तमाम सावधानी के बाद भी अगर कोई महिला दुष्कर्म की शिकार हो जाती है तो वह कानूनी सहायता ले सकती है। उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार पीड़िता के केस की सुनवाई के दौरान कैमरा ट्रायल व्यवस्था की गई है इसके तहत केवल जज दोनों पक्षों के वकील एवं पीड़िता ही उपस्थित रहेंगे। पीड़िता फोन एवं डाक द्वारा अथवा स्वयं निकटतम थाने में जाकर प्राथमिक की दर्ज करवा सकती है।
सीधे न्यायालय में जाकर भी परिवाद पेश कर सकती है राष्ट्रीय महिला आयोग एवं राज्य महिला आयोग में भी जा सकती है। राज्य सरकार की पीड़िता पुनर्वास व्यवस्था का लाभ ले सकती है। इसके तहत बिना किसी फीस के स्थाई लोक अदालतमें आवेदन करके पीड़िता आर्थिक मदद तक ले सकती है ट्रायल मजिस्ट्रेट भी अपने स्तर पर पीड़िता को मुआवजा दिला सकता है।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़, (राजस्थान)