भारतीय जन संचार संस्थान से नियुक्ति का प्रस्ताव

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नई दिल्ली। 19 नवम्बर 1979 को मिलने के बाद मैं हिन्दुस्तान टाइम्स लिमिटेड के तत्कालीन महाप्रबंधक स्वर्गीय संतोष नाथ से मिला और उनसे पद‌मुक्त करने का आग्रह किया। मगर उन्होंने तत्कालीन सम्पादक स्वर्गीय रतन लाल जोशी से बात करने के बाद मुझे पद मुक्त करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि सम्पादक के विचार में आप साहित्य,संस्कृति,राजनीति, विज्ञान, और आर्थिक समस्याओं पर लिख लेते हैं, इसलिए हमें आपकी उपयोगिता अखबार के लिए जरूरी लगती है। लिहा‌जा आपको पदमुक्त नहीं किया जा सकता है। इसके बाद मैं (रामजी लाल जांगिड, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं पत्रकारिता के पुरोधा) सीधे योजना भवन गया और तत्कालीन योजना मंत्री स्वर्गीय कृष्ण चंद्र पंत से मिला।

मैंने उनके पिता स्वर्गीय गोविन्द बल्लभ पंत जी की जीवनी लिखी थी। इसके लि‌ए मैं उनसे कई बार मिला था। मैने उनसे कहा कि लोग आपके पास नौकरी लगवाने की प्रार्थना लेकर आते हैं मगर मैं नौकरी छुड़‌वाने का आग्रह करने आया है। उन्होंने मेरे आग्रह पर संतोष नाथ जी को फोन किया और उन्हें मुझे पदमुक्त करने को कह दिया। इसके बाद मैं संतोष नाथ जी से मिला और उन्होंने मुझे पदमुक्त कर दिया। मैंने संस्थान के निदेशक स्वर्गीय श्री शारदा प्रसाद जी को मुझे पदमुक्त किए जाने की सूचना दी। उन्होंने मुझे तुरंत संस्थान आने की राय दी। मैं ((रामजी लाल जांगिड) लगभग एक बजे संस्थान पहुंच गया। वहां मुझसे ज्वाइन करने की औपचारिकताएं पूरी करा ली गई और मैंने पत्रकारिता तथा जनसंचार के शिक्षक की पारी शुरू कर दी। मैंने इस संस्थान में 12 दिसम्बर 1979 से लेकर 30 नवम्बर 2001 तक (लगभग 21 वर्ष) काम किया। मुझे यहां अपना काम अपने ढंग से करने की पूरी आज़ादी मिली। मैं वहां नौकरी करने नहीं, बल्कि भारतीय भाषाओं का पौधा रोपने के लिए आया था।