केरल में धमाके, हमास के पक्ष में रैली...!
लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक 

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पिछले हफ्ते के आखिरी दिनों में धुर दक्षिण के राज्य केरल में एक के बाद एक, दो ऐसी घटनायें हुई जिसको लेकर यह राज्य देश के अख़बारों और मीडिया चैनलों में सुर्ख़ियों में छाया रहा। शुरू में ऐसे संकेत मिले कि दोनों घटनाएँ आपस में जुडी हुई है। लेकिन बाद में सामने आया कि इनका आपस में कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है। एक घटना राज्य के मुस्लिम समुदाय से जुडी हुई है और दूसरी ईसाई समुदाय से। राज्य में सबसे बड़ी हिन्दू आबादी के बाद मुस्लिम  समुदाय का स्थान दूसरा है जो कुल आबादी का लगभग 26 प्रतिशत है। ईसाई आबादी मोटे तौर पर 18-19 प्रतिशत है। इन दोनों घटनायों को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं तथा इनको लेकर राज्य की वाम सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। 

राज्य में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का मुस्लिम मल्लपुरम जिले में बड़ा दबदबा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी इस जिले से चुनकर लोकसभा में पहुंचे है। राज्य में मुसलमानों का एक अन्य बड़ा संगठन जमाते-इ-इस्लामी है। इसी संगठन के यूथ विंग सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट ने पिछले दिनों मल्लपुरम  में फिलस्तीन के पक्ष में एक रैली निकाली। यह रैली इसलिए विवाद में आ गई क्योंकि इसे मुस्लिम देश कतर में बैठे आतंकवादी संगठन के पूर्व मुखिया  खालिद मशाल ने वर्चुअल तरीके से संबोधित किया था। रैली का मुख्य उद्देश्य यहाँ के मुसलमानों की ओर से यह जतना था कि भारत के मुस्लिम   फिलस्तीनियों और हमास के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े है। देश की वर्तमान नीति फिलस्तीन के समर्थन की है लेकिन भारत हमास को एक  आतंकवादी संगठन मानता है और उसका समर्थन नहीं करता। जैसे ही इस रैली और इसे मशाल द्वारा संबोधित किये जाने की खबर दिल्ली पहुंची, केंद्रीय  गृह मत्रालय ने राज्य सरकार से इसकी रिपोर्ट मांगी। 

अभी इस घटना को लेकर विवाद थमा ही नहीं था कि कोच्ची शहर के एक ईसाई समुदाय के संगठन की सभा में एक साथ कई धमाके हुए जिसमें तीन लोग मारे गए तथा तीन दर्ज़न से भी अधिक लोग जख्मी हो गए। शुरू में यह आशंका व्यक्त की गई थी कि इन धमाकों के पिच्छे किसी कट्टरवादी मुस्लिम संगठन    का हाथ हो सकता है। कारण यह बताया गया कि जिस सभा स्थल पर ये धमाके हुए उसे पास ही कुछ यहूदी परिवार रहते है। हो सकता है कि धमाके करने वालों का उद्देश्य  उन्हें डरना हो। लेकिन घटना के कुछ ही घंटों बाद जब डोमिनिक मार्टिन नाम के एक व्यक्ति ने इन धमाकों की जिम्मेदारी लेते हुए पुलिस स्टेशन पर जाकर आत्मसमर्पण कर दिया तो यह साफ़ हो गया कि इन दोनों घटनायों का सीधा कोई संबध नहीं है। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय इन घटनाओं की तह में जाना चाहता है इसलिए तुरंत राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की टीम को केरल रवाना कर दिया। 

यह बात सामने आई है कि अन्य धर्मों के तरह ईसाई धर्म में भी कई साम्प्रदाय और उप साम्प्रदाय है। इसको लेकर बीच-बीच में टकराव होते रहते है। ऐसा ही छोटा-सा साम्प्रदाय यहोवा विटनेस (यहोवा साक्षी मंडल ) है। यह साम्प्रदाए लगभग 150 वर्ष पूर्व सामने आया था। इसके मानने वालों की संख्या तो अधिक नहीं लेकिन ये लगभग 200 देशों में फैले हुए है। केरल में इनकी संख्या 8000 से 10000 के बीच बताई जाती है। 

इनका मानना है क्राइस्ट भगवान नहीं थे। वास्तिक भगवान यहोवा थे, क्राइस्ट उनके एक पैगम्बर यानि संदेशवाहक मात्र थे। वे अपने आपको किसी देश का नागरिक नहीं मानते। न उस देश की सेना में जाते है जहाँ के वे बाशिंदें हैं। इनके यहाँ पुजारी यानि पादरी जैसा कोई नहीं होता। वे कुछ मायनों में यहूदियों  के  अधिक नज़दीक माने जाते है। धमाको की जिम्मेदारी लेने वाला मार्टिन इस साम्प्रदाय से पिछले दो दशकों से जुड़ा हुआ है। लेकिन वह इस सम्प्रदाय की कुछ बातों का घर विरोधी था। जब भी वह इसकी सभाओं में जाता वहां अपनी बात कहने से नहीं चूकता था। उसको  यह बात नहीं सुहाती थी कि उसकी आपतियों दर किनार कर दिया जाता है। इसी को लेकर उसने इस सम्प्रदाय की सभा में धमाके करने का निर्णय लिया। मार्टिन पेशे से एक कुशल इलेक्ट्रीशियन है तथा 15 वर्ष दुबई में नौकरी की है। उसका दावा है कि उसने खुद तीन बम बनाये थे तथा मोबाइल से जुड़े सर्किट से धमाके किया थे। पर पुलिस यह मान कर चल रही है यह काम उसने अकेले नहीं किया था उसके साथ कुछ और लोग भी रहे होंगे। सारे मामले के जाँच इसी आधार पर हो रही है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)