समाज को बदल डालो

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अंतरजातीय विवाह का विरोध धार्मिक, व जाति व्यवस्था को बनाए रखने की इच्छा से किया जाता है। सामाजिक मानदंडों  और मूल्यों के प्रति चिंता रहती है। परिवार व समाज में कलह के डर के इसका बहिष्कार किया जाता है। लेकिन अब समय काफी बदल चुका है। समाज को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। लड़के लड़कियां बाहर विदेशों में नौकरी करते हैं। एक दूसरे से अच्छी तरह से परिचित भी हो जाते हैं। तो अंतरजातीय विवाह में क्या समस्या है। हर किसी को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है। अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देना चाहिए। यह समानता और न्याय को बढ़ावा देने की अच्छी शुरुआत होगी। सामाजिक मेलजोल, सद्भाव व एकता को बढ़ावा देने से भी इसको प्रोत्साहन मिलेगा। इस पर रोक लगाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। समाज को अपनी परंपराएं, धर्म, जाति व्यवस्था के प्रति कट्टरता को छोड़ देना चाहिए। समय के साथ आगे बढ़े। यही समय की मांग है। 

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।