वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं विभिन्न मामलों के ज्ञाता
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वर्ष 1972 के दौरान भारत के राजनीतिक परिदृश्य में तेजी से बदलाव आने लगे और लोगों की समाचार पत्रों तथा आकाशवाणी से समाचार जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी। इसी वर्ष बम्बई में पहले दूरदर्शन केंद्र का उद्घाटन हुआ। वर्ष 1975-76 में 6 राज्यों के 2400 गांवों को जोड़कर एक वर्ष तक चलने वाले टेलीविजन के विकास संबंधी कार्यक्रम प्रसारित करने की SITE परियोजना चलाई गई। इससे भारत और भारतीयों को टेलीविजन प्रसारण की पहुंच तथा प्रभाव की जानकारी मिली। इस परियोजना से यह भी मालूम पड़ा कि भारत जैसे विकासशील देश में उपग्रहों की भूमिका कितनी प्रभावशाली और उपयोगी हो सकती है।
मीडिया में बढ़ती हुई रूचि के कारण 12 विश्वविद्यालयों ने छह वर्षों (1973 से 1978) में पत्रकारिता और जन संचार शिक्षा विभाग खोल दिए। ये दस राज्यों में खुले। ये राज्य थे - 1. पंजाब 2. उत्तराखंड 3. राजस्थान 4. उत्तरप्रदेश 5. हरियाणा 6. गुजरात 7. ओडिशा 8. कर्नाटक 9. केरल 10. तमिलनाडु।
1973 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, राजकोट और बंगलौर विश्वविद्यालय ने देश के तेरहवें, चौदहवें और पंद्रहवें पत्रकारिता तथा जनसंचार विभाग-खोल दिए।
अगले वर्ष 1974 में ओडिशा के बरहामपुर विश्वविद्यालय और पटियाला के पंजाबी विश्वविद्यालय ने भी पत्रकारिता तथा जनसंचार शिक्षा विभाग शुरू कर दिए। इससे पत्रकारिता व जनसंचार विभागों की संख्या बढ़कर सत्रह हो गई।
वर्ष 1976 में सबसे ज्यादा(पांच) पत्रकारिता व जनसंचार शिक्षा विभाग खुले। इससे इन विभागों की संख्या बढ़ कर बाईस हो गई। इस वर्ष गढ़वाल विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, कालीकट विश्वविद्यालय और केरल विश्वविद्यालय में पत्रकारिता तथा जन संचार विभाग खुले। इनमें से राजस्थान विश्वविद्यालय में केवल हिंदी में पढ़ाई होती थी। वर्ष 1978 में रोहतक (हरियाणा) में स्थित महर्षि दयानंद विश्व विद्यालय ने पत्रकारिता तथा जन संचार शिक्षा विभाग खोला। इससे इन विभागों की वर्ष 1973 के अंत तक संख्या 23 हो गई। जहां तक शिक्षण के माध्यम का सवाल है, वर्ष 1978 तक खुले 23 विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता व जनसंचार विभागों में से 13 विभागों में केवल अंग्रेजी में पढ़ाई और परीक्षा होती है। पटियाला का पंजाबी विश्व विद्यालय तीन भाषाओं में पढ़ाई और परीक्षा की व्यवस्था करता है। चार विश्वविद्यालय द्विभाषी (अंग्रेजी और हिन्दी) हैं। पूना विश्व विद्यालय भी द्विभाषी (अंग्रेजी और मराठी) है। दो विभाग केवल मराठी और एक केवल हिंन्दी काम लेता है। एक तमिल में काम करता है।