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टोंक। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर यूनिवर्सिटी कॉलेज आफ यूनानी, टोंक मे मानव संसाधन विकास केंद्र के संयोजन एवं अमराज निस्वां व इलमुल कवालात विभाग के सहयोग से सेमिनार का आयोजन किया गया। मानव संसाधन विकास केंद्र के कोऑर्डिनेटर एवं कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉक्टर सरफराज अहमद ने बताया कि डॉक्टर सुमबुल ने "रोल आफ यूनानी कांट्रेसेप्टिव्स इन पापुलेशन कंट्रोल- एविडेंस बेस्ड" के विषय पर व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने यूनानी चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली गर्भनिरोधक औषधीयो एवं तरीकों के उपयोग पर रोशनी डाली।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही गर्भ निरोधक औषधीयां एवं तरीके अस्तित्व में हैं यूनानी चिकित्सक परिवार नियोजन के लिए यूनानी औषधीयों एवं तरीकों का उपयोग प्राचीन समय से ही करते आ रहे हैं इनका उपयोग करना असर कारक एवं सुरक्षित है। व्यावहारिक रूप से इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं है यूनानी चिकित्सा में पुरुष और महिला दोनों के लिए गर्भनिरोधक तरीकों के इस्तेमाल के बारे में विस्तार से बताया गया है नीम का तेल, पुदीना, जंगली अनार, प्याज, अबहल, हलेला, सफेदा इत्यादि बहुत सी औषधीयों का यूनानी लिटरेचर में गर्भ निरोधक के तौर पर जिक्र हुआ है। डॉक्टर सुमबुल ने बताया कई सौ साल पहले हकीम अरस्तू ने परिवार नियोजन का कॉन्सेप्ट दिया था और इसके लिए इस्तेमाल होने वाली औषधियां के बारे में बताया था। हकीम इस्माइ जुर्जानी ने सबसे पहले कंडोम का नजरिया पेश किया था।
उन्होंने बताया कि यूनानी गर्भ निरोधक औषधीयों पर अधिक रिसर्च की जाए तो कम लागत में सुरक्षित और दुष्प्रभाव रहित गर्भनिरोधक में यूनान चिकित्सा एक विकल्प बन सकती है। एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत यूनिवर्सिटी कालेज आफ यूनानी टोंक में उप प्राचार्य डॉक्टर नाजिया शमशाद के नेतृत्व में पौधारोपण अभियान चलाया गया जिसके अंतर्गत 100 पेड़ लगाए गए उन्होंने पौधारोपण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक उपाय के रूप में हर भारतीय को एक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना है। इस अवसर पर डॉक्टर शाहिद अली खान, डॉक्टर राशिद अली खान, डॉ खतीब अहमद, डॉक्टर अब्दुल अलीम, डॉक्टर अनिसुर रहमान, डॉ मरगूब अहमद, डॉ फातिमा अंजुम, डॉक्टर अमजद सैफी, डॉ मोहम्मद आसिफ, डॉक्टर सामिया, इत्यादि विद्यार्थी एवं अन्य स्टाफ मौजूद रहे।