एक बुजुर्ग दंपति है उनसे हमारा अच्छा रिश्ता है लेकिन क्योंकि वह हमसे बड़े हैं तो हर साल दिवाली पर उनका आशीर्वाद लेने उनके घर जाते हैं। अबकी बार जब हम उनसे मिलने गए तो उनके यहां पहले से ही एक बुजुर्ग दंपति विराजमान थे। हमें देखते ही पति-पत्नी दोनों खड़े हो गए और अपनी खाली कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए बोले_बैठिएआप लोग, मैं और कुर्सियां लाती हूं। वे सब लोग डाइनिंग रूम में थे तो मैं ड्राइंग रूम में जाकर दो कुर्सियां और ले आई जब तक हम नहीं बैठे तब तक वह बुजुर्ग दंपत्ति खड़े रहे। मैं उनकी शालीनता देखकर दंग रह गई।
बातचीत से पता चला रहने वाले भारत के हैं और अमेरिका में बस गए हैं। अभी भारत में थे तो सभी परिचितों से मिलकर वापस अमेरिका जाएंगे। बड़े अफसोस और निराशा से मैं सोच रही थी। यह बुजुर्ग दंपति और कहां हमारे देश की संस्कारहीन युवा पीढ़ी व बच्चे जो पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करने में अपने संस्कारों को भूल चुके हैं। उन बुजुर्गों के बड़प्पन के आगे नतमस्तक हो गई।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़, (राजस्थान)।