ईसरदा बांध डूब क्षेत्र के किसानों का धरना-प्रदर्शन

मुख्यमंत्री के आने से पहले ही आरम्भ हुआ जो मुख्यमंत्री के जाने तक ज़ारी रहा था।

अरशद शाहीन 

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टोंक। बनेठा में ईसरदा बांध के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निरक्षण के दौरान भी धरना-प्रदर्शन करतें रहे पीड़ित किसान नहीं सुनी पीड़ा। किसान महापंचायत के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में बड़ी संख्या में महिला, बच्चे, युवाओं ने लिया भाग किसान एकता जिंदाबाद के नारे लगाए गये। किसी भी जनप्रतिनिधी एवं भाजपा नेता ने किसानों की समस्याओं पर चर्चा तक नहीं तथा किसानों तब से मिलने नहीं पहुंचे भाजपा नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री को हाजरी लगातें नज़र आये।किसान महापंचायत युवा प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद चौधरी के नेतृत्व में पांच सदस्यों का सिस्ट मंडल ज्ञापन देने गया था जिसमें अध्यक्ष जमनालाल माली, माधोलाल कीर, रामकल्याण माली, कालुराम नाई रहें, परन्तु प्रशासन द्वारा अलग से ज्ञापन दिलाने के लिए व्यवस्था नहीं कराने के कारण किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने सम्भागीय आयुक्त एवं ज़िला कलेक्टर टोंक को ज्ञापन सौंपा तो कलेक्टर टोंक द्वारा 25 जनवरी की वार्ता के अनुसार सिंचित जमीन ,परिसम्पतियों, पुनर्वासन,तथा वर्तमान डीएलसी दर के अनुसार मुआवजा दिया जाने की सहमति व्यक्त की। 

सेवारामपुरा की जमीन को अवाप्ति मुक्त करने का पत्र प्रेषित किया, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक के के मंगल द्वारा कदाचार करने के कारण निलम्बित करने की मांग उठाई।ईसरदा बांध डुब क्षेत्र के किसानों का प्रतिनिधि मंडल ने देखा की भाजपा नेता केवल फोटो के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान आते-जाते दिखे ।टोंक जिले के किसान को भाजपा के खिलाफ खड़े होने की तैयारिया शुरू करेंगे। 

सांसद सुखबीर सिंह जोनापूरिया, जिला प्रमुख सरोज बंसल , टोंक अजीत सिंह, देवली -उनियारा विजय बैंसला भाजपा उम्मीदवार भी मौजूद रहे परन्तु उन्होंने भी नही रखीं किसानों की बात जबकि इन्हें डूब क्षेत्र के किसानों ने जम कर दिया वोट ।किसानों की उपेक्षा करने के कारण भाजपा को लोक-सभा चुनावों में वोट की चोट करके किसानों दिखायेंगे आईना तब खुलेंगी आंखें । मुख्यमंत्री के चले जाने के बाद।देवली-उनियारा से विजय सिंह बैसला किसानों के मध्य पहूंचकर किसानों से व्यथा सुनने लगें परन्तु विडियो बनाने वालों को बार-बार रोकने लगें । किसानों ने अपने मध्य बिठाया और वर्तमान डीएलसी एवं एक परिवार जन को सरकार नौकरी की मांग बताई तों चुप्पी साधे एवं किसानों की बातों से घीरे नज़र आये। जल्द किसान बड़े आन्दोलन की करेंगे तैयारियां जो टोंक जिले का सबसे बड़ा आन्दोलन होगा।