अनेकानेक बलात्कर और हत्याओं को उजागर करता है लिलि के फूल

चन्द्र शेखर शर्मा 'चन्द्रेश' की रिपोर्ट 

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जयपुर। जवाहर कला केंद्र के कृष्णायन सभागार में मंचित लिलि के फूल ने जयपुर के दर्शकों को वो इतिहासिक मंजर दिखाया जिससे दर्शकों को बरसों बाद भी भयावह त्रासदि चित्त में बनी रहेगी। 1937 में चीन की राजधानी नान्चिंग में जापान की सेना ने लाखों नागरिक मार दिए। 50 हजार से अधिक महिलाओं का रेप एक बार नहीं, अनेक बार किया, उनके वक्ष काटे गए, उनके शवों तक से बलात्कर किया। ऐसी इतिहास की भयानक अमानुषिक घटना की जीवंत प्रस्तुति को साकार किया नाटक लिलि के फूल में। 

युवा निर्देशक अभिषेक विजय ने अपनी युवा टीम को अधिकतम अभिनय शक्ति से अभिव्यक्ति को प्रदर्शित किया गया, डार्क लाइट, रुदाली संगीत, बंदूकों और बमों के गूँज, धमाके, रोने और चीत्कार की आवाजों से मंच पर पिन ड्रॉप साइलेंट हो गया। शहीदों की याद में कहें या उस भयानक अत्याचारों का गवाह क्रांति के लालचोक पर एक मौन स्तंभ खड़ा आज भी उसकी गवाही दे रहा है। यह शो यकीनन ओवर बजट बनाया गया है। नाटक का तत्कालीन वस्त्र विन्यास, मंच सज्जा, गीत, संगीत, संवाद, अभिनय ने जयपुर की जनता को एक बार यह बता दिया है कि ऐसे नाटकों के होने से दर्शकों की आज भी कमी नहीं है। 

टीम का नाम जोड़ना... 

यह शो पूरी तरह हाउस फुल रहा, दर्शकों को प्रवेश के लिए लाइन में लगना बड़ा सुखद अनुभव देता है। नाटक का विसत्रत कैनवास होने से कलाकारों की टीम भी बहुतायत में रही। बेजोड़ अभिनय पर दर्शकों ने तालियों से स्वागत किया। 

आशा की जानी चाहिए कि आने वाले समय पर जयपुर के दर्शकों को ऐसे नाटक देखने को मिलेंगे।

लिलि के फूल के हुनरमंद कलाकार

पवन सोनी, हर्ष चौहान, रेया माथुर, मनीषा शेखावत, रिक्शा राठौड, तन्मय सिंह, हिमाली भाटिया, चारू भाटिया, मुदित सुहालका, आर्यन शर्मा और नीर ने अपना किरदार बहुत गहराई से जिया। मंच परे गौरवी शर्मा, इशिका, आकर्ष, आकाश मंडार, मनीषा शेखावत, तुषार, कुमार गौरव, दशरथ धान, नवीन, कनक, मुदित की प्रस्तुति सरानीय रही। लाइट पर रहे शुभम सोयल और संगीत दिया अनिमेष आचार्य ने। मंच सज्जा चारु भाटिया व मेकअप में काजल चौहान की भूमिका  उत्कृष्ट रही।