प्रदेश सरकार की अनदेखी से नहीं बन पा रहा सांभर का मिनी स्टेडियम

मिनी स्टेडियम की भूमि पर धूल फांक रहा पृथ्वीराज चौहान सेंट्रल पार्क के नाम का शिलान्यास पट्ट

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील। सांभर नगरपालिका के खाते में मिनी स्टेडियम के नाम से दर्ज आराजी खसरा नम्बर 58 रकबा 18 बीघा 18 बिस्वा भूमि पर वर्ष 2017 में सेंट्रल पार्क बनाए जाने के लिए विधायक के नाम का लगाया गया शिलान्यास पट्ट पांच साल से धूल फांक रहा है। इस विशाल भूभाग पर न तो मिनी स्टेडियम के सपने साकार हो सके और न ही सेंट्रल पार्क धरातल पर नजर आ रहा है।  यह भूमि आज तक वीरान पड़ी है। राज्य सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न खेलों में रूचि रखने वाले खिलाड़ियों के लिए मिनी स्टेडियम बनाए जाने के लिए भूमि आरिक्षत तो कर दी लेकिन प्रदेश सरकार का खेल मंत्रालय अपनी ही इस योजना को साकार करने में कामयाब नहीं हो सका। गौरव पथ पर नवीन अदालत भवनों से पहले मुख्य मार्ग व देवयानी तीर्थ स्थल जाने वाले उप मार्ग पर स्थित इस भूमि की सुरक्षा व संरक्षा प्रदान करने के लिए इसका स्वामित्व नगरपालिका को इसलिए सौंप दिया गया था कि यहां पर अलग से खेल मंत्रालय से जुड़ा कोई विभाग नहीं है।

तत्कालीन एसडीएम अशोक शर्मा (वर्तमान में एडीएम जयपुर) की मौजूदगी में नगरपालिका प्रशासन की शिकायत पर उक्त भूमि से कुछ कथित खातेदारों के कब्जे हटाकर इसे पूरी तरह से अतिक्रमण से मुक्त करवाया गया था और अल्प समय में ही मिनी स्टेडियम के लिए आरक्षित भूमि पर जयपुर की तर्ज पर सैण्ट्रल पार्क व स्टेडियम निर्माण किए जाने के लिए एक शानदार प्रोग्राम का आयोजन कर विधायक निर्मल कुमावत के कर कमलों से इस भूमि पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान सैण्ट्रल पार्क स्टेडियम का निर्माण करवाए जाने हेतु 17 अक्टूबर 2017 को इसका शिलान्यास भी किया गया था। उस वक्त समारोह में मौजूद लोगों को सुनहरे सपने दिखा दिए गए। कुछ भाजपा नेताओं ने अपनी इस उपलब्धि को लेकर वाहीवाही भी लूटी। लेकिन आज तक यह यह समझ से परे है कि जब प्रदेश सरकार ने इस सम्पूर्ण भूमि को मिनी स्टेडियम के लिए रिजर्व कर रखा है तो फिर इस भूमि पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान सैण्ट्रल पार्क स्टेडियम के दोहरे नाम का शिलान्यास पट्ट क्यों लगाया गया। 

शिलान्यास के बाद से इस भूमि की किसी ने सुध नहीं ली। वर्तमान में इस लम्बी चौड़ी भूमि पर जंगली घास फूंस व पेड़ पौधों ने साम्राज्य स्थापित कर लिया है। अतिक्रमण से मुक्त करवाने के बावजूद इस भूमि की सुरक्षा के लिए अभी तक सरकारी स्तर पर कोई तारबंदी तक नहीं करवाई गई है। अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट जवाब देने को तैयार नहीं है कि इस भूमि पर स्टेडियम कब निर्माण शुरू होगा, इसके निर्माण के लिए खेल मंत्रालय की ओर से कब तक फण्ड उपलब्ध करवाया जाएगा। नगरपालिका की खुद की माली हालत ऐसी है कि यह काम उनके स्तर से संभव नहीं है, जब फण्ड ही नहीं है तो फिर इसका शिलान्यास किस आधार पर और जल्दबाजी में क्यों किया गया यह भी शोचनीय प्रश्न है।