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डाॅ. शालिनी यादव अंग्रेजी की प्रोफेसर और द्विभाषी कवयित्री है। उन्हें भारत, लीबिया और सऊदी अरब में विश्वविद्यालय स्तर पर सौलह साल का प्रगतिशील शिक्षण अनुभव प्राप्त है।अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संदर्भित पत्रिकाओं और संकलनों में समय समय पर डाॅ यादव के अंग्रेजी भाषा और साहित्य पर शोध लेख प्रकाशित होते रहते है। इसके अलावा अब तक वह शोध पत्रों के चार संकलन Reconnoitering Post colonial Literature (2022), Emerging Psyche of Indian Woman: A Feminist Perspective (2022), On the Wings of Life: Women Writing Womanhood (2021) संपादित कर चुकी हैं।
सम्पादन कार्य मे विशेष अभिरुचि के तहत डाॅ यादव कई देशों की अन्तर्राष्ट्रीय ई-पत्रिकाओं के सम्पादकीय दल की सदस्य भी है। वह विभिन्न अंग्रेजी साहित्य और काव्य से सम्बंधित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुहों और संगठनों से भी जुड़ी हुई है। समय समय पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले काव्य पाठन महोत्सवों में भी अपनी कविताओं का पठन करती रहती है।
एक कविता
हर मुमकिन कोशिश के बाद
जब पा ना सकी
मैं तुम्हारा प्रेम
तब बैठ एक बगिया में
उदास
गम की चादर बिछाए
सुरज की ढलती लालिमा ओढ़े
गुलमोहर की छांव तले
और गहराती रात में
चाँदनी के सफेद पन्नों पर
महकते गुलाब की पंखुड़ियों जैसे
नाजुक एहसासों से
लिखी एक कविता
उड़ते हंसों के जोड़े की
लयबद्ध उड़ान सी पंक्तियाँ
चाँद से ठिठोली करती
और सितारों की झिलमिल रोशनी में
अपनी दीवानगी की दास्तां
बयां करती मेरी कविता...
हर शब्द को लिखा मैनें
अपने प्रेम की नदियां में डुबोकर
पर तुम कितने अभागे निकले
जो एहसासों को महसूस न कर सके
न समझ पाए कभी
कैसे पागल मन
पीड़ा छुपाने को
लिखता है एक कविता
अकेलेपन में
फिर सोचती हूँ अभागी तो मैं हूँ
जो हर मुमकिन कोशिश के बावजूद
ना पा सकी तुम्हारा प्रेम
तुम तो भाग्यशाली हो
चाँद-सितारे
पेड़-पौधें
नदियां-झरने
सांझ-सवेरे
सब तुमसे कितना प्रेम करते हैं
जो जुट जाते हैं मेरे संग
लिखने एक प्रेम कविता
तुम्हारे लिए...