जयपुर। सहायता संस्था द्वारा सांगानेर सदर में जीवन रक्षा जागरूकता कार्यक्रम करवाया गया। प्रशिक्षण के दौरान एसीपी डॉ संध्या, सहायता की चेयर पर्सन डॉ माया टंडन, सहायता के कार्यक्रम समन्वयक उदयवीर सिंह, थाना प्रभारी आशुतोष, एचएम जयसिंह सहित समस्त थाना स्टाफ, संगानेर रिको स्टाफ, सुरक्षा सखी, पुलिस मित्र व अन्य लोग भारी मात्रा में उपस्थित रहे। डॉ. माया टंडन ने बताया की सहायता का बेसिक लाइफ सेविंग कोर्स इस पर निर्भर है कि दुर्घटनास्थल पर तुरंत 10 सेकंड में सिर से पैर तक सरसरी निगाह डालकर एक आम नागरिक किस तरह जान बचाने में सक्षम हो सकता है के बारे में जागरूकता दी। करीब तीन दशक से आम जनता तक पहुंच कर पूरे राजस्थान में जागरूकता अभियान चलाने में हमारी संस्था अग्रणी रही है। इस प्रशिक्षण में जानकारी दी गई कि तुरंत एंबुलेंस को बुलाने के लिए 108,104,112 व हाईवे पर 1033 संपर्क किया जा सकता है साथ ही बताया कि हमारे शरीर के तीन प्रमुख अंग हृदय, मस्तिष्क व फेफड़े हैँ जिसके द्वारा जीवन नियमित गति से संचालित होता रहता है।
कार्यक्रम समन्वयक सहायता उदयवीर सिंह ने बताया की दुर्घटना में अधिक खून बह जाय व दिल का दौरा पड़ जाए तो जीवन समाप्त होने की सम्भावना बढ़ जाती है क्योकि मस्तिष्क 3 से 5 मिनिट से ज्यादा ऑक्सीजन की कमी को बर्दाश्त नहीं कर पाता। इसलिये यदि दिल व फेफड़े काम करना बंद कर दें तो तुरंत सीपीआर करना चाहिए। छाती में असहनीय पीड़ा, उल्टी होना व चक्कर आना हार्ट अटैक के लक्ष्ण होते हैँ जिसे समय रहते पहचानना आवश्यक है। तुरंत जुबान के नीचे Sublingual Isordil 5 mg की गोली रखना व साथ-साथ एक घूंट पानी में Disprin 325 या 350 मिलीग्राम की गोली लेने से हार्ट अटैक का मरीज अस्पताल पहुंचकर जान बचाने सक्षम हो सकता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये दवाइयां अपने साथ लेकर चले तो घर, सड़क या ऑफिस- कहीं पर भी जान बचाई जा सकती है। असहनीय पीडा होने के साथ-साथ उल्टी होना, आंख के सामने अंधेरा आ जाना व बाए हाथ की तरफ दर्द जाना के साथ "मैं तो गयो" यानि अब मैं नहीं बच सकूंगा कहकर वो अपनी असहायता व्यक्त करना चाहता है। सही समय पर उपचार देने से कई व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है।
सहायता ट्रस्टी डॉ माया टंडन ने बताया कि American Heart Association (AHA) व यूरोपियन रिससिटेशन काउंसिल (ERC) का मानना है कि CPR की आवश्यकता पड़ने पर दिल पर दबाव के साथ साथ मुंह से मुंह लगाकर श्वास देना अनिवार्य है परन्तु 2017 में Indian Resuscitation Council, जो भारत की मान्यता प्राप्त संस्था है- उसके द्वारा यह निर्णय लिया गया कि हमारी जनता सिर्फ दिल पर 120 बार सही तरीके से स्टरनम हड्डी पर निरंतर दबाव देते रहे तो जान बच सकती है जिसको उन्होंने Compression Only Life Support (कंप्रेशन ओनली लाइफ सपोर्ट) यानि (COLS) का नाम दिया। Good Samaritan Law (भला नागरिक) के अधिकार व मुख्यमंत्री चिरनजीवी जीवन रक्षा योजना के बारे मे भी जानकारी दी गई की किस प्रकार वो किसी की जान बचाने के साथ साथ प्रोत्साहन राशि व प्रशस्ति पत्र प्राप्त कर सकता है।