केरल अब होगा केरलम

लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक 

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केरल की विधान सभा ने इस महीने के शुरू में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि केरल का नाम बदल कर केरलम कर दिया जाये। इस राज्य की भाषा मलायम में केरल को केरलम ही कहा और लिखा जाता है। जबकि  अंग्रेजी सहित अन्य भारतीय भाषायों में दक्षिण के इस राज्य को केरल  कहा और लिखा जाता है। मलायम भाषा संस्कृत के बहुत नजदीक है तथा इसमें संस्कृत शब्दों की भरमार  है। इसलिए इस प्रदेश का नाम यहाँ के लोगो के लिए केरलम ही है। ब्रिटिश काल में अंग्रेजों को स्थानीय भाषा का पूर्ण ज्ञान नहीं था इसलिए उन्होंने अपनी समझ और सुविधा के अनुसार  यहाँ का स्थानों को बोलना और अंग्रेजी में लिखना शुरू कर दिया। 

राज्य विधान सभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि संविधान की 8वीं अनुसूचि में केरल का नाम केरलम कर दिया जाये। इससे अन्य भारतीय भाषाओँ में यह स्वतः ही केरलम हो जायेगा। राज्य सरकार के इस अनुरोध को देर सवेर केंद्रीय गृह मंत्रालय मान भी लेगा। पूर्व में अनेक ऐसे दृष्टान्त जब राज्यों का नाम बदला गया। मसलन मद्रास राज्य का नाम बदल कर तमिलनाडु कर दिया गया।  इसी प्रकार पांडेचेरी का नाम  बदल कर स्थानीय भाषा के अनुसार पुद्दुचेरी कर दिया।  कुछ पूर्व तक ओडिशा को ओड़िसा लिखा जाता था। जबकि स्थानीय उड़िया भाषा में इसे सदा ही ओडिशा बोला और कहा जाता रहा है। इसलिए राज्य सरकार के अनुरोध पर इस राज्य का नाम ओडिशा कर दिया गया। 

बीजेपी के पहले शासन काल में बने उत्तराखंड का मूल नाम उत्तरांचल था। बाद में वहाँ की विधान सभा ने एक प्रस्ताव के जरिये उत्तर प्रदेश का विभाजन कर बने गए इस नए प्रदेश का नाम उत्तराखंड करने का अनुरोध भारत सरकार से किया जो बिना किसी विलम्ब के इस मंजूर कर लिया गया। 

लेकिन एक राज्य ऐसा भी है जिसका नाम बदलने का अनुरोध केंद्र सरकार ने नहीं अब तक नहीं माना है। 2018  में पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार ने   राज्य का नाम बदलने के प्रस्ताव को अभी तक मंजूरी नहीं दी गई  है। राज्य विधान सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से अनुरोध किया था कि राज्य का नाम पश्चिम बंगाल से बदल कर बंगाल कर दिया जाये। मामला अभी तक केंद्रीय गृह मंत्रालय के यहाँ अटका पड़ा है। केंद्र द्वारा इस राज्य का नाम नहीं बदलने के पीछे एक कारण बताया है। उसका कहना है कि बांग्लादेश पश्चिम बंगाल से सटा हुआ है। इसलिए इस राज्य का नाम बदल कर बंगाल कर दिए जाने से भ्रम की स्थिति पैदा हो जाने के संभावना है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी सहित टीएमसी के बड़े नेताओं का आरोप है कि राजनीतिक कारणों से मामला बीजेपी नीत एनडीए सरकार में अटका हुआ है। बीजेपी के नेता नहीं चाहते कि राज्य का नाम बदलने का श्रेय ममता सरकार को मिले।    

आज़ादी के बाद से देश के कई शहरों के नाम बदले गए है। कुछ शहरों के नाम मुग़ल शासकों ने अपने राज्य काल में रखे थे वहीं ब्रिटिश सरकार के काल में   भी कई शहरों के नामों के स्पेलिंग इस तरह से लिखे जिससे उनका उच्चारण ही बदल गया। आजादी के बाद काफी समय तक चेन्नई का नाम मद्रास था। लेकिन यह नाम द्रमुक के प्रथम राज्यकाल में बदल कर चेन्नई कर दिया गया। 

इसी प्रकार केरल में जिस तटीय शहर को अब कोच्ची कहा जाता है उसका नाम आज़ादी के कई बर्षो तक कोच्चीन ही रहा। इस प्रदेश के राजधानी अनंपुरम  हाल तक त्रिवेंद्रम के नाम से जानी जाती  थी। पश्चिम बंगाल की राजधानी, जिसका नाम अब कोलकत्ता है, हाल तक कलकत्ता ही कहा जाता था। इस शहर के स्पेलिंग ब्रिटिश शासकों ने अपनी सुविधा और समझ के अनुसार कर दिये थे। 

कर्नाटक की वर्तमान कांग्रेस ने अपने पिछले शासन काल में कई राज्य की राजधानी बैंगलोर सहित कई अन्य शहरों के नाम राज्य की कन्नड़ भाषा के अनुसार कर दिये। जैसे बैंगलोर बदल कर  बेंगलुरु गया। बेलगाँव बदल कर बेलगवी हो गया। मैंगलोर मंगलूरु हो गया तथा मैसूर बदल कर मैसूरू हो गया।  इनको लेकर किसी पक्ष ने कोई विरोध नहीं किया। 

लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जब दो नाम बदले तो इनको लेकर काफी बवाल हुआ। राज्य सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज कर दिया। सरकार का तर्क था कि इस शहर का नाम पहले प्रयागराज ही था जो मुगलों के समय बदल कर इलाहाबाद कर दिया गया। इसी प्रकार फैजाबाद जिला, जिसके अंतर्गत अयोध्या शहर आता था, का नाम बदल कर अयोध्या जिला कर दिया गया। (लेखक का अपना अध्ययन मेवं अपने विचार हैं)