लेखक : लोकपाल सेठी
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक
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राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मुखिया जगन मोहन रेड्डी के परिवार में अभी तक उनके पिता तथा राज्य के दिवंगत मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की राजनीतिक विरासत को लेकर ही झगडा चल रहा था। पर अब परिवार की परिसंपत्तियों को लेकर कलह भी शुरू हो गई है। इसमें एक तरफ जगन मोहन रेड्डी और दूसरी तरफ उनकी माँ विजयम्मा और बहिन शर्मीली हैं। राजशेखर रेड्डी की वर्षो पहले एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। वे उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे। ऐसा माना जाता है कि उनके मुख्यमंत्री काल में जगन मोहन रेड्डी ने अच्छी खासी संपत्तियां बना ली थी। उन्होंने तेलुगु भाषा में एक टीवी चैनल भी शुरू किया था। जगन मोहन रेड्डी तथा उनके परिवार के सदस्यों को लगता था कि कांग्रेस पार्टी जगन मोहन रेड्डी को उनके पिता के राजनीतिक विरासत सौपेंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
राजशेखर रेड्डी के निधन के जब जगन मोहन रेड्डी को यह साफ़ लग गया कि अब उनका कांग्रेस पार्टी में कोई स्थान नहीं है तो उन्होंने और उनके परिवार ने मिलकर एक नई पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी बना ली। कुछ समय बाद राज्य हुए विधानसभा चुनावों में यह पार्टी कोई बड़ा कमाल नहीं कर पाई। लेकिन 2019 के विधानसभा चुनावों उनकी पार्टी को भारी बहुमत मिला। लोकसभा की अधिकतर सीटें भी उनकी पार्टी ने ही जीती। लेकिन सत्ता में आते ही परिवार में विवाद शुरू हो गए। जगन मोहन रेड्डी ने अपनी माँ और बहिन को हर तरह से सत्ता और पार्टी से दूर रखा। इसके चलते माँ और बेटी ने आन्ध्र प्रदेश का विभाजन करके बनाये गए तेलंगाना राज्य में जाकर अपना भाग्य आजमाने की सोची। उन्होंने इस नए राज्य में वाईएसआर तेलंगाना पार्टी बनाली। शर्मीली को लगता था कि इस नए राज्य के लोग उसे राजशेखर रेड्डी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप स्वीकार कर लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहां हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी एक भी सीट जीतने में सफल हुई।
आन्ध्र प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में भारी गुटबन्दी रही है इसलिए पार्टी बरसों तक सत्ता में नहीं आ पाई। राज्य में लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव एक साथ होते रहे है। पांच महीने पहले लोकसभाऔर विधानसभा चुनावों सेकांग्रेस किसी ऐसे नेता की तलाश में थी जो इन चुनावो में कुछ करिश्मा दिखा पा जाये। उधर शर्मीली और उनकी माँ को लगने लगा था कि उनकी पार्टी का कोई भविष्य नहीं है। धीरे-धीरे माँ और बेटी की कांग्रेस पार्टी से नजदीकियां बढ़ने लगी। इसका असर यह हुआ कि चुनावों से कुछ पहले शर्मीली ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। बदले में कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने उन्हें आन्ध्र प्रदेश कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बना दिया और यह साफ़ कर दिया कि पार्टी राज्य में चुनाव उनके नेतृत्व में ही लडेगी। उनको लगता था की शर्मीली के पार्टी में आने से पार्टी जगन मोहन रेड्डी की पार्टी की काट साबित नहीं होगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। न तो वाईएसआर कांग्रेस पार्टी चुनाव जीत पाई और न कांग्रेस पार्टी कुछ अधिक सीटें जीत सकी। राज्य में तेलुगु देशम पार्टी, बीजेपी और जन सेना पार्टी के गठबन्धन ने इन दोनों पार्टियों का लगभग सफाया सा ही कर दिया। इसके बाद रेड्डी पार्टी परिवार के राजनीतिक लड़ाई परिवार की संपत्तियों की ओर चल पडी।
परिवार की नामी और बेनामी कुल कितनी संपत्तियां है इसका सही अनुमान किसी को किसी को नहीं। लेकिन यह माना जाता है कि यह कई सौ करोड़ है। 2019 सत्ता में आने के बाद जगन मोहन रेड्डी ने परिवार के सदस्यों के साथ बैठक कर यह फैसला किया कि अब परिवार की संपत्तियों को बंटवारा हो जाना चाहिए। इनमें से अधिक संपत्तियां शर्मीली के नाम से थी यह फिर उनके पास इन संपत्तियों की पावर ऑफ़अटॉर्नी थी। जगन मोहन रेड्डी के इस प्रस्ताव को मान लिया गया कि शर्मीली अपने नाम की संपत्तियां जगन मोहन रेड्डी के नाम कर देगी। इसके बदले जगन मोहन रेड्डी शर्मीली को 200 करोड़ रुपया देंगे। अन्य संपत्तियों को लेकर भी कुछ इसी प्रकार की सहमति बनी। अब पाच वर्ष बाद जगन मोहन रेड्डी की माँ का कहना है कि शर्मीली ने जो संपत्तियां जगन मोहन रेड्डी को दी उनका पूरा पैसा आज तक नहीं दिया गया। जबकि जगन मोहन मोहन रेड्डी इसे गलत बताते है। परिवार के निकट समझे जाने वाले लोगों का कहना है रेड्डी परिवार में संपत्ति का यह विवाद निकट भविष्य में कोर्ट में भी जा सकता है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)