शाखामृग भाई साहब और कंप्यूटर का की बोर्ड

लेखक : रमेश जोशी 

व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)

ईमेल : joshikavirai@gmail.com, ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com सम्पर्क : 94601 55700 

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आज तोताराम बहुत खुश था वैसे ही जैसे 400 पार के नारे के बाद भी 240 पर लटक जाने के बावजूद भाई लोग खुद को 140 करोड़ का प्रतिनिधि बताते डोल रहे हैं। नीचे से पायजामा गीला हो रहा है लेकिन ऊपर से मूँछें ऐंठ रहे हैं। एक बार किसी बाहुबली साँड़ महोदय को गली के पिल्लों ने दौड़ा लिया तो साँड़ जी ने घबराकर अपने पिछवाड़े से निसृत तरल पदार्थ से राजपथ पर रंगोली बना दी लेकिन दिखाने के लिए टाँड़ना चालू रखा। जब किसी ने पूछा- टाँड़ क्यों रहे हो? बोले- हम साँड हैं, हम नहीं टाँडेंगे तो क्या बकरी टाँडेगी? प्रश्नकर्ता ने फिर पूछा- तो यह पीछे से क्या प्रवाहित हो रहा है? तो बोले- गोबर। गाय के जाये हैं, गोबर नहीं करेंगे तो क्या अंडा देंगे? 

बात तो सही है। 

हमने पूछा- क्या बात है तोताराम, कहीं मोदी जी ने लेटरल एंट्री की तरह 18 महिने के डीए पर तो रोल बैक नहीं कर लिया मतलब थूककर नहीं चाट लिया। कब दे रहे हैं बकाया? पहले तो चुनाव से पहले आयकर और तथाकथित अर्थशास्त्रियों से कहलवा रहे थे कि केन्द्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों की बल्ले बल्ले होने वाली है लेकिन जुलाई निकलते ही टाट पलट दिया। अब भागो। खेल खतम, पैसा हजम।  

बोला- वे कोई और होंगे जो अपने निर्णय से डिग जाएँ। ये मोदी जी हैं। 

चंद्र टरै सूरज टरै, टरै जगत व्यवहार 

किन्तु वचन से ना टरै मोदी की सरकार 

कुछ भी हो जाए लेकिन पहलवान लड़कियों, मणिपुर, नोटबंदी, तालाबंदी आदि क्या किसी के बारे में किसी की सुनी ? पंचों का कहना सिर माथे लेकिन पतनाला वहीं गिरेगा। मतलब ओल्ड पेंशन के बारे में नहीं मानेंगे। तो नहीं ही माने। लेकिन मोदी जी के मन में जनता के हर वर्ग के लिए अपार करुणा है इसलिए यूपीएस लाए हैं। 

हमने कहा- मोदी जी रोज ऐसे ही कुछ न कुछ जुमलों का संक्षिप्तीकरण करते रहते हैं। अब यह नया यूपीएस क्या ले आए ? वैसे कंप्यूटर में भी एक यूपीएस होता है जो उसकी विद्युत सप्लाई को नियमित रखकर कंप्यूटर की सुरक्षा करता है। 

बोला- तेरा अनुमान ठीक है। यह आगामी चुनाव के संभावित डेमेज को कम करने के लिए ही एक व्यवस्था है। पहले अटल जी 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना लाए थे एनपीएस। लेकिन कर्मचारी ओल्ड पेंशन की ही मांग पर अड़े रहे और हो गया 2024 के चुनावों में नुकसान। सो अब लाए हैं यूनीफाइड पेंशन स्कीम मतलब यूपीएस। आज ही मंत्री जी बता रहे थे नई यूपीएस के फायदे। 

हमने पूछा- लेकिन यह है क्या ? अगर कर्मचारियों के सहानुभूति है तो उन्हें पुरानी पेंशन देने में क्या नुकसान है? यह नई स्कीम लाने की क्या जरूरत है ? बना बनाया सेट अप है उसे फॉलो करने में क्या नुकसान है? 

बोला- इस देश के 2014 से पहले बहुत से नाकाबिल लोगों ने बहुत नुकसान किया है। अब भाग्य से कोई काबिल व्यक्ति आया है जो बिगड़ा हुआ सब कुछ ठीक कर डालेगा। 

हमने कहा- जब कर्मचारी पुरानी पेंशन मांग रहे हैं तो दे दो । यह बिना बात की तीन-पाँच लगाने की क्या जरूरत है। कई राज्यों ने तो पिछले साल ही नई पेंशन स्कीम की जगह पुरानी पेंशन स्कीम लागू भी कर दी थी। 

बोला- जब बंदे के पास ज्ञान-विज्ञान, तकनीकी और संवेदना है तो नया और बेहतर करने में क्या नुकसान है? 

हमने कहा- हमें तो इस स्थिति के लिए एक कहानी याद आती है। किसी देश में एक पेड़ पर एक बूढ़ा बंदर रहता था। वह बड़ी कुशलता से एक शाखा से दूसरी शाखा पर उछलता रहता जो कि किसी मनुष्य के लिए संभव नहीं था। वह दो हाथों से काम कर सकता था और चार पैरों से कुशलतापूर्वक चल-दौड़ भी सकता था। उसकी शक्ल कुछ कुछ मनुष्यों से भी मिलती थी। वैज्ञानिक भी कहते थे कि यह मनुष्यों का पुरखा है। इसलिए वह खुद को कुछ ज्यादा ही समझता था, और फिर उसके एक लंबी पूंछ भी थी जो मनुष्यों को नहीं थी। इसलिए वह खुद को मनुष्यों से श्रेष्ठ समझता था। 

एक बार उसका एक राजा से परिचय हो गया। शाखामृग की बड़ी बड़ी बातों से प्रभावित होकर उसने उसे नौकर रख लिया। एक दिन राजा सो रहा था और शाखामृग उसकी सेवा में नियुक्त था। शाखामृग ने देखा कि एक मक्खी बार बार आकर राजा की नाक पर बैठ जाती थी। इससे राजा की नींद में विघ्न पड़ता था। शाखामृग ने मक्खी उड़ाने के लिए खूंटी पर लटकी तलवार उतारकर मक्खी पर चला दी। मक्खी तो उड़ गई और उसके साथ ही राजा की नाक भी। राजा ने उसे नौकरी से निकाल दिया। 

इसके बाद समय बदला। नई तकनीकें आईं। कंप्यूटर भी आए। सब कुछ डिजिटल होने लगा। शाखामृग भी कहता फिरने लगा कि वह हजारों वर्षों से ही इस डिजिटल तकनीक का उपयोग करता रहा है। उसकी बातों से प्रभावित होकर राजा ने उसे कंप्यूटर विभाग का प्रधान सेवक बना दिया। कंप्यूटर पर बैठते ही शाखामृग अपने काम में व्यस्त हो गया। न दिन में चाय पी, न पेशाब के लिए गया, न लंच किया । बस, सिर झुकाए चुपचाप काम में लगा रहा। सुबह आठ बजे कंप्यूटर पर बैठा था और लगातार काम करता रहा अगले दिन सुबह के चार बज गए। राजा बहुत आश्चर्यचकित था। ऐसा समर्पित सेवक! 

राजा ने शाखामृग से कहा- आपको काम करते 20 घंटे हो गए हैं। हम आपकी काम के प्रति इस समर्पण भावना से बहुत प्रभावित हैं। अब आपको कुछ विश्राम करना चाहिए। 

सेवक उठा। राजा ने उसके लिए चाय मँगवाई। चाय पीते हुए राजा ने सेवक से पूछा-आज तो आपने बहुत काम किया, सांस तक नहीं लिया। क्या क्या काम किया?

प्रधान कंप्यूटर सेवक शाखामृग ने कहा- नया काम तो कुछ नहीं किया। आपके पिछले कर्मचारियों ने इसका की बोर्ड ही ढंग से नहीं बना रखा। ए बी सी डी तक का होश नहीं। शुरू ही क्यू, डब्लू, ई से कर रखा है। आज तो मैंने बड़ी मुश्किल से की बोर्ड को ए बी सी डी के क्रम से सेट किया है। अब कल से काम शुरू करेंगे। 

राजा अब अपना कंप्यूटर ठीक करवाने के लिए घूम रहा है। जब तक कंप्यूटर ठीक नहीं हो जाए तब तक सब काम बंद। 

वही हाल हुआ पड़ा है जैसे किसी ऑफिस में काम करवाने जाओ और बाबू कहे कि सिस्टम डाउन है । ठीक हो जाएगा तो शुरू करेंगे। तब तक बैठिए, या चाय-वाय पी आइए या फिर कल आइए। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)