गुढा में सांभर साल्ट रिफाइनरी के क्रियाशील होने का 1 साल से इंतजार

अंग्रेजों के जमाने का स्ट्रक्चर और निर्माण आज भी मजबूती से खड़ा है

रिफाइनरी के बंद होने से सैकड़ो कर्मचारी व श्रमिक  रोजगार से वंचित हुए

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। भारत सरकार का उपक्रम सांभर साल्ट लिमिटेड की गुढा स्थित रिफायनरी इन दिनों अपने सबसे बङे बुरे दौर से गुजर रही है। बताया गया कि करीब एक साल से रिफाइनरी में होने वाला काम काज भी ठप पङा है। यहां बङी तादाद में काम करने वाले श्रमिक व कर्मचारी भी बेरोजगार हो गए है। लोगों ने बताया कि गत वर्ष यहां रिफाइनरी में शार्ट सर्किट से आग में एक मजदूर झूलस गया था जिसकी जयपुर एसएमएस अस्पताल में उपचार के दोरान दो तीन दिन बाद मौत हो गई थी।  इसके बाद से  रिफाइनरी में लगी आधुनिक तकनीक से निर्मित बॉयलर, नमक निर्माण के लिए चलने वाली विभिन्न प्रकार की मशीनें बंद पड़ी है। 

बताया गया है कि अब गांव सहित आसपास के सैकङो लोगों को नई सरकारी रिफाइनरी की सौगात मिलने वाली है, लाखों रूपए की लागत से बनने वाली इस नई ईमारत का नया लुक कुछ दिनों बाद दिखने लगेगा। दिपावली के पश्चात निर्माण कार्य शुरू होने की खबर सुनकर ग्रामीणों में हर्ष की लहर है। कई दिनो से बेरोजगार हुए श्रमिकों और कर्मचारियों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। बिजली आपूर्ति के लिए विगत दिनों रेलवे-स्टेशन फाटक के पास करीब एक डेढ बीघा जमीन पर विशाल सोलर प्लांट बना दिया गया, जिसे आपातकालीन परिस्थिति में भी विधुत सप्लाई बाधित नही हो सकेगी। बता दें कि यहा बनी सांभर साल्ट की बङी बङी नमक की क्यारियो से लदान कर दूसरी जगह सांभर, नावां, राजास भेजकर रिफाइंड आदि करवाया जा रहा था लेकिन अब नमक बनने की क्रिया, निकालने, फिल्टर, रिफाइंड, फोर्टीफाइड, सोडियम का मिश्रण कर उच्च गुणवता वाला शुद्ध नमक तैयार कर पेकिंग तक का संपूर्ण काम यहीं से होने लगेगा। 

जिसका देश -विदेशो तक शुद्ध नमक निर्यात होना प्रारंभ हो जाएगा। दूसरी ओर बताया गया कि यहां अंग्रेजो की हुकूमत से भी पहले अदभुत कारीगरी से तराशे गए पत्थरो से निर्मित भारत सरकार की राष्ट्रीय धरोहर के कई प्रमाणिक स्थल, सुपरिटेंडेंट कार्यालय सहित पक्के निर्माण, रेलवे मीटर गेज की लाइने आज भी अडिग खङी है। माल का आदान-प्रदान, क्रय-विक्रय तथा लेखे जोखे के हिसाब का खाका भी तैयार यहीं से किया जाता था। पुराने समय से ही यहां लोहे की पटरियो बनी चारदीवारी में एक छोटा पार्क बना हुआ है जिसमें वाटर फव्वारा, ध्वजारोहण लिए बनाया गया मंच विलुप्त होने के कगार पर है। अंग्रेजों के समय सुपरिटेंडेंट कर्नल यहां पर स्वतंत्र और गणतंत्र दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण करते थे।  

वर्तमान में पानी की टंकी, बंजरग बली तथा शेर पर सवार शाकंभर माता का भव्य मंदिर है। पेङ बगीचे में कटीली झाङियां और खरपतवार उग जाते है। जिसकों नष्ट कर सुगन्धित और छायादार पेड़ पौधे लगाने की दरकार है। बता दें कि अति प्राचीन समय में राजा महाराजाओ और अंग्रेजो ने करीब पांच-छः किलोमीटर लम्बे मार्ग पर रेलवे लाइन डलवाई जिसे माल ढुलाई आदि कार्य के लिए आवागमन होता था लेकिन अब यहां से लाईने हटाकर साफ-सफाई करा दी गई है। रेलवे पटरियो को अलग करने के पीछे का कारण लोगों ने भारत सरकार के लिमिटेड उपक्रम द्वारा यहां सड़क निर्माण कार्य में योगदान देना बताया है। गौरतलब है कि सहयोग प्राप्त हो तो सरकार और सांभर सॉल्ट को राजस्व सहित आसपास क्षेत्र के हजारों लोगो को सुगमता प्राप्त होगी।