लेखक : रमेश जोशी
व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)
ईमेल : joshikavirai@gmail.com, ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com
सम्पर्क : 94601 55700
www.daylife.page
मोदी जी की शादी 17 वर्ष की आयु में हो गई थी। मोदी जी दूरदर्शी हैं, समझदार हैं, किसी विशिष्ट काम के लिए ईश्वर द्वारा भेजे गए हैं इसलिए ईश्वरीय प्रेरणा से वे सिद्धार्थ की तुलना में अधिक साहस और समझदारी दिखाते हुए इस बंधन से निकल लिए। आज उसका लाभ भारत के 140 करोड़ लोगों और समस्त विश्व को मिल रहा है। शादी तो हमारी भी 17 साल से तीन महिने कम की आयु में ही हो गई थी लेकिन कुछ तो हमारे पिताजी का कठोर नियंत्रण और कुछ हमारी कायरता! छोड़-छाड़कर मुक्त हो जाना तो दूर की बात, हम तो कुछ बोल भी नहीं सके।
और देखिए, आज सीधे सीधे आठ पोते-पोतियों के बाबा, तीन बहुओं के ससुर, तीन बेटों के पिता और एक पत्नी के पति हैं। कुल 16 । सगे भाइयों के परिवारों को जोड़ लें तो गिनती 60-70 से ऊपर निकल जाएगी।
कभी कभी हम सोचते हैं कि अगर थोड़ा साहस दिखा दिया होता तो क्या पता, न सही प्रधानमंत्री, विधायक भी बन जाते तो आज जयपुर में विधायकपुरी में बँगला होता, कई कई पेंशन आती होतीं, मुफ़्त इलाज की सुविधा होती और इस 4 गुणा 9 फुट के सड़क पर खुलने वाले बरामदे में बैठकर आडवाणी जी की तरह कुढ़ते हुए कांच के गिलास में चाय सुड़कने से तो मुक्ति मिलती। बाहर लॉन में मूढ़ों पर बैठकर ट्रे में किसी भृत्य द्वारा लाई हुई चाय पी रहे होते। किसी भी स्थानीय कार्यक्रम में जाते तो अगले दिन किसी ‘विश्वसनीय अखबार’ के शेखावाटी संस्करण में समाचार तो छपता कि कार्यक्रम में पूर्व विधायक रमेश जोशी आदि लोग शामिल हुए। कभी कभी ‘मन की बात’ सुनते हुए का फ़ोटो भी लग जाता।
लेकिन अब पछताने से क्या होता है।
वैसे यह भी तो हो सकता था कि उस बंधन को तोड़ तो देते लेकिन ‘पन्ना प्रमुख’ तक न बन पाते। 30-40-50 साल की आयु में शादी करना भी चाहते कोई जुगाड़ ही न बैठता। हम कौन दिलीप कुमार, कबीर बेदी, मिलिन्द सोमण, सैफ अली, संजय दत्त या आमिर खान हैं जो अपने से बहुत कम उम्र की और कई कई सुंदरियाँ पटा सकें।
मोदी जी और राहुल दोनों ही अब तक देश की सेवा के लिए कुँवारे/सिंगल जैसे कुछ तो बने हुए है। कानून या कॉमन सिविल कोड इस बारे में क्या कहता है, इस स्थिति को क्या नाम देता है, हमें पता नहीं। कुछ भी हो, दोनों को कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। जब, जहां चाहें, जाएं । चाहे विश्व-भ्रमण करें या भारत जोड़ो यात्रा । हम तो अगर वैसे ही घर का दरवाजा खोलें तो कोई न कोई पूछ ही लेता है- कहाँ जा रहे है?
सोचते हैं ये दोनों रात को कभी 1-2 बजे आँख खुल जाने पर यदि राजनीति के अतिरिक्त कुछ और सुख-दुख हुआ तो किससे बतियाते होंगे ? कोई भृत्य और रैली में ‘मोदी-मोदी’ या ‘राहुल-राहुल’ करने वाला किराये का भक्त तो यह भूमिका निभा नहीं सकता । हम तो रात को पेशाब करने भी उठते हैं तो कोई न कोई बतिया ही लेता है।
मोदी जी भी हमसे आठ साल छोटे हैं लेकिन उनका रुतबा ही ऐसा है कि हमसे उन्हें कुछ कहते सुनते ही नहीं बनता और जहां तक उनके मुखर होने की बात है तो वे बहुत गंभीर रहते हैं सिवाय नेहरू और कांग्रेस का मजाक उड़ाने के।
एक बार राहुल इसी छोटे होने के अधिकार से मोदी जी के गले लग गए तो भक्तों ने संसद में हंगामा मचा दिया जैसे कि पता नहीं, क्या अघट घट गया । क्या भिन्न पार्टियों के सांसद-नेता खुले दिल से हँस, मिल और बतिया भी नहीं सकते? हम 1947 से देखते आ रहे हैं लेकिन आजकल जैसी घृणा और एक दूसरे से ऐसी चिढ़ और ऐसे घटिया रिमार्क कभी नहीं देखे।
तोताराम उम्र में हमसे छह-आठ महिने छोटा है और इसी अधिकार से वह हमारे सामने अपने बुढ़ापे को निःसंकोच धता बताकर चुहलबाजी कर लिया करता है। आज तोताराम ने चुहल करते हुए एक प्रश्न उछाला- मास्टर, आजकल अपनी सीमा हैदर का क्या हालचाल है? कई दिन से कोई समाचार नहीं छप रहा। कहीं योगी जी ने पाकिस्तान डिपोर्ट तो नहीं करवा दिया? कहीं उसका अरब कंट्री में रहने वाला पति केस जीत कर अपने साथ तो नहीं ले घसीट ले गया?
हम पहले ही सरकार द्वारा 18 महिने का डी ए हजम कर लिए जाए से दुखी थे। ऐसे प्रश्न के लिए तो बिल्कुल भी तैयार नहीं थे ।कहा- ऐसी फालतू बातें छोड़ और अपनी नाक पोंछ । कहीं मुँह में न चली जाए।
बोला- मास्टर, मजाक में भी व्यक्ति को शालीनता का त्याग नहीं करना चाहिए। सुबह सुबह नाक से निसृत तरल पदार्थ का मुँह में जाने का बिम्ब बनाकर तूने बड़ी वितृष्णा पैदा कर दी। क्या किसी सेलेब्रिटी के बारे में चर्चा करना कोई अशालीनता या अश्लीलता है जो तू इतना चिढ़ रहा है?
हमने कहा- क्या सेलेब्रिटी है? चार बच्चे लेकर पाकिस्तान से फरार हो गई। यहाँ अपनी सुनियोजित, चटखारेदार प्रेम कहानी बेच रही है। लोग प्रकारांतर से इसमें एक प्रकार का सुख अनुभव करते हैं और उसके चेनल से जुड़ जाते है। लाखों की कमाई हो रही है। सचिन और सीमा तथा परिवार वालों की बैठे बिठाए मौज हो गई।
बोला- ऐसा नहीं है मास्टर, किसी के प्रेम का मजाक नहीं उड़ाते। देखा नहीं, कितनी श्रद्धा भक्ति से राधे-राधे बोलती है, करवाचौथ मनाती है, किस शान से हिन्दू सुहागिनों वाले सोलह शृंगार करती है, सुना है राम मंदिर भी हो आई है। काँवड़ भी ले आई हो तो पता नहीं और एक तू कैसा ब्राह्मण हिन्दू है जो सीकर के स्थानीय गणेश मंदिर तक में छप्पन भोग का प्रसाद लेने नहीं गया।
हमने कहा- यह नाटक है। तुझे पता होना चाहिए कि जैसे साहित्य में विरोधाभासों में नायक नायिका का व्यक्तित्व और सौन्दर्य निखरता है वैसे ही इस नाटक के चलते ही किसी भी मुसलमान के घर पर बुलडोजर चलवा देने वाले योगी जी ने या गोली मरवा देने वाले अनुराग ठाकुर ने घुसपैठिनी होने पर भी इसे पाकिस्तान जाने के लिए नहीं कहा।
बोला- यह नाटक नहीं है। हमारी संस्कृति में नारियों की पूजा होती है, उन्हें सब धर्मों से अधिक इस धर्म में सम्मान मिलता है। सीमा हैदर को भी हिन्दू धर्म में सुख-सम्मान मिला है इसीलिए वह किसी भी सूरत में पाकिस्तान नहीं जाना चाहती।
हमने कहा- हिन्दू धर्म में नारी के सम्मान के उदाहरण तो आजकल महाराष्ट्र से बंगाल तक घमासान मचाए हुए हैं। वास्तव में सब धर्मों में नारी को एक वस्तु समझा जाता है, मुर्गी की तरह। अगर पुरुष किसी और धर्म की स्त्री को ले आए तो कोई बात नहीं। उसे धर्म का फायदा माना जाता है लेकिन अपने धर्म की कोई लड़की किसी अन्य धर्म वाले से शादी कर ले तो घाटा अनुभव होता है। इसीलिए किसी भी तथाकथित राष्ट्रभक्त हिन्दू ने आज तक यह माँग नहीं की कि विभाजन के समय बहुत से हिंदुओं ने जिन मुसलमान स्त्रियों को अपने घर में रख बसा लिया था उन्हें और उनकी संतानों को पाकिस्तान भेजा जाए। मुर्गी-बकरी का कोई धर्म नहीं होता, वे खाद्य पदार्थ समझी जाती हैं।
तोताराम, हमें तो लगता है कि सीमा हैदर का जो जलवा है उसे देखते हुए कहीं वह उत्तराखंड या आसाम की मुख्यमंत्री न बन गई हो।
बोला- मास्टर, क्या बकवास करता है। जिस तरह रमेश विधूड़ी ने संसद में दानिश अली को कटुआ, मुल्ला, भड़ुआ कहा और भाजपा ने एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया उसको देखते हुए ऐसा कैसे संभव हो सकता है?
हमने कहा-सब कुछ हो सकता है। अब जब हरियाणा में फँस गए तो दिया नहीं क्या दो मुसलमानों को भाजपा ने टिकट! मोदी जी ने शिवाजी की मूर्ति के गिरने पर माफी मांगी नहीं क्या?
बोला- सहानुभूति वोट पाने के लिए खुद को मिली गालियां गिनाना, खुद को गरीब और पिछड़ा बताना पड़ता है। क्या माफी मांगते समय मोदी जी के चेहरेऔर शब्दों से ऐसा कुछ लगा ? लग रहा था वे किसी को चेलेंज दे रहे हैं ।यह नमकहराम फिल्म में अमिताभ बच्चन की माफी जैसा ही था।
लेकिन कुछ भी हो तेरी यह सीमा हैदर के उत्तराखंड या आसाम की मुख्यमंत्री बनने वाली बात बहुत दूर की कौड़ी है। ऐसी गप्प तो पुराणों में भी नहीं चलती ।
हमने कहा- तोताराम, यह कहने का एक स्टाइल है। श्रेष्ठ साहित्य में इसी तरह से बात कही जाती है। यह व्यंजना का मामला है। लालू, अटल और मोदी चालीसा लिखने वाले तुक्कड़ चारणों को यह व्यंजना समझ नहीं आ सकती है।
बोला- तू समझा तो सही।
हमने कहा- जो व्यक्ति मूल रूप से जो होता है उसे उस रूप को अनावश्यकरूप प्रदर्शित करने की जरूरत महसूस नहीं होती । बस की छत पर चढ़कर यात्रा करने वाले को जब हवाई यात्रा करने का मौका मिल जाता है तो वह ज़िंदगी भर अपने बैग से एयर इंडिया या किंग फिशर या इंडिगो का टैग लटकाए घूमता है ।अगर किसी ऐसे व्यक्ति को अमरीका या योरप जाने का संयोग मिल जाए तो फिर अपनी हर बात ‘व्हेन आई वाज इन यू के ..’ से शुरू करता है । जिसे अपनी हाइट की कमी की कुंठा होती है वह कुछ ज्यादा ही आसमान देखता हुआ चलता है। नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है। नकली ब्राह्मण बार बार पेशाब जाता है और देर तक जनेऊ कान पर टाँगे फिरता है। जितना बड़ा धूर्त, उतना लंबा तिलक। जिसको कभी भरपेट रोटी न मिली हो वह दो पैसे आ जाएं तो अंबानी की तरह धन का भोंडा प्रदर्शन करता है। सड़कों पर जब तब फुल वॉल्यूम में डी जे कौन बजाते हैं यह बताने की जरूरत नहीं।
हिमन्त बिस्वा मुसलमानों को किसी भी आर एस एस वाले से अधिक गाली देता है क्योंकि वह मूलतः संघी नहीं है। वह खुद को सच्चा और श्रेष्ठ संघी दिखाने के लिए ऐसा कर रहा है। ऐसे ही उत्तराखंड वाला धामी पार्टी में प्रमोशन पाने के लिए हिन्दुत्व के अनावश्यक नाटक कर रहा है। सीमा हैदर और धामी-हिमन्ता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । एक तरह की कुंठा के दो चेहरे हैं। अब सीमा हैदर पर कंगना या अक्षय कुमार की किसी फिल्म की घोषणा होने वाली है । नाम होगा- हिन्दुत्व की दीवानी। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)