सांस्कृतिक पतन।

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वर्तमान समय में अनुशासनहीनता वह अराजकता का जो माहौल समाज में बन रहा है उसके लिए किसी हद तक टीवी चैनल पर प्रसारित किए जाने वाले रियलिटी शो व विभिन्न धारावाहिक है। रियलिटी शो में इतनी घटिया स्तर की भाषा का इस्तेमाल होता है कि सुनने में भी शर्म आती है। 

इनका प्रसारण बार-बार होता है इसका जन मानस पर इतना गहरा प्रभाव पड़ रहा है कि हमारी संस्कृति व नैतिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जो तड़क-भड़क दिखाई जाती है उसका वास्तविक जीवन में कोई लेना देना नहीं होता, रही सही कसर मोबाइल पर उपलब्ध भरपूर अश्लील सामग्री है। इन सब में कोई भी ऐसा सकारात्मक संदेश नहीं होता जो भटकती युवा पीढ़ी, समाज व परिवार को सही राह दिखा सके। 

अर्थहीन धारावाहिकों का लंबे समय तक प्रसारण अनुचित है और इनको भी सेंसर किया जाना चाहिए। घटिया स्तर के रियलिटी शो का प्रसारण तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचेत रहकर इन सब पर उचित कदम उठाए। 

लेखिका : लता अग्रवाल चित्तौड़गढ़।