लेखिका : रेणु जैन
कॉलम, गेस्ट राइटर, इंदौर (मध्य प्रदेश)
www.daylife.page
डॉक्टर बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा कल्पित भारतीय संविधान की रचना में अपने इंदौर शहर की भी निर्णायक भूमिका रही। यह बात बहुत कम लोगों को मालूम होगी कि इस संबंध में जरूरी दस्तावेज आज भी सम्हाल कर रखे गए हैं। सवाल लाजिमी है कि आखिर इंदौर की उक्त भूमिका क्या थी? तो सवाल का जवाब पाने के लिए उन दिनों की यात्रा करनी पड़ेगी जब बाबा साहब अम्बेडकर ने लगातार तीन साल की मेहनत करके भारतीय संविधान का कच्चा मसौदा तैयार किया था और जिसे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद (पहले राष्ट्रपति) की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान सभा ने मंजूरी दी थी। उसके लागू होने के साथ ही भारत एक संप्रभुता संपन्न स्वतंत्र राष्ट्र घोषित हो गया जिसका संविधान आज भी दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई है। इसे प्रेम बिहारी रायजादा ने लिखी है। रायजादा ने पेन होल्डर निब से संविधान के हर पन्ने को बहुत ही खूबसूरत इटैलिक अक्षरों में लिखा है।
इसी से जुड़ा किस्सा यह है कि जब नेहरूजी ने संविधान की डिजाइनिंग के लिए गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन में 230 पृष्ठ भेजे थे तथा कला भवन के प्राचार्य नंदलाल बोस ने संविधान के सभी पन्नों पर आउटलाइन तथा मुखपृष्ठ तैयार करने के लिए बारह होनहार छात्रों को चुना था जिसमें इंदौर के स्वर्गीय दीनानाथ भार्गव भी थे। वे उस वक्त शांतिनिकेतन के फाइन आर्ट के द्वितीय वर्ष के छात्र थे। यहां के कलाकारों ने संविधान के पृष्ठों पर हिमालय तथा सागर के फोटो ही नहीं बल्कि इनमें मोहन जोदड़ो, वैदिक काल, रामायण, महाभारत, बुद्ध के उपदेश, महावीर का जीवन, मौर्य, गुप्त और मुगलकाल, गांधीजी तथा सुभाष चंद्र बोस जैसे चित्रों से इसे सजाया गया और तब साकार हुआ हमारा संविधान जिस पर हर भारतीय गर्व करता है।
संविधान के एक पेज पर बने अशोक स्तम्भ की डिजाइन श्री दीनानाथजी ने ही तैयार की थी। सोने के वर्क से बना पहला पेज आज भी इंदौर के चितावद स्थित आनंद नगर उनके घर में सुरक्षित है। कहते है अशोक स्तम्भ को बनाने के लिए उन्होंने कोलकाता के चिड़ियाघर में एक महीने तक जा जाकर शेरों के हावभाव और डील डौल के साथ भाव भंगिमाओं का अध्ययन किया था। अपने इस कार्य को बेहतरीन बनाने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किया था।पूरा पेज बनते ही इस पर काली स्याही से भरा ब्रश गिर गया। उन्होंने फिर वैसा ही पेज बनाकर दिया। जो भारतीय संविधान की पुस्तक में सजा है। कहते है ब्रश गिरे वाले पेज को उनके परिवार वालों ने आज भी सहेज कर रखा है। इसी के साथ एक किस्सा यह भी जुड़ता है कि 2017 में कौन बनेगा करोड़पति के एक एपिसोड में एक करोड़ रुपए के लिए इंदौर के भार्गव साहब के इस कार्य से जुड़ा सवाल पूछा गया था।तो यह है हमारे इंदौर का योगदान।
सिर्फ संविधान ही नहीं इंदौर के अन्य योगदान की बात करें तो देश को स्वच्छता का संदेश देने वाला यही एकमात्र शहर है जो यहां के लोगों , नगर निगम के अधिकारियों,स्वच्छता प्रहरियों के दम पर लगातार छह बार नंबर वन रहा। शिखर पर बने रहना आसान नहीं होता लेकिन इंदौर ने यह कर दिखाया है। आगे भी इसी तरह इंदौर अपने इरादों के झंडे फहराता रहेगा। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)