आजादी मिली

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देश को आजादी गांधी की लाठी व चरखे से  नहीं मिली, नेहरू और गांधी के आंदोलनौ से भी कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। लेकिन जैसे ही आजादी मिली  कांग्रेस ने गांधी जी को राष्ट्रपिता बना दिया और नेहरू को चाचा बना दिया। सच्चे अर्थों में आजादी दिलाने वाले  शहिद और दीवाने कोई और थे। भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को मात्र 25 वर्ष की आयु में फांसी दे दी गई। गांधी चाहते तो यह फांसी रुकवा सकते थे। 

चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल ऐसे अनेक नाम है जिन्होंने सही अर्थों में देश को आजादी दिलाई पर इनका जिक्र कहीं नहीं होता। विद्यालयों के पाठ्यक्रम में भी नेहरू और गांधी ही पढ़ाये जाते हैं। जब देश 1947 में आजाद हो गया तो गांधी और नेहरू ने अपनी कुटिल राजनीति से सरदार वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। अगर प्रथम प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल होते तो देश का वर्तमान स्वरूप कुछ और ही होता। भारत के दो टुकड़े कर दिए गए। जम्मू कश्मीर पर धारा 370 लगा दी गई। सबसे मुख्य बात यह है कि अगर उस वक्त नेहरू को प्रधानमंत्री नहीं बनाया होता तो आज देश को परिवार वाद का दंश नहीं झेलना पड़ता। 

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।