कर्नाटक में फिर उभरता कट्टरपंथ, आंतंकवाद


लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक 

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हाल ही में हुए राज्यसभा के चुनावों में दक्षिण इस कर्नाटक राज्य में कांग्रेस के जिन उम्मीदवारों की जीत हुई उनमें एक मुस्लिम सैयद नासिर हुसैन भी था। विधानसभा परिसर, जिसे यहाँ विधान सौद्धा कहा जाता है, में जब कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों की जीत का जश्न मनाया जा रहा था तब कांग्रेस केपक्ष में  जोरों से नारे लग रहे थे। अचानक कांग्रेस जनों के भीड़ में “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे सुनाई देने लगे। हालांकि पार्टी नेताओं ने इसको रोक दिया लेकिन  तब तक ये नारे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो चुके। 

विपक्ष, विशेषकर बीजेपी, इसको लेकर कब चूकने वाला थी। उसने तुरंत मामले को उठाया कांग्रेस के नेतृत्व पर हमला कर दिया। जब मामला मुख्यमंत्री   सिद्धार्मिया की नज़र में आया तो उन्होंने इसे पुलिस की ख़ुफ़िया शाखा को सौंप दिया। शुरू में कहा गया कि ऐसे नारे नहीं लगे लेकिन जल्दी ही यह बात पुख्ता हो गई कि नारे, एक नहीं कई बार, लगे थे। पुलिस में औपचारिक रूप से मामला दर्ज किया गया। जल्दी ही तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।  अब इस बात की जाँच हो रही है कि इन तीनो का किन संगठनों से संबंध है तथा किसने उनको यह नारे लगाने के लिए उकसाया गया था।

इस घटना के तुरंत बाद राज्य की राजधानी बंगलुरु के आईटी संस्थानों वाले इलाके में एक रेस्टोरेंट में बम धमाका हुआ जिसमें 9 लोग जख्मी हुए तथा   रेस्टोरेंट को भी काफी नुकसान हुआ। हालाँकि इन दोनों घटनायों का सीधा कोई संबंध नहीं था लेकिन इन घटनाओं ने प्रशासन और पुलिस को चौंका दिया।      नारे लगाये जाने वाली घटना की कांग्रेस पार्टी ने अपने स्तर पर जाँच करवाई। बम धमाके का मामला राष्ट्रीय जाँच एजेंसी को सौंप दिया गया। बम धमाके की घटना को अधिक गंभीरता से लिया गया क्योंकि जिस रेस्टोरेंट में यह धमका हुआ वह आई टी क्षेत्र में काम  करने  वालों में बहुत लोकप्रिय था। इसकी   कर्नाटक सहित दक्षिण के कई अन्य राज्यों में भी शाखाएं है। 

सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई फूटेज के अनुसार, सिर पर कैप लाये और कंधे पर एक बैग लटकाए एक युवा दोपहर के समय रेस्टोरेंट में आया। उसने अपना खाने का टोकन लिया तथा अपना बैग कूडादान के पास रख अंदर कुर्सी पर जाकर बैठ गया। वह वहां लगभग दस मिनट बैठा और फिर बैग वहीं छोड़ चला  गया। उसके जाने के लगभग15 मिनट बाद जोर से एक धमाका हुआ। धमाका इतना जोर का था कि इसमें 9 लग घायल हो गए। प्रारंभिक जाँच में यह बात  सामने आई कि यह धमाका मैन्गलुरु में पिछले साल हुए धमाके की तरह था। वह धमका प्रेशर कुकर में रखे बम से हुआ था। पुलिस का मानना है बम धमाके के पीछे चरम पंथी हुबली ग्रुप के लोगों का हाथ है। इस मामले में कुछ ग्रिफ्तारियां भी हुई। 

कांग्रेस के विरोधियों का कहना है कि राज्य में पिछले साल सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के मुस्लिम कट्टरपंथियों के प्रति नर्म रुख के चलते ऐसे तत्वों को शह    मिल रही है। प्रतिबंध से पहले मुस्लिम कट्टर पंथी संगठन पी ऍफ़ आई, जो केरल में केन्द्रित था, इस राज्य में काफी सक्रिय था। केंद्र सरकार ने इस संगठन पर तो प्रतिबंध लगा दिया लेकिन इसके राजनितिक संगठन एस डी पी आई पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। 2018 के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी और एस डी पी आई में गठबंधन  था। 

एस डी पी आई  को कोई सीट तो नहीं मिली लेकिन इसके नेतओं को यह वायदा किया गया कि अगर राज्य में फिर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह पी ऍफ़ ई के नेताओं के विरुद्ध दर्ज मुकदमे वापिस ले लेगी। जब चुनावों के बाद राज्य कांग्रेस और जनता दल (स) की मिली जुली सरकार बनी तो बड़ी संख्या में पी ऍफ़ ई से जुड़े लोंगों के मुकदमे वापिस ले लिए गए। मुस्लिम संगठनों की मांग के चलते पिछली कांग्रेस सरकार ने टीपू जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाना शुरू किया था। जब बीजेपी सत्ता में आई तो उसने टीपू  जयंती को सरकारी तौर से मनाना बंद कर दिया।    वर्तमान कांग्रेस सरकार ने फिर से टीपू जयंती को सरकारी तौर से मनाने का निर्णय किया। बीजेपी का कहना है कि कट्टर मुस्लिम वाद पर सरकार के नर्म रुख से कट्टरपंथी फिर से सक्रिय हो गए हैं। इसके चलते ही ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)