बैग का इस्तेमाल कम इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि सरकार कठोरता से कानून का पालन नहीं करती है। स्थानीय नगर निगम भी इस और ध्यान नहीं देता है पॉलिथीन की उपयोग की हुई थैलियां का जगह-जगह ढेर लगा रहता है और आवारा पशु उसको इधर-उधर फैला देते हैं। सरकार कानून तो बनाती है पर जनता का सहयोग नहीं मिलता है। कानून की घोषणा होने के बाद थोड़े दिन तो जनता इनका पालन करती है और फिर वापस वही पॉलिथीन की थैलियां में सामान लाना शुरू कर देती है। स्थानीय प्रशासन की देखरेख के साथ साथ-साथ जनता की भी जिम्मेदारी है कि घर से कपड़े का थैला लेकर बाजार से समान लाया जा सकता है। प्लास्टिक बैग (पॉलीथिन) का उपयोग अत्यधिक किया जा रहा है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। स्थानीय नगर परिषद व जनता को मिलजुल कर अभियान चलाना होगा तभी यह समस्या कुछ हद तक सफल हो सकती है।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़, (राजस्थन)