संत कवि गोस्वामी तुलसीदास जयंती समारोह

डॉ कमलेश मीना

सहायक क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, इग्नू क्षेत्रीय केंद्र जयपुर राजस्थान। इग्नू क्षेत्रीय केंद्र जयपुर, 70/80 पटेल मार्ग, मानसरोवर, जयपुर, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार।

एक शिक्षाविद्, स्वतंत्र सोशल मीडिया पत्रकार, स्वतंत्र और निष्पक्ष लेखक, मीडिया विशेषज्ञ, सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक, वैज्ञानिक और तर्कसंगत वक्ता, संवैधानिक विचारक और कश्मीर घाटी मामलों के विशेषज्ञ और जानकार।

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‘तुलसी’ काया खेत है, मनसा भयौ किसान।

पाप-पुन्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान॥

संत कवि तुलसीदास न केवल एक लेखक, दार्शनिक थे, बल्कि अपने साहित्यिक विवरण और छंद के माध्यम से जन सरोकारों को समझने का माध्यम भी थे: प्रोफेसर डॉ.सुधीर सोनी।

संत कवि गोस्वामी तुलसीदास जयंती 3 अगस्त 2025 के अवसर पर फोर्टिस अस्पताल द्वारा "मानस से जनमानस तक" विषय पर एक वैचारिक चर्चा एवं विचार-विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह विचार-विमर्श कार्यक्रम राजस्थान कैडर के वरिष्ठ नौकरशाह आईएएस आदरणीय राजेश्वर सिंह जी एवं वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. सुधीर सोनी जी द्वारा बनाई गई श्रेष्ठ साहित्यिक चर्चा थी। यह वैचारिक चर्चा फोर्टिस अस्पताल के सहयोग से "मानस से जनमानस तक" बौद्धिक चर्चा को 'फोर्टिस अस्पताल' के सभागार में आयोजित किया गया।  इस बौद्धिक चर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में राजस्थान कैडर के वरिष्ठ नौकरशाह सेवानिवृत्त आईएएस आदरणीय राजेश्वर सिंह साहब, आईएएस डॉ. के. के. पाठक जी, आईएएस डॉ. समित शर्मा जी, आईएएस टीकम बोहरा जी एवं फोर्टिस अस्पताल के प्रख्यात सर्जन डॉ. हेमेंद्र शर्मा जी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम की प्रस्तावना वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रोफेसर सुधीर सोनी जी द्वारा प्रस्तुत और साझा की गई। इस सुन्दर साहित्यिक चर्चा "मानस से जनमानस तक" कार्यक्रम सत्र का संचालन डॉ. प्रभात ने बहुत ही सही और आकर्षक तरीके से किया।

परम श्रद्धेय महाकाव्यकार संत कवि गोस्वामी तुलसीदास ने अपने भगवान, स्वामी और राजा के प्रति समर्पण, प्रतिबद्धता, प्रेम, स्नेह और भक्ति की शिक्षा दी: राजेश्वर सिंह वरिष्ठ सेवानिवृत्त नौकरशाह (आईएएस)।

महान कवि, लेखक, जमीनी स्तर के भारतीय दार्शनिक, बुद्धिजीवी और संत परम पूज्य तुलसीदास जी विचारक, दूरदर्शी, स्पष्टवादी और अपनी कविता और पटकथा लेखक के माध्यम से जन-जन के कवि थे:डॉ समित शर्मा वरिष्ठ नौकरशाह (आईएएस)।

संत महाकवि तुलसीदास जी भक्ति काल में सामाजिक समावेश, सत्य विमर्श, समान अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रतीक थे: डॉ. के. के. पाठक वरिष्ठ नौकरशाह (आईएएस)।

परम पूज्य महाकाव्यकार तुलसीदास ने अपनी चर्चा और काव्य के माध्यम से भगवान राम को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम बनाया: टीकम बोहरा वरिष्ठ नौकरशाह (आईएएस)।

तुलसीदास सामान्य जन के प्रतिनिधि थे, उनमें सामान्य लोगों के जीवन के प्रति वास्तविक संवेदना थी: डॉ. हेमेन्द्र शर्मा।

प्रतिष्ठित एवं सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अस्पताल फोर्टिस द्वारा आयोजित तुलसीदास जयंती पर कार्यक्रम "मानस से जनमानस तक" भारतीय ज्ञान परंपरा, रीति-रिवाज, भारतीय महाकाव्यों की विरासत के महत्व को समझने और वास्तविक उदारवादी आंदोलनों के युग, वास्तविक प्रासंगिक आर्थिक, समानता, न्याय, समावेशिता, सामाजिक मुद्दों, मंथन और विषयों पर विचार और चर्चा के लिए सर्वश्रेष्ठ विचार-विमर्श में से एक था: डॉ. कमलेश मीना।

तुलसी ममता राम सों, समता सब संसार।

राग न रोष न दोष दुख, दास भए भव पार॥

रविवार, 3 अगस्त 2025 को फोर्टिस अस्पताल द्वारा आयोजित "मानस से जनमानस तक" कार्यक्रम में मुझे भारतीय महाकाव्य युग के महानतम कवि, लेखक, दार्शनिक और महानतम व्यक्तित्व परम पूज्य तुलसीदास और उनकी रचनाओं पर एक बौद्धिक चर्चा और विचार-विमर्श में भाग लेने और स्वयं को समृद्ध करने का अवसर मिला। संक्षेप में, यह भारतीय महाकाव्यों के एक ऐसे प्रासंगिक व्यक्तित्व पर अत्यंत ज्ञानवर्धक, आँखें खोलने वाला और अद्भुत चर्चा और विचार-विमर्श कार्यक्रम था, जिसे अभी तक सही ढंग से समझा नहीं गया। इस अवसर पर मीडिया, साहित्य, शिक्षा, व्यापार, सामाजिक गतिविधियों जैसे विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां, लेखक और कुछ वरिष्ठ नौकरशाह 3 अगस्त 2025 को होने वाले इस बौद्धिक चर्चा और विचार-विमर्श को सुनने के लिए फोर्टिस ऑडिटोरियम कॉन्फ्रेंस हॉल में शामिल हुए। इस कार्यक्रम से पहले मैं व्यक्तिगत रूप से इन नौकरशाहों को बहुत सख्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के रूप में जानता था, लेकिन आज हमने साहित्य, साहित्यिक कार्य और हमारी महाकाव्य विरासत और भारतीय ज्ञान परंपराओं के प्रति उनके छिपे हुए प्रेम को देखा। अपने अब तक के शैक्षणिक जीवन में पहली बार इस शैक्षणिक चर्चा और विचार-विमर्श कार्यक्रम में मैंने नौकरशाहों की एक बहुत ही अलग भूमिका देखी, जिनकी हिंदी साहित्य पर बहुत गहरी और अधिकारपूर्ण पकड़ है।

तुलसी’ साथी विपति के, विद्या, विनय, विवेक।

साहस, सुकृत, सुसत्य-व्रत, राम-भरोसो एक॥

इस चर्चा के माध्यम से मैं हमारे संत, लेखक, दार्शनिक गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में सही तरीके से जान सका, जिसके वे हकदार थे। मैं वास्तव में अपने प्रिय मित्र प्रोफेसर डॉ. सुधीर सोनी जी का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे इस सुंदर चर्चा और विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया, जो स्वयं एक प्रसिद्ध लेखक, आलोचक, मीडिया विशेषज्ञ और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव कार्यक्रम आयोजक और हिंदी साहित्य के महान व्यक्ति हैं। प्रोफेसर सुधीर सोनी जी आज के समय के प्रसिद्ध कलाकार, वक्ता, संचालक, समीक्षक और दूरदर्शी अकादमिक व्यक्तित्व हैं जो सदैव विविध साहित्यिक चर्चाओं में व्यस्त रहते हैं और नियमित रूप से लेखन करते रहते हैं। पिछले दो दशकों से हम अच्छे मित्र हैं और मेरे जीवन में संभवतः वे पहले व्यक्ति हैं जो मेरे साथ कई अच्छे अवसरों पर रात्रिभोज में शामिल हुए और हमेशा अच्छे और ऐतिहासिक दिनों पर मुझे आमंत्रित किया।

इस गरिमामय समारोह को सम्मानित करने वाले कुछ प्रमुख एकत्रित हुए व्यक्ति इस प्रकार हैं: आदरणीय प्रमोद शर्मा जी एक साहित्यकार और ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक, सेवानिवृत्त दूरदर्शन निदेशक प्रोफेसर कृष्ण कुमार रत्तू जी, डॉ. प्रणु शुक्ला जी एक प्रसिद्ध हिंदी साहित्य शिक्षाविद्, डॉ. राकेश कुमार एक मीडिया विशेषज्ञ, योगेश शर्मा जी, नितीश शर्मा, सुप्रसिद्ध फोटोग्राफर आदरणीय महेश स्वामी जी और ब्रजेश गुप्ता आदि उपस्थित थे। इस गरिमामय समारोह में सौ से अधिक साहित्य प्रेमी एवं विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ उपस्थित थे।

तुलसी’ सब छल छाँड़िकै, कीजै राम-सनेह।

अंतर पति सों है कहा, जिन देखी सब देह॥

तुलसीदास भक्तिकाल के एक महान कवि और राम भक्त थे। उन्होंने रामचरितमानस, विनय पत्रिका, और हनुमान चालीसा जैसी प्रसिद्ध कृतियों की रचना की। तुलसीदास को वाल्मीकि का अवतार माना जाता है और उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)