राजस्थान की एक मात्र मुस्लिम रियासत टोंक

15 नवंबर 1817 को वजूद में आई 

अरशद शाहीन 

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टोंक। यूं तो बानी ए टोंक हिज़ हाईनेस नवाब मुहम्मद अमीर ख़ां साहब बहादुर शमशीर जंग को टोंक 1806 में ही मराठा साम्राज्य के यशवंत राव होलकर द्वारा नवाब की उपाधि देकर दिया जा चुका था। 

लेकिन अमीर ख़ां की बहादुरी, आक्रामकता, युद्ध कौशल, निरंतर विजय से डर कर तृतीय एंग्लो मराठा युद्ध के बाद ब्रिटिशर्स ने अमीर ख़ां को 1817 मैं विधिवत रूप से क्षेत्रफल बढ़ा कर टोंक रियासत की स्थापना कर उन्हें नवाब घोषित कर दिया। 

टोंक स्थापना के समय अमीर ख़ां के पास 8000 के क़रीब घुड़सवार, 10000 के क़रीब पैदल सैनिक, 200 बंदूक़ें, 152 के क़रीब तोपें और असलाह बारूद था। अंग्रेज़ों की शर्त थी कि अब आपको अपनी फ़ौज को निष्क्रिय करना होगा। शर्त के मुताबिक़ नवाब अमीर ख़ां ने ऐसा ही किया। नवाब अमीर ख़ां ने अपनी रियासत को ब्रिटिश इंडिया से बाहर रखा और राजपूताना एजेंसी के सुपरविज़न मैं रहे। 

6 परगनों सहित टोंक क्षेत्रफल की दृष्टि से बोहोत बड़ी रियासत थी, जो की राजधानी टोंक,  अलीगढ़ और निंबाहेड़ा से लेकर पिड़ावा, छबड़ा व सिरोंज जो की अब मध्यप्रदेश का हिस्सा हैं तक हुआ करता था। यह नवाब मुहम्मद अमीर ख़ां ही थे जिनकी बदौलत हमको यह टोंक मिला और उनके बाद उनके उत्तराधिकारी नवाब टोंक पर शासन करते रहे और टोंक को विकसित किया। 

अमीर खां की बहादुरी के क़िस्सों में सुनते हैं कि अमीर ख़ां टीपू सुलतान से मिलने का मन बना चुके थे, अगर टीपू सुलतान और अमीर खां की फौजें मिल गई होतीं, तो हिंदुस्तान काफ़ी पहले अंग्रेज़ों से आज़ाद हो गया होता। यह शोध का विषय है। बहरहाल, 15 नवंबर 1817 को वजूद मैं आई टोंक रियासत, हमारा अपना #टोंक हर वर्ष अपना स्थापना दिवस हर्षोल्लास से मनाता है। 

टोंक रियासत के स्थापना दिवस की मुबारकबाद और इस मौक़े पर बानी ए टोंक हिज़ हाईनेस नवाब मुहम्मद अमीर ख़ां साहब बहादुर शमशीर जंग को ख़िराज ए अक़ीदत पेश है।