आन्ध्र प्रदेश के सत्तारूढ़ रेड्डी परिवार में घमासान
लेखक : लोकपाल सेठी

बरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक 

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वैसे तो छोटे मोटे मामलों को लेकर परिवारों में कलह होती रहती है। राजनीतिक परिवार भी इससे अछूते नहीं। लेकिन दक्षिण के राज्य आन्ध्र प्रदेश में  सत्तारूढ़ रेड्डी परिवार इस समय ऐसे दौरसे गुजर रहा है जो चुनावों में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। इस राज्य में लोकसभा और विधान सभा के चुनाव  एक साथ है। जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाई एसआर कांग्रेस पार्टी, जो एक दशक पूर्व कांग्रेस पार्टी से टूट के बनी थी। इस समय सत्ता में है। जगन मोहन रेड्डी अपनी पार्टी को फिर सत्ता में लाने के लिए हरचंद कोशिश कर रहें हैं। उन्हें न केवल बीजेपी-तेलगु देशम पार्टी के गठबंधन से जूझना पड़ रहा है बल्कि  उनकी अपनी बहन वाईएस शर्मीला के  नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी से भी लड़ना पड़ रहा है सबसे कड़ी लड़ाई इस परिवार के गृह जिले कडपा में है जहाँ चचेरे, ममेरे तथा मौसेरे भाई एक दूसरे को चुनौती दे रहे है। 

पिछले चुनावों में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, जो एक क्षेत्रीय दल हो, को लोकसभा की कुल 25 सीटों में से 23 सीटें मिली थीं।  इसी प्रकार विधान सभा की 175 में से 150 सीटें जीतने में सफल रही थी। यह एक तरफा चुनाव था जिसमें कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया था। उस समय सत्ता में रही तेलगु देशम पार्टी को बहुत कम सीटें मिली थीं। बीजेपी की उपस्थिति भी नहीं के बराबर थी। इस बार लगभग सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले है। यह मुकाबला वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस पार्टी तथा तेलगुदेशम- बीजेपी गठबंधन के बीच है। लेकिन सबसे अधिक दिलचस्प चुनाव रेड्डी परिवार के गढ़ समझे जाने वाले कडपा जिले की एक लोकसभा सीट तथा इसके नीचे आने वाली 7 विधानसभा सीटों पर हैं। इन सब में विशाल रेड्डी परिवार के सदस्य ही एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे है। कभी कांग्रेस के प्रमुख नेता वाईएस राजशेखर रेड्डी यहाँ से तीन बार लोकसभा के सदस्य रहे थे। यहीं से   विधानसभा का चुनाव जीत कर वे राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। पर अचानक एक हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद उनका परिवार राजनीतिक रूप से  बिखरना शुरू हो गया। जब कांग्रेस पार्टी ने राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन मोहन रेड्डी को उनका उत्तराधिकारी नहीं बनाया तो उन्होंने पार्टी को तोड़ कर वाई एस आर कांग्रेस पार्टी बना ली। 2014 के चुनावों में इस पार्टी को कोई तवज्जो नहीं मिली लेकिन 2019 के चुनावों यह पार्टी बड़े बहुमत से सत्ता में आई।  इसी समय रेड्डी परिवर में फूट पड़नी शुरू हो गई। उन्होंने अपने चाचा विवेकानंद रेड्डी, जो दो बार यही से लोकसभा का चुनाव जीत थे, को अपने से दूर कर दिया। धीरे-धीरे उनकी बहन शर्मीली अपनी माँ के साथ पार्टी से अलग हो गई। माँ और बेटी ने नए बने राज्य तेलंगाना में जाकर वाई एस आर तेलंगाना कांग्रेस पार्टी बना ली। जगन मोहन रेड्डी ने इसी परिवार के तथा रिश्ते में एक भाई अविनाश को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। 2019 के लोकसभा चुनावों से पूर्व विवेकानंद रेड्डी की उनके घर में हत्या कर दी गई। विवेकानंद रेड्डी के परिवार का आरोप था कि इस हत्या के पीछे जगन मोहन रेड्डी का हाथ था।  अविनाश ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई थी। जगन मोहन रेड्डी ने 2019 में अविनाश को इसी स्थान से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया और और वे चुनाव जीत गए। इसी बीच जब इस हत्या का मामला सी बी आई  को सौंपा गया तो अविनाश रेड्डी ने अदालत से अग्रिम जमानत ले ली। इन चुनावों में भी   अविनाश फिर मैदान में है। उधर शर्मीली और उनकी माँ पार्टी वाईएसआर तेलंगाना कांग्रेस पार्टी कोई कमाल नहीं कर पाई उन्होंने वापिस कांग्रेस में लौटने का निर्णय किया। कांग्रेस पार्टी चुनावों से कुछ पूर्व ही शर्मीली को आंध्र प्रदेश कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बना दिया और यह  तय किया कि पार्टी उनके नेतृत्व में  लोकसभा का तथा विधान सभा का चुनाव लड़ेगी। जब पार्टी के उम्मीदवारों के घोषणा की गई तो उसमे शर्मीली को कडपा से अपने रिश्ते के भाई अविनाश   के सामने उतरा गया। चुनाव में शर्मीली की माँ के साथ-साथ उसकी चाची सौभाग्या खुलकर अविनाश के खिलाफ प्रचार कर रही है। उधर तेलगु देशम पार्टी के अध्यक्ष तथा राज्य के मुख्यमंत्री रहे चंद्रबाबू नायडू का दावा है कि इस त्रिकोणीय मुकाबले में उनके उम्मीदवार की जीत निश्चित है।  (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)