भारत में ओलम्पिक गेम्स
लेखक : नवीन जैन 

वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार, इंदौर, (एमपी)

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पीएम नरेंद्र मोदी देश के नाम आकाशवाणी पर अपने चर्चित मासिक कार्यक्रम मन की बात में इस बार खेलों पर भाषण दिया। पीएम मोदी ने एशियाई, और पैरा एशियाई खेलों में हाल में भारत के खिलाड़ियों को, जो धुआंधार कामियाबी मिली, उसकी उन्होंने उससे भी बढ़कर धुंआधार शब्दों में तारीफें की। इस संबोधन को भी राजनीतिक चश्मे से देखना हमारे खिलाड़ियों की प्रतिभा, निष्ठा, श्रम, और समर्पण पर पानी फेरना जैसा ही नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के खेल संबंधित सपनों को कुचलने जैसा काम होगा। सैकड़ों बार जाहिर हो चुका है, कि जिस देश की नई नस्लें खेलों में भी आगे नहीं बढ़ाई जाती, वो देश या तो आपस में लड़ता, झगड़ता रहता है, या आसपास के देशों पर बिला वजह आक्रमण करता रहता है। 

निश्चित रूप से कुछ देश इस व्याख्या के प्रतिकूल आचरण करते हैं, लेकिन उनकी इस सीना जोरी करने वाली मानसिकता की वजहें कुछ और हैं। यह बात हरदम वक्त की दीवारों पर खुदी रहेगी, कि युद्धों को रोकने के लिए भी विभिन्न खेलों का आविष्कार हुआ। अब हवाला पीएम नरेंद्र मोदी के एक पिछले सार्वजनिक बयान का, जिसमें उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े खेल  मेले के ओलिंपिक के 2036 में भारत में आयोजित करने की पुरजोर संभावना जताई थी। पता हो कि ओलिंपिक खेलों का आयोजन प्रत्येक चार साल में अलग-अलग देशों में होता है,लेकिन भारत का नंबर आज तक नहीं आया। अब  2036 में आने का कारण यह है कि 2032 तक के ओलिंपिक आयोजित करना चाहने वाले देशों के नामों पर ओलिंपिक समिति की आख़िरी मुहर लग चुकी है। 

उक्त खेल मेले के भारत में आयोजित करने के हक में सबसे बड़ी बात यह जाती है, कि अब क्रिकेट के खेल को आधिकारिक रूप से ओलिंपिक खेलों की फेहरिस्त में शामिल कर लिया गया है। विशेष रूप से गौर फरमाएं कि सुर साम्राज्ञी भारत रत्न स्व. लता मंगेशकर ने क्रिकेट को भारत के राष्ट्रीय धर्म का विशेषण देकर इस खेल की जड़ें भारतीय जन मानस में गहरे से जमा दी थी, और यह तथ्य भी रेखांकित करने योग्य है, कि क्रिकेट के वन डे मैच में भारत को 1993 में वर्ल्ड कप में जो विश्व विजेता का खिताब मिला, उसने इतर खेलों की तरफ भी भारत के आम आदमी तक को सकारात्मक रूप से प्रवृत्त किया। वे बात और है कि हमारा राष्ट्रीय खेल आज भी हॉकी है। 

यह भी सही है, कि दुनिया के कुल दस बारह देश ही क्रिकेट खेलते हैं, जिनमें भी भारत, पाकिस्तान, इंगलैंड, आस्ट्रेलिया जैसे देश प्रमुख हैं, लेकिन इस सवाल का भी माकूल जवाब कितने लोगों के पास है कि आज भी आदिम युग में जीने को अभिशप्त अफगानिस्तान उर्फ तालिबान जैसा देश  क्रिकेट के खेल में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज़ करता आ रहा  है। और, जिम्बावे, बांग्ला देश, और श्रीलंका जैसे सीमित साधनों वाले देश भी सामने वाली टीम को अचानक गोता खिला देते रहें हैं। जहां तक 2036 के ओलिंपिक खेलों के लिए आवश्यक बुनियादी सरंचना या बेसिक इंफ्रास्त्राक्चर की बात है, तो सालों पहले भारत एशिया या एशियाड खेलों, राष्ट्र मंडल खेलों साथ ही पिछले कुछ सालों में क्रिकेट, और हॉकी वर्ल्ड कप का सफलता पूर्वक आयोजन कर चुका है। 

बात उठाई जाएगी मैदानों की, स्टेडियम की, सड़क, वायु, और ट्रेन मार्गो की। इस मुद्दों पर भी सियासत करना देश के सुखद भविष्य के मार्ग में अवरोध खड़े करना है। अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम के अलावा वहां की कांच जैसी सड़कें, फाइव स्टार होटलों की श्रंखला, आधुनिकतम ट्रेन, और बस सुविधा, जरूरत पड़ने पर वर्ल्ड क्लास हेल्थ केयर फेसिलिटी भी वहां मौजूद है। दूसरी तरफ तमाम महानगरों जैसे  मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलरू, हैदराबाद, चेनाई, पुणे तो ठीक इंदौर, भोपाल से सीधे लंबी दूरी की ट्रेन, या बस कनेक्शन ही नहीं सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ाने भी उपलब्ध हैं। देश में लंबा फोर ,सिक्स लाइन के सड़क मार्ग का जाल बिछा हुआ है। वर्ल्ड क्लास शॉपिंग मॉल, एक से एक  टूरिस्ट स्पॉट देश में विकसित कर दिए गए हैं। 

आज, और आगे भी भारतीय समाज में हर कोई क्रिकेट का शौकीन बंदा या बंदी  भारत रत्न सचिन तेंदुलकर या विराट कोहली बनना चाहती है। यही बात धीरे-धीरे अन्य खेलों पर भी लागू होने लगी है। आज के युवाओं का हीरो भाला फेंक में वैश्विक स्तर पर छा  चुके नीरज चोपड़ा भी है। ऐसे ही अन्य नए खिलाड़ियों में रणवीर  सैनी, सिया सरोदे, टी.विशाल, अनुराग प्रसाद, इंदू प्रकाश के नाम लिए जा सकते हैं। पिछले दिनों इन खिलाड़ियों ने रोलर स्केटिंग, बीच वालीबाल, फुटबॉल में पदकों की झड़ी लगा दी। 

आज भी उड़न सिक्ख स्व.मिल्खा सिंह, उड़न परी पी.टी. उषा, मेजर ध्यानचंद, सानिया मिर्ज़ा, स्व. दारा सिंह, स्व.गामा पहलवान, जैसे खिलाड़ियों को कौन नहीं जानता, तो लगभग तय माना जाना चाहिए कि भारत 2036 एक्स ओलंपिक खेल मेला की मेजबानी कर सकता है, बशर्ते इसके लिए अभी से युद्ध स्तर पर तैयारियां अभी से शुरू की जाए। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)