पथिक के त्याग और बलिदान की उपेक्षा कब तक? – पवन कुमार गुर्जर

www.daylife.page 

जयपुर। महान क्रांतिकारी विजय सिंह पथिक की जयंती के अवसर पर पथिक सेना संगठन ने पूरे प्रदेश में पथिक जन जागृति दिवस का आयोजन किया। जयपुर के प्रताप नगर, सांगानेर स्थित श्री देव नारायण मंदिर प्रांगण में सैकड़ों अनुयायियों ने श्रद्धा-सुमन अर्पित कर अपने क्रांतिकारी नायक को नमन किया।

संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष पवन कुमार गुर्जर ने सरकारों की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए कहा "पथिक जी ने अपना संपूर्ण जीवन अन्याय, शोषण और सामाजिक असमानता के खिलाफ संघर्ष में समर्पित कर दिया। उन्होंने किसानों, मजदूरों और पिछड़े वर्गों के हक के लिए लंबी लड़ाइयाँ लड़ीं। लेकिन, यह दुखद है कि सरकारें अब भी उनके बलिदान और विरासत की उपेक्षा कर रही हैं। आखिर कब तक पथिक जी के गौरवशाली इतिहास को अनदेखा किया जाता रहेगा? अब समय आ गया है कि सरकारें उन्हें राष्ट्र स्तर पर सम्मान दें।" कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महावीर गुर्जर (राष्ट्रीय सचिव, NSUI) एवं पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रामफूल गुर्जर ने अपने विचार रखते हुए कहा "विजय सिंह पथिक केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक जीवंत विचारधारा थे। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के लिए भी अभूतपूर्व कार्य किए। उनका संघर्ष हमें प्रेरित करता है कि हम अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध हमेशा डटे रहें।"

प्रदेश अध्यक्ष गोपाल बस्सी ने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा "पथिक जी ने पिछड़े और शोषित समाज के उत्थान के लिए जो दीप प्रज्वलित किया था, उसे जलाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। हमें उनके संघर्षों से सीख लेनी होगी और अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी।" कार्यक्रम में कर्मचारी नेता रामप्रसाद गुर्जर, जे.डी. गुर्जर, संजय भड़ाना, हनुमान चावड़ा, देशराज, शिवपाल, नरेश चेची, भवानी बैंसला, रतन बोकण एवं सूरज गुर्जर सहित कई समाजसेवी, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए। पथिक सेना संगठन ने इस अवसर पर सरकार से पुरजोर मांग की कि विजय सिंह पथिक के संघर्ष और बलिदान को इतिहास में उचित स्थान मिले और उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया जाए।