पदमश्री भावना सोमाया के साथ टॉक शो
जयपुर। भारतीय प्रेस पत्रकार संघ के तत्वावधान में पिंकसिटी प्रेस क्लब में देश की प्रतिष्ठित फिल्म पत्रकार, बायोग्राफी लेखिका, पद्मश्री भावना सोमाया के साथ टॉक शो का आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी और वरिष्ठ पत्रकार-लेखक विनोद भारद्वाज ने भावना सोमाया से बात की। टॉक शो से पूर्व भारतीय प्रेस पत्रकार संघ के अध्यक्ष अभय जोशी ने भावना सोमाया के पटकरिता में दिए गए उनके योगदान के लिए उन्हें भारतीय प्रेस पत्रकार अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। सेशन में सोमाया ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि बॉलीवुड सिनेमा दुनिया का सबसे बड़ा सिनेमा है और शानदान पहचान रखता है। आज क्षेत्रीय और मैनस्ट्रीम सिनेमा मिलकर बेहतरीन काम कर रहा है।
उनका कहना था कि मेरे ऊपर किसी फिल्म के पक्ष में समीक्षा लिखने के लिए किसी स्टार ने दबाव नहीं डाला। समीक्षा बड़ा मुश्किल काम है। मुझे फिल्म अच्छी लगी कि नहीं यह देखती थे। हम किसी से राय नहीं लेते थे। शबाना आजमी मेरी मित्र रही हैं दोस्ती के कारण कास्ट्यूम्स की डिजाइन करती थी। उनके करेक्टर को समझा और उनके लिए कॉस्ट्यूम्स डिजाइन किए। मुझे कास्ट्यूम्स डिजाइन करने का शौक नहीं था। मैंने हमेशा वह काम किया जो मेरे मन ने कहा। हमारी पीढ़ी के लोगों ने कभी ऐसा नहीं सोचा कि कितना पैसा मिलेगा। जो जिम्मेदारी मिली उसे निष्ठा से निभाया।
पिता चाहते थे मैं वकील बनूं लेकिन फिल्म पत्रकार बन गई। उन्हें बहुत दुख हुआ। कहा कि यह भूखी मरेगी। जर्नलिस्ट इसलिए बनी कि हमारे मन मस्तिष्क में चिंतन मौजूद रहा। प्यार और पैसा दोनों मुश्किल चीज है। आपने इनके पीछे भागना छोड़ दिया तो वह आपके पीछे भागेंगे।
बॉलीवुड के भविष्य पर पूछे गए सवाल के जवाब में भावना ने कहा कि जो भी कुछ दुनिया में हो रहा है उसके लिए बॉलीवुड को ब्लेम करना बंद कर दें। जब भी देश में कोई आपदा आती है उन्हीं को अपील के लिए बुलाया जाता है। उन पर छड़ी मारना बंद कीजिए। जहां तक फिल्मों का सवाल है अच्छी और बुरी सभी तरह की फिल्में हमेशा बनती रही है।
सोमाया ने कहा कि हिन्दुस्तानी सिनेमा भी वैसे ही बदलता है जैसे हिन्दुस्तान बदलता है। अब सभी क्षेत्रों के फिल्मकार, कलाकार साथ काम कर रहे हैं। हम हॉलीवुड से बेहतर रहे हैं। सोमाया ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि एक जमाने में जां निसार अख्तर, सरदार अली जाफरी, साहिर लुधयानवी, कैफी आजमी जैसे प्रगतिशील गीतकार थे, लेकिन ऐसा नहीं है कि आज अच्छा नहीं लिखा जा रहा है। समय के साथ परिवर्तन होता ही रहा है।
एक सवाल के उत्तर में भावना सोमाया ने यह भी बताया कि उन्होंने नरेन्द्र मोदी की डायरी का गुजराती से अंग्रेजी में अनुवाद किया है। तब वे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नहीं बने थे। मुझे इसके लिए एक मित्र ने आग्रह किया था। ‘‘लेटर्स टू मदर’’ नाम से मोदी जी ने यह विचार आध्यात्मिक दृष्टि से लिखे हैं। इस अवसर पर भावना सोमाया ने उपस्थित पत्रकारों के सवालों का भी जवाब दिया।