टोंक। स्थाई लोक अदालत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण टोंक के निर्देशानुसार बैठक में प्रकरणों पर सुनवाई कर आदेश पारित किये गये। स्थाई लोकअदात के समक्ष लंबित प्रकरण संख्या 07/2019 शाहिदा बानो बनाम सुनिता राजोरा के प्रकरण में परिवादिया द्वारा परिवाद पेश कर निवेदन किया गया है कि आवेदिका गर्भवती होने के उपरान्त डॉक्टर सुनिता राजोरा से परामर्श पर गर्भवस्था अवधि में उनके द्वारा लिखी गई दवाई का सेवन किया व प्रसव होने तक डॉक्टर राजोरा द्वारा बताया अनुसार दवा सेवन व व्यवहार करती रही। बाद में डॉक्टर ने सामान्य प्रसव नहीं करवाकर जानबूझकर उतावलेपन में सीजेरियन कर दिया तथा बच्चेदानी को समुचित रूप से हैण्डल न कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। जिसके कारण परिवादिया को लगातार पेट दर्द रहा। जिसकी शिकायत डॉक्टर राजोरा को करने के उपरान्त भी उन्होंने इसे सामान्य घटना बताया और दो-तीन दिन में ठीक हो जाने के बारे में बताया और आवेदिका को डिस्चार्ज कर दिया गया। 

शाहिदा बानो को लगातार असहनीय पेट दर्द होने के कारण डॉक्टर सुषमा अग्रवाल, अग्रवाल अस्पताल टोंक में लेकर गये जहॉ डॉक्टर ने सम्पूर्ण चैक कर व सोनोग्राफी कर ऑपरेशन बिगड़ जाना और पेट में मवाद व बल्ड क्लोक्टस जमा होना बताया गया। डॉक्टर ने तुरन्त ऑपरेशन किया जाना जो जयपुर के किसी बडे अस्पताल में ही होना कथन किया तथा यह भी बताया कि परिवादिया के शरीर को भयंकर हानि होने की अशंका जताई। इस पर परिवादिया ने डॉक्टर सुनिता राजोरा से सम्पर्क कर जांच व रिपोर्टस दिखाई तो उन्होंने आवेदिका और उसके पति को डॉट फटकार कर भगा दिया।

परिवादिया का पति परिवादिया को जयपुर के ग्लोबल अस्पताल मालवीय नगर लेकर गया। जहॉ आवेदिका की समस्त जांचे और परीक्षण करवाया गया। वहॉ भी डॉक्टर ने पेट में मवाद व बल्ड क्लोटस हो जाने से ऑपरेशन तुरन्त करना बताया। जिस पर परिवादिया और उसका पति घबरा गये और तुरन्त अपेक्स अस्पताल मालवीय नगर जयपुर में भर्ती करवाया गया। जहॉ बड़ा ऑपरेशन किया गया। ऑपरेश में 40 हजार रूपये, दवाईयों में 20 हजार रूपये तथा अग्रवाल अस्पताल में परामर्श व्यय 10 हजार रूपये, गलोबल अस्पताल जयपुर में जांच एवं सलाह परामर्श हेतु 12 हजार रूपये, टोंक से जयपुर वाहन में 30 हजार रूपये, दैनिक मजदूरी की क्षति 30 हजार रूपये तथा शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक सन्ताप 5 लाख रूपये इस प्रकार कुल 5 लाख 60 हजार रूपये क्षतिपूर्ति की मांग की गई है।

उक्त प्रकरण में स्थाई लोक अदालत के समक्ष विचार विमर्श के पश्चात् प्राचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज कोटा को पत्र लिखकर रिपोर्ट चाही गई है कि उक्त प्रकरण में (अ) प्रस्तुत परिवाद एवं दस्तावेजों के आधार पर इलाज में विपक्षीगण द्वारा असावधानी अथवा लापरवाही बरती गई अथवा नहीं (ब) क्या पीड़िता का वास्तविक रोग समझकर इलाज किया गया ? (स) यदि विपक्षीगण से किसी की उपेक्षा एवं लापरवाही तथा वास्ताविक इलाज करना पाया जाये तो पीड़िता को कितना प्रतिकर दिलवाया जाना उचित होगा ? उक्त तीनो बिन्दुओं पर निष्कर्ष एक माह के भीतर संबंधित चिकित्सकों का बोर्ड बैठाकर रिपोर्ट स्थाई लोक अदालत टोंक में प्रस्तुत करने के निर्देश प्रदान किये गये है। 

इसी प्रकार प्रकरण संख्या 13/2021 लोटन्ती देवी बनाम राजस्थान सरकार, प्रकरण संख्या 07/2020 उर्मिला बनाम राजस्थान सरकार में प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र स्वीकार किये जाकर आदेश दिया गया कि प्रार्थीगण द्वारा 90 दिवस में आवेदन पेश न करने की डिले को कंडोन किया जाकर प्रार्थीगण को निर्देश प्रदान किये कि वह समस्त विभाग के समक्ष नियमानुसार आवेदन पेश करें तथा अप्रार्थीगण आवेदन पेश करने की डिले को कंडोन करते हुए आवेदनों को गुणावगुण पर निस्तारित करें व डिले के आधार पर आवेदन अस्वीकृत न करें। 

इसी प्रकार प्रकरण संख्या 24/2022 उनवान शैतान मीणा बनाम एचडीएफसी व प्रकरण संख्या 17/2017 उनवान कल्पना बनाम आईसीआईसी लोम्बार्ड के प्रकरण में आदेश जारी किये कि बीमा कम्पनी के समक्ष निर्धारित प्रारूप में क्लेम प्रस्तुत करे जिन पर संबंधित बीमा कम्पनी सहानुभूतिपूर्वक विचार कर नियमानुसार निस्तारण करें। विपक्षी की लीगल विंग प्रकरण को नये सिरे से विधि अनुसार निस्तारित करने के निर्देश प्रदान किये गये।

प्रकरण संख्या 10/2021 उनवान चौथमल बनाम जेवीवीएनएल में आदेश पारित किया गया कि विपक्षीगण परिवादी के परिवाद पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उसका 10 दिवस में निस्तारण करें।

प्रकरण संख्या 03/2021 रामजीलाल बनाम राजस्थान राज्य में परिवादी रामजीलाल गुर्जर ग्रमा मण्डावर तहसील टोंक का वरिष्ठ सेवा निवृत व्यक्ति है। जोकि पुलिस विभाग से दिनांक 13.10.2008 को सेवानिवृत्त हुआ था। परिवादी के बाई आंख में तकलीफ थी। इसलिए विपक्षी संख्या 03 आनन्द अस्पताल जयपुर में दिनांक 03.प03.2020 को आडटडोर में दिखाया। चिकित्सक ने ऑख को देखकर दवाई दी व तीन दिन बाद आकर दिखाने के लिए परामर्श दिया गया। जिस पर परिवादी 06.03.2020 को गया तो उसे अस्पताल में भर्ती कर आंख का ऑपेरशन किया गया और दिनांक 07.03.2020 को डिस्चार्ज किया गया। 

परिवादी ने अपनी ऑख के ऑपरेशन तथा इलाज आदि में हुए खर्च की राशि का पेंशनर्स चिकित्सक बिल समस्त दस्जावेजों की पूर्ति करके 14992 रूपये की राशि प्राप्त करने के लिए दिनांक 30.07.2020 को प्रस्तुत किया परन्तु विपक्षी संख्या 02 कोषाधिकारी ने अपने पत्र दिनांक 07.10.2020 के द्वारा परिवादी के बिल को यह आक्षेप लगाकर की ‘‘ प्छश्र ।अेंजपद का मूल बिल संलग्न नहीं होकर छाया प्रति संलग्न है।’’ खारीज कर दिया गया और उक्त चिकित्सक व्यय बिल की राशि अदा नहीं की गई।  

इस पर परिवादी ने विपक्षी कोषाधिकारी से यह निवेदन किया कि विपक्षी संख्या 03 द्वारा दिनांक 06.03.2020 को लाईफ सावेर 168 नेहरू बाजार जयपुर से तीन इन्जेक्शन एक साथ 26785 रूपये में खरीद किये गये थे और बिल अस्पताल के नाम से बनाया  जाने के कारण असल बिल विपक्षी संख्या 03 के पास है। प्रार्थी के उपयोग में लिये गये इन्जेक्शन की किमत 8928 रूपये का अंकन व परिवादी का नाम अंकित करके परिवादी को दिया गया था। और परिवादी ने उक्त बिल अपने चिकित्सक व्यय बिल के साथ संलग्न कर राशि प्राप्त करने हेतु विपक्षी संख्या 01 व 02 के यहॉ पेश किया गया था। असल बिल प्रतिपक्षी संख्या 03 के पास मौजूद है परन्तु विपक्षीगण ने परिवादी के चिकित्सक व्यय बिल का भुगतान नहीं किया व गलत आक्षेप लगाकर बिल को खारीज किया गया है। 

स्थाई लोकअदालत द्वारा प्रकरण के तथ्यों व पत्रावली पर उपलब्ध रिकॉर्ड का विवेचन किया गया। एवं परिवादी के परिवाद को स्वीकार किया जाकर विपक्षी संख्या 02 कोषाधिकारी कोषालय टोंक को निर्देशित किया गया कि वे परिवादी द्वारा प्रस्तुत क्लेम की राशि में से 8928 रूपये की राशि पुनर्भरण परिवादी को एक माह के भीतर निर्धारित औपचारिकताए पूर्ण करने के उपरान्त करें। परिवादी विपक्षीगण विपक्षी संख्या 01 व 02 से 1100 रूपये परिवादी खर्च भी प्राप्त करने का हकदार है।