पीड़िता के विरोधाभाषी बयान व कथन का भी मिला लाभ
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। जिला एवं सैशन न्यायाधीश क्रम संख्या दो नीरज भामू ने गैंगरेप के आरोप से दो सगे भाइयों को संदेह का लाभ देते हुए आईपीसी की धारा 366, 498, 376 डी के आरोप से दोष मुक्त घोषित किया। दोषमुक्त हुए आरोपी छोटूराम पुत्र रामदेव उम्र 40 वर्ष व हनुमान पुत्र रामदेव उम्र 52 वर्ष निवासी इंदरगढ़ थाना जोबनेर जिला जयपुर के रहने वाले है। पीड़िता के पति की ओर से थाना जोबनेर में 4 साल पहले पत्नी की गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज करवाया गया था। मुकदमा दर्ज होने के 4 दिन बाद दी पुलिस की मदद से परिवादिया को ढूंढकर उसके पति के सुपुर्द कर दिया गया था। न्यायालय में अभियुक्तगण के वकील राजेंद्र कुमार चोपड़ा ने तर्क रखा कि परिवादिया ने स्पष्ट रुप से यह स्वीकार किया है कि उसके पति ने ही यह केस करवाया और उसके कहने पर ही ऐसे बयान देने के लिए कहा था। गवाहों और दस्तावेजी साक्ष्य से कहीं भी पीड़िता के साथ में बलात्कार जैसी घटना हुई हो के कोई कथन नहीं किये है और न ही दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर यह जाहिर होता है कि पीड़िता के साथ में बलात्कार हुआ है इसलिए आरोपियों को दोषमुक्त किया जाए।
अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में बताया कि इस मामले में परिवादिया मय चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज कराए हैं और मामूली विरोधाभास को छोड़ते हुए परिवादिया ने अभियुक्तगण के द्वारा उसके साथ में दुष्कर्म करना जाहिर किया है और उसके पुत्र को मारने की धमकी देकर उसके साथ में दोनों अभियुक्तगण ने मिलकर बलात्कार किया है। अतः अभियुक्तगण को दोष सिद्ध करने का अभियोजन पक्ष की ओर से तर्क रखा गया। न्यायाधीश ने फैसले में लिखा है कि परिवादिया के बयान और उसके कथन अपने आप में अत्यंत विरोधाभाषी रहे हैं। परिवादिया के शरीर पर संघर्ष का कोई भी निशान नहीं पाया गया न ही कोई आंतरिक अंगों पर कोई क्षति पाई गई है। अभियुक्तगण की ओर से जो तथ्य बताए गए हैं वे विश्वसनीय हो सकते हैं अतः अभियुक्तगण को संदेह का लाभ दिया जाकर दोषमुक्त किया जाता है।