सूरजपुरा से सांभर तक डेढ़ दशक पुरानी पेयजल लाइन नाकाफी

बीसलपुर से 13 लाख लीटर पानी की कटौती से नियमित सप्लाई बाधित 

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

www.daylife.page 

सांभरझील। गत वर्ष बीसलपुर बांथ का लगातार घटता जल स्तर पेयजल सप्लाई की कमी का मुख्य कारण माना जा रहा था लेकिन इस बार मानसून की मेहरबानी से बीसलपुर बांध खुलकर छलका तो क्षेत्रवासियों की आशाओं को भी पंख लगे कि इस बार पेयजल सप्लाई नियमित और पर्याप्त होगी लेकिन यह सब मंसूबे धरे रह गए और आज भी लोगों को एक दिन अंतराल से नहीं बल्कि दो से तीन दिन के अंतराल में पीने का पानी घरों तक पहुंच रहा है, वह भी पर्याप्त स्थिति में नहीं बताया जा रहा है। सांभर फुलेरा में बीसलपुर परियोजना की तरफ से पानी निर्धारण किया गया था की किस क्षेत्र को कितना लीटर पानी उपलब्ध करवाना है जिसमें सांभर के हिस्से में प्रतिदिन 25 लाख लीटर पानी देना परियोजना के प्रारंभिक तौर से ही शुरू किया गया था। 

विगत मानसून में भारी कमी के चलते जब बीसलपुर का जलस्तर घटना नजर आया तो सरकार के माथे पर भी चिंता की लकीरें उठी और क्षेत्रवासियों को लंबे समय तक पानी उपलब्ध करवाए जाने के लिए इसमें नियमित की जाने वाली सप्लाई में कटौती करने का प्रावधान किया गया जिसके तहत बीसलपुर परियोजना से महज 13 लाख लीटर ही पानी सांभर की हिस्से में आया। हालांकि इससे भी काम चला रहा लेकिन धीरे-धीरे अब आगे से सप्लाई इसलिए ज्यादा जटिल होना बताया जा रहा है कि सूरजपुरा से सांभर तक जो डेट दशक पहले पेयजल सप्लाई हेतु बीसलपुर की लाइन बिछाई गई थी उसकी उम्र पूरी हो चुकी है और कमजोर होकर अक्सर कई जगह से फट भी जाती है और लाखों लीटर पानी लीकेज लाइन को ठीक करने के दौरान बर्बाद हो जाता है।  

इस कमजोर लाइन से पेयजल नियमित रूप से सप्लाई करना अब मुश्किल बताया जा रहा है, क्योंकि इसमें गैप इसलिए दिया जा रहा है की लाइन के दोबारा क्षतिग्रस्त होने का खतरा ना रहे और ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो कि फिर लंबे समय तक क्षेत्र की पेयजल सप्लाई ही बाधित हो जाए, इसलिए बीसलपुर परियोजना के अधिकारी भी फूंक कर कदम उठा रहे हैं लेकिन विषय इस बात का है कि कमजोर हो चुकी इस लाइन को बदलने के लिए सरकार की ओर से क्या कदम उठाए जाएंगे और उस वक्त इसकी वैकल्पिक व्यवस्था क्या रहेगी, यह भी स्थिति स्पष्ट होना जरूरी है ताकि क्षेत्र वासियों को इस परिस्थिति से मुकाबला करने के लिए उन्हें तैयार किया जा सके। हालांकि स्थानीय स्तर पर जलदाय विभाग के अधिकारियों की ओर से जो सरकारी कुए हैं उनमें से चार को  देवयानी क्षेत्र से जोड़ रखा है और पांच कुओ का पानी निर्धारित मापदंड से निकालकर सप्लाई के साथ मिलाकर दे भी रहे हैं लेकिन आपूर्ति फिर भी बराबर होना मुश्किल हो रहा है।