सांभर को जिला बनाने के राजनेताओं के सभी प्रयास हुए फैल

दशकों पुरानी मांग को सरकार ने किया नजरअंदाज

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांंभरझील। सांभर के बजाय ग्राम पंचायत दूदू को स्वतंत्र जिले का नोटिफिकेशन जारी कर सरकार ने सांभर उप जिला को जिला बनाने की छह दशकों पुरानी मांग को एक बार फिर नजरअंदाज कर दिया है। फुलेरा विधानसभा क्षेत्र के लाखों लोगों में सरकार के इस फैसले से जबरदस्त मायूसी व्याप्त हुई है। सांभर को जिला बनाने के लिए दो तरह का आंदोलन और आपसी फूट सांभर के अस्तित्व को रसातल में पहुंचा दिया है। सांभर उप जिला को जिला का दर्जा दिलाने के लिए आघे मन से अभियान में लगे कथित राजनेताओं के प्रयास तो पूरी तरह से फेल हुए ही है तो दूसरी ओर क्षेत्र के हजारों लोगों की भावना के साथ भी जबरदस्त खिलवाड़ हुआ है। इसका प्रमुख कारण विपक्ष में बैठे विधायक की सबसे बड़ी कमजोरी यह रही कि वे जिले के आंदोलन की बागडोर न तो खुद अपने हाथों में ले सके और न ही नेतृत्व को ठोस रूप प्रदान कर सकें, दूसरा प्रमुख कारण सत्तापक्ष से जुड़े विपक्ष के फुलेरा विधानसभा क्षेत्र के नेता का सचिन पायलट ग्रुप से ताल्लुक होना तथा डाइरेक्ट गहलोत से तारतम्य का पूरा अभाव प्रमुख कारण यह भी शामिल रहा है। 

संयुक्त रूप से सांभर फुलेरा और सांभर दूदू जिला बनाने के लिए अलग-अलग उठी मांग के इस मकड़जाल में क्षेत्र की जनता भी अलग-अलग ग्रुप में उलझती चली गई या यूं कहें कि कथित नेताओं ने अपने फायदे के खातिर उलझा कर रख दिया, इसका सीधा असर यह हुआ कि खुद राजनेताओं ने अपने अपने वर्चस्व को बढ़ावा देने के लिए जिला बनाने का जो खेल रचा वह फुलेरा विधानसभा के लिए किसी भी दृष्टि से फायदेमंद साबित नहीं हो सका। क्षेत्र की जनता को एक प्लेटफार्म लाने का आंशिक प्रयास तो हुआ लेकिन धीरे-धीरे जिले की मांग में राजनीति घुसती चली गई और अंततः यह मांग दो भागों में विभक्त होने से सरकार भी असमंजस में फंस गई कि आखिर सांभर फुलेरा या सांभर दूदू में से किस को जिला बनाया जाए। 

गहलोत सरकार ने भी राजनीति  दृष्टिकोण का पूरा फायदा उठाते हुए ग्राम पंचायत दूदू को स्वतंत्र जिला घोषित कर देश का सबसे छोटा जिला बनाने का उदाहरण भी पेश कर दिया। सांभर की जनता अब अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है पूरी तरह समझ नहीं आ रहा है कि वे किस राजनेता के साथ खड़े होकर अपने क्षेत्र का भला करवाएं। फिलहाल सांभर को जिला की सौगात नहीं मिलने से जहां क्षेत्र में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ है वही ताल ठोकने वाले नेताओं का भी कोई स्टेटमेंट सामने नहीं आ रहा है।