सांपों का बगीचा
लेखिका : रेणु जैन

इंदौर (मध्य प्रदेश)

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पेड़ों पर फल, फूल,सब्जियां,खेतों में अनाज,बगीचों में हरियाली तो सभी ने देखी है ,पर क्या आप सोच सकते है कि पूरा का पूरा बगीचा सिर्फ सांपों से ही भरा हो ,और जहां सांपों की ही खेती होती हो। है ना आश्चर्यजनक ?हैरान न होइए ये सच है। चीन के झेजियांग प्रांत का जिसिकियाओं गांव में तकरीबन 1000 लोगों से ज्यादा लोग यही कारोबार करते है तथा अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं। इस गांव का यह कारोबार 80 करोड़ के लगभग तक पहुंच चुका है।

ऐसा है सांपों का बगीचा

1980 के दशक से ही यहां सांपों के पालने की परंपरा चल रही है। यहां सौ से अधिक ऐसे फार्म हैं जहां 30 लाख सांपों को पाला जाता है। कोबरा, वाइपर, अजगर, रेटल जैसे जहरीले सांपों से लेकर बिना जहर वाले सांपों की खेती की जाती है। छोटे तथा जहरीले सांपों को लकड़ी तथा शीशे के छोटे छोटे बक्सों में रखा जाता है।गर्मी के मौसम में सांपों को पाला जाता है तथा  सर्दियों में इन सांपों को अमेरिका ,दक्षिण कोरिया, रूस,जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में बेचा जाता है। सांपों से कई बीमारियों के इलाज किए जाते है और अब स्थिति है है कि ये बड़े बिजनेस का रूप ले चुका है। कहते है इस गांव में जितने लोग है उससे कई हजार ज्यादा तो सांप ही है। अनुमान है यहां एक हज़ार इंसान पर तीन हजार सांप है।इन सांपों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होटलों में मांस के लिए और पारंपरिक चाइनीज दवाइयां बनाने के लिए होता है। चीन में सांपों से बनी डिश भी लोग पसंद करते है।

एक वायरल वीडियो लोग हैरान

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो जिसको देखकर हर कोई हैरान है। वियतनाम का यह बगीचा जिसे टैम स्नेक फार्म के नाम से जाना जाता है। 400 से अधिक प्रकार के जहरीले सांपों की मौजूदगी के साथ इस बगीचे को रिसर्च के लिए ही बनाया गया था,जहां सांपों के जहर से दवाइयां तथा एंटीडोज बनाए जाते है। लाखों की संख्या में यहां पर्यटक भी आते है। हर दिन यहां एंटीडोज की रिसर्च होती है तथा हर साल यहां पंद्रह सौ के करीब लोग सांप काटे का उपचार कराने आते है। ज्यादातर सांप के जहर उतारने की दवाइयां भी यहां बन चुकी हैं।

भारत में नागपंचमी पर्व

भारत में नागपंचमी का पर्व धार्मिक आस्था,विश्वास तथा हमारी बेहतरी की कामना के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह जीव जंतुओं के प्रति समभाव,हिंसक प्राणियों के प्रति दयाभाव और अहिंसा की प्रेरणा देता है।पर्यावरण से जुड़े इस पर्व के लिए सोलह जुलाई को विश्व सर्प दिवस भी मनाया जाता है। सांप खेतों में रहकर कृषि संपदा (अनाज) को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों को खा जाते है। इसीलिए उन्हें किसानों का मित्र भी कहा जाता है। अनेक जीवन रक्षक औषधियों के निर्माण हेतु नागों से प्राप्त जहर की जरूरत होती है। अतः नाग हमारा जीवन रक्षक भी है।इसी कारण वर्तमान युग में भी नागपंचमी का त्यौहार प्रासंगिक है। हमारी संस्कृति में उन सभी जीवों, वनस्पतियों और वस्तुओं को सम्मान दिया गया है जो हमारे अस्तित्व की बचाने में सहायक है। इसी कारण पर्यावरण संतुलन में मदद करने वाला सांप शिवजी के कंठ का हार बनता है।

पुराणों में जिक्र भी सांप का 

नागपंचमी पर पांच पौराणिक नागों की पूजा होती है जो अनंत,वासुकी,तक्षक,कर्कोटक तथा पिंगल है। असख्यक फन वाले अनंत नाग की शैय्या पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं।पुराणों में यक्ष,किन्नर, एवम् गंधर्वों की भांति नागों का भी वर्णन है। मोहन जोदड़ो, हड्डपा और सिंधु घाटी की सभ्यता के अवशेषों से इस बात का पता चलता है कि नागों की पूजा की परंपरा आदिकाल से प्रचलित है। वहां आज भी हरेडी नामक पर्व पर सांपो की पूजा की जाती है। नेपाल में नागपंचमी का उत्सव सपेरे के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पर्वतीय प्रदेशों में भी नाग पूजा का प्रचलन है।नाग जाति का वैदिक युग में बहुत लंबा इतिहास रहा है जो भारत से लेकर चीन तक फैला है। चीन में आज भी ड्रेगन यानी महानाग की पूजा होती है। चीन का राष्ट्रीय चिन्ह भी ड्रेगन है।

भारत में सांप काटने की घटनाएं

भारत में यूपी,झारखंड,बिहार,राजस्थान, उड़िसा में सर्पदंश की सबसे ज्यादा घटनाएं होती है। एक आंकड़े के अनुसार भारत में हर साल पचास हजार से भी ज्यादा लोग सांप के काटने से मौत के मुंह में चले जाते है। दुखद यह भी है कि आज भी अधिकांश लोग सर्पदंश जैसी घटनाओं  को घर में ही झाड़ फूंक और देसी इलाज करके अपने जीवन को जोखिम में डाल देते है। सर्पदंश का वैज्ञानिक रूप से एकमात्र प्रमाणिक उपचार यह है कि हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में एंटीवेनम इंजेक्शन उपलब्ध कराना है तथा ग्रामीण लोगो को जागरूक कराना भी है।

सांपों के कान नहीं होते

सांप की धुन पर सांप को नचाने का दावा कई सपेरे करते है मगर सच यह है कि सांप सुन ही नहीं सकते क्योंकि उनके कान नहीं होते। सपेरा जब बीन बजाता है तो सांप को उसके आसपास आहट का भ्रम होता है और वह अपने शरीर को घुमाने लगता हैं।देखने वालों को यह प्रतीत होता है कि सांप नाच रहा है ,लेकिन ऐसा होता नहीं है।

सांप को पकड़ना गैरकानूनी

वन्य जीव अधिनियम के तहत सांप को मारना या पकड़ना, डिब्बों में बंद करना, विष की थैली निकालना,चोट पहुंचाना,प्रदर्शनी लगाना कानूनी अपराध है। इसमें सजा तथा जुर्माने का प्रावधान है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)