लोकराज आया है मेरे देश में
लेखक : वेदव्यास
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं साहित्यकार हैं
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लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
नूतन और पुरातन के संघर्ष में
अधुनातन का अर्थ बताने जा रहे।।
इतिहासों में अमिट नहीं जो हो सके
दो पल को जो सुख की नींद न सो सके
ऐसे पीड़ित जनमानों के वास्ते
नए देश का सपना लाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
सदियों से जो भटक रहे हैं भीड़ में
कुंठा से जो गले जा रहे नीड़ में
ऐसे भूखे भगवानों के वास्ते
शस्य श्यामला धरा बनाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
चिंतन के बोझे से जो लाचार हैं
मानवता के लिए सदा जो भार हैं
ऐसे बोझिल विद्वानों के वास्ते
परिवर्तन के शंख बजाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
तोड़ रहे जो फूलों के आकाश को
मोड़ रहे जीवित रहने की प्यास को
ऐसे बौने दिनमानों के वास्ते
किरणों का परिधान बनाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
देख नहीं पाते जो नए प्रभात को
डरते हैं जो अंधकार में रात को
ऐसे लाखों इंसानों के वास्ते
आजादी का मंत्र सुनाने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
पत्थर पर अंकित करवाते नाम को
खोज रहे जो वन-वन चारों धाम को
ऐसे भोले परवानों के वास्ते
लोकायन का परिचय देने जा रहे
लोकराज आया है मेरे देश में
भारत की परिभाषा लिखने जा रहे।
नूतन और पुरातन के संघर्ष में
अधुनातन का अर्थ बताने जा रहे।।
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एकता, स्वतंत्रता, समानता रहे
लेखक : वेदव्यास
एकता, स्वतंत्रता, समानता रहे।
देश में चरित्र की महानता रहे।।
कंठ हैं अनेक, गीत एक राष्ट्र का
रंग हैं अनेक, चित्र एक राष्ट्र का
रूप हैं अनेक, भाव एक राष्ट्र का
शब्द हैं अनेक, अर्थ एक राष्ट्र का
चेतना, समग्रता, समानता रहे।
देश में चरित्र की महानता रहे।।
राज्य हैं अनेक, संघ एक राष्ट्र का
वर्ग हैं अनेक, सर्ग एक राष्ट्र का
भक्त हैं अनेक, धर्म एक राष्ट्र का
कर्म हैं अनेक, लक्ष्य एक राष्ट्र का
सादगी, सहिष्णुता, समानता रहे।
देश में चरित्र की महानता रहे।।
व्यक्ति हैं अनेक, रक्त एक राष्ट्र का
वाक्य हैं अनेक, लेख एक राष्ट्र का
गांव हैं अनेक, स्वप्न एक राष्ट्र का
शंख हैं अनेक, चक्र एक राष्ट्र का
जागरण, मनुष्यता, समानता रहे।
देश में चरित्र की महानता रहे।।