रोज-रोज बलात्कार की घटनाएं पढ़कर सोचती हूं ईश्वर ने औरत को बनाया ही क्यों? लेकिन ब्रह्मा जी भी क्या करें इतनी बड़ी सृष्टि का निर्माण कर दिया जब संभाल नहीं सके तो उन्होंने औरत बना दी। औरत को इतने गुण दिए प्यार, ममता, सहनशीलता एवं दुख सहने की शक्ति सब कुछ दिया ताकि सृष्टि का संचालन आराम से हो सके।
लेकिन कल शाम को मीडिया में ऐसी दिल दहलाने वाली खबर सुनी की केरल की 13 वर्ष की मासूम बच्ची के साथ विगत 5 वर्षों में 64 लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया। घटना इतना विचलित कर देने वाली थी कि मैं रात भर सो भी नहीं सकी। क्यों नहीं सोशल मीडिया पर उपलब्ध अश्लील सामग्री पर प्रतिबंध लगाती है सरकार। क्या हमारे कानून में परिवर्तन नहीं किया जाता सकता। वर्षों तक इन लोगों की सुनवाई होती है, माना की फांसी की सजा सुनाई जाती है पर उसे फांसी देने में देर क्यों की जाती है।
क्यों उसे इतनी रियायत दी जाती है स्थानीय अदालत, उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय, और उसके बाद राष्ट्रपति के पास अपराधी दया याचिका के लिए अपील पेश कर सकता है। राष्ट्रपति मामले को गृह मंत्रालय के पास भेजते हैं। यह सब कानूनी प्रक्रियाएं लंबे अरसे तक चलती है। कई बार तो बलात्कारी को जमानत पर भी छोड़ दिया जाता है। इस दौरान वह पीड़िता को मार भी सकता है सबूत भी नष्ट कर सकता है। ऐसी कानूनी प्रक्रिया से ही अपराधियों के हौसले बुलंद है। मोबाइल, टीवी, पिस्टल तक बाजार में उपलब्ध है उसका डर दिखा कर भी अपराधी हावी होता है। जिस देश की संस्कृति ऋषि, मुनि, सप्तऋषि ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले, राम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम की धरती पर आखिर समाज में ऐसी विकृति क्यों है? बहुत हो चुका अब सरकार दूसरी योजनाओं पर काम करने की बजाय सबसे पहले इस पर गंभीरता से विचार करें और व्यावहारिक कानून बनाएं ताकि समाज में डर व्याप्त हो सके।
इन घटनाओं से विचलित होकर महिलाओं की पीड़ा समझ कर सन2012 में दिल्ली कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश कामिनी लाऊ ने दुष्कर्म के आरोपी को नपुंसक कर देने की कानून से अपील की थी।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)