टोंक के अरबी-फारसी शोध संस्थान की जानकारी वेबसाइट पर

अरशद शाहीन की रिपोर्ट 

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टोंक। राजस्थान सरकार की पधारों म्हारे देश पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर राज्य के सभी जिलों के दर्शनीय स्थलों की संक्षिप्त जानकारी दी गई है। ताकि पर्यटन के बारे में लोग जाने एवं इसको देखने के लिए भी लोग हमारे राज्य एवं टोंक जिले में आए। ऐसे में उनको जानकारी प्रमाणित एवं सही दिया जाना भी जरुरी है। लेकिन पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर विश्व विख्यात मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी-फारसी शोध संस्थान की स्थापना एवं उसके पूरे नाम की जानकारी सही नहीं होना, कई दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। महत्वपूर्ण बात ये हैं कि ये गलत जानकारी कई प्रतियोगियों को परीक्षा में भी नुकसान पहुंचा सकती है। क्योंकि कई प्रतियोगी परीक्षाओं में शोध संस्थान से संबंधित सवाल आ चुके हैं। बहरहाल इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इस बारे में वो कुछ स्पष्ट नहीं कह सकते हैं। ये वेबसाइट उच्च स्तर पर बनाई जाती है। वहां पर से ही सुधार किया जा सकता है। प्रबुद्धजनों का कहना है कि या तो वेबसाइट तैयार करने वाले को यहां के बारे में ज्ञान नहीं है। जबकि सरकारी स्तर पर किसी भी प्रकार की जानकारी गलत नहीं होना चाहिए तथा दर्शनीय स्थल का नाम पूरा हो। ये सब उम्मीद रखते हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार की राजस्थान पर्यटन वेबसाइट पर मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी-फारसी शोध संस्थान की स्थापना 2002 बताई गई है। जबकि इसकी स्थापना 4 दिसंबर 1978 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के कार्यकाल में निदेशालय के रुप में हुई। इससे पूर्व ये एक लाइब्रेरी के रुप में संचालित होती रही है। इस शोध संस्थान में कई विषयों के दुर्लभ ग्रंथ सहित कई कैलीग्राफी के ऐतिहासिक नमून आदि मौजूद है। जिसे देखने देश-दुनिया से लोग आते हैं। उसके बारे में दी गई जानकारी देश ही नहीं विदेशों में भी देखी जाती है। ऐसे में जानकारी सही दिए जाने की जरुरत पर भी क्षेत्र के लोगों ने जोर दिया है।

जिसे देखने देश विदेश की कई नामी हस्तियों आई 

प्राचीन रहस्यों का जिला टोंक, शान-ए-बनास में भी शोध संस्थान के बारे में कई सारगर्भित जानकारी दी गई है। मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी-फारसी शोध संस्थान देश की एक महत्वपूर्ण संस्थान है। जहां पर अब तक 50 से अधिक देशों के शोधार्थी शोध कार्य एवं यहां पर मौजूद दुर्लभ ग्रंथों को देखने आ चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति हिदायतुल्ला खां, ज्ञानीजैल सिंह सहित कई वीवीआईपी यहां आते रहे हैं। साथ ही विदेशों के भी कई विद्वान देखने आ चुके हैं।

पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जिले के ये है दर्शनीय स्थल 

पर्यटन विभाग की वेबसाइट पधारों म्हारे देश की वेबसाइट पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सभी जिलों के पर्यटन स्थलों के नाम दिए गए हैं। इसमें सुनहरी कोठी, शाही जामा मस्जिद, घंटाघर, हाथी भाटा, बीसलदेव मंदिर, हाडीरानी की बावड़ी, जो वर्तमान में केकडी जिले में हैं। इसके अलावा बीसलपुर डेम, जल देवी मंदिर, हरभांवता आश्रम, ब्रदी विशाल मंदिर नटवाड़ा, रक्तांचल पर्वत, धन्नाभगत गुरुद्वारा आदि शामिल है।