मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस प्रभारी को ज्ञापन सौंपकर शिकायत की

अरशद शाहीन 

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पीपलू। उपखंड अधिकारी वर्षा शर्मा पर भ्रष्टाचार तथा सरकार के महंगाई राहत शिविरों की उपेक्षा करने के आरोपों लगाते हुए क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ता व ग्रामीणों ने जयपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व राजस्थान प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को ज्ञापन सौंपा है। प्रतिनिधि मंडल में शामिल एडवोकेट राजाराम चौधरी ने बताया कि पीपलू उपखंड अधिकारी अपने भ्रष्ट आचरण एवं कार्यप्रणाली से जन सामान्य लोगों को परेशान कर रही हैं। सौंपे गए ज्ञापन में बताया कि उपखंड अधिकारी वर्षा शर्मा कानून कायदे व प्रशासनिक गरिमा की अवहेलना करती हुई कक्ष में आमजन के प्रवेश को लेकर भी चेतावनी संदेश लिख रखा है। जिससे कक्ष में जाने से आमजन कतराता है। ज्ञापन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरुद्ध हीन भावनाओं से कार्य करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं के अनुरूप कार्य करने के आरोप लगाया गया है। 

साथ ही बताया कि उपखंड अधिकारी वर्षा शर्मा राज्य सरकार के महत्वकांक्षी महंगाई राहत कैंपों में भी नदारद रही जिससे उपखंड अधिकारी का रवैया कांग्रेस सरकार के विरूद्ध कार्य करने सा प्रतीत होता है। साथ ही शिविर में आए प्रार्थना पत्र जो उपखंड कार्यालय तक पहुंचे उनमें किसी पर भी एक्शन नहीं लिया गया है। प्रदेश में पीपलू उपखंड में भू राजस्व संबंधित एक भी प्रकरण का निस्तारण नहीं किया गया है। 

उपखंड अधिकारी के शनिवार, रविवार को मुख्यालय पर नहीं रहने तथा सोमवार को वापस समय पर कार्यालय नहीं आने की भी शिकायत की गई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री व राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को उपखंड अधिकारी के भ्रष्ट आचरण तथा अनियमितताओं व कांग्रेस सरकार के विरोधी होने की जांच करवाई जाकर कार्रवाई किए जाने की मांग की है। इस दौरान क्रय विक्रय सहकारी समिति के पूर्व चैयरमेन छीतरलाल चौधरी, किसान नेता देवकरण, एनएसयूआई के हरिओम चौधरी काफी संख्या में लोग शामिल रहे। 

एसडीएम कक्ष के बाहर लिखी चेतावनी से नाराजगी

कांग्रेस कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों में उपखंड अधिकारी कक्ष के बाहर गहरे अक्षरों में चेतावनी शब्द लिखकर कृपया चेम्बर में एक व्यक्ति से ज्यादा प्रवेश न करें की बात लिखी हुई है से भी गहरी नाराजगी है। ग्रामीणों ने बताया कि चेतावनी भरे शब्द के चलते कोई भी पीडि़त, संगठन आदि के प्रमुख पदाधिकारी प्रशासनिक अधिकारी के समक्ष अपनी पीड़ा रखने के लिए जाने से ही कतराता है। जबकि प्रशासनिक अधिकारियों को जनता की सेवा और समस्याओं को सुनने के लिए हमेशा दरवाजे खुले रखने चाहिए।