जाफ़र लोहानी
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मनोहरपुर (जयपुर)। निकटवर्ती त्रिवेणी धाम स्थित राजस्थान बलाई विकास संस्थान द्वारा संचालित बलाई छात्रावास में नव कवि साहित्यिक संस्थान के तत्वावधान में एक शाम राष्ट्र के युवाओं के नाम से एक कवि सम्मेलन गणपत वर्मा के मुख्य आतिथ्य व डॉ. बी. डी. नैनावत की अध्यक्षता सेवानिवृत एडीम के.आर.बुनकर व संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रभु दयाल जेवरिया, भामाशाह हरि बल्लीवाल व ज्योतिबा फूले ब्रिगेड के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश सैनी के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित हुआ।
नव कवि साहित्यिक संस्थान के संस्थापक व संचालक राजकुमार इन्द्रेश ने बताया कि कार्यक्रम में राजस्थान के जाने माने कवि कैलाश मनहर ने माँ सरस्वती को माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। कवि प्रकाश प्रियम ने प्रारम्भ में ही चुनावों पर व्यंग्य कसते हुए अपनी रचना 'तनिक संभलकर पहरे देना, आज आख़री रात हैं।' से समा बाँध दिया। सनी लाखीवाल ने 'हम तो पहली ही मुस्कान पर मर गये, आपने छुआ तो पावन बन गये से युवाओं का दिल जीत लिये।
अशोक राय वत्स ने महाराणा प्रताप व हल्दी घाटी पर काव्य रचना कर श्रोताओं को वीर ऱस से सराबोर किया। कवि गिरधर ने मुझे न दाद की प्रवाह कैसे सुंदर गीत लिखूं मैं, पावन और पुनीत लिखूं मैं से वाह वाही बटोरी। मंच संचालन करते हुए कवि राजकुमार इन्द्रेश ने युवाओं बीच में अपनी रचना पहल कर आने वाला कल तेरा होगा व जीत में जीत को हार में हार को स्वीकार करूँगा मैं से जोश से उल्लासित किया। शिक्षाविद्व कल्याण बक्स कल्याण ने अपनी ग़ज़ल ' घुलमिल के रहें रेशमी धागों की तरह हम।इक पेड़ से जुड़कर बढ़ी शाख़ों की तरह हम व हाकिम किस फ़रमान की बातें करता है।
रोज़ बेच ईमान की बातें करता है।।' से दाद बटोरी। कवि कमल कांत कमल ने युवाओं को प्रेरित करते हुए 'तदबीर से बदले तकदीरें ये हुनर सीखना है तुमको पत्थर कैसे बनते हीरे ये हुनर सीखना है तुमको। पुरुषार्थ से सिंचित कर अपने सुंदर सपनो की बगियाँ को, तोड़े विषाद की जंजीरे ये हुनर सीखना है तुमको। से पूरे पांडाल को गुंजायमान किया। कवि राजकुमार इन्द्रेश ने अपनी प्रसिद्ध रचना रोटी के साथ एक दृष्टांत दीर्घ कविता प्रतिशोध बहुत सह ली है हमने अब तक भुखमरी की यातनाएँ। नहीं सुनी किसी ने भी क्यों तो अबलाओं की याचनाएँ। 'से सम्पूर्ण उपस्थिति समूह को विचार मग्न कर समाज में हो रहे व्यभिचारों पर करारा प्रहार किया।
वरिष्ठ साहित्यकार कवि कैलाश मनहर युवाओं में जोश जगाते हुए एक शेर से शुरुआत की " पूस की फौज से लड़ना था मुझे, घुस गया मैं अंगार के साथ। से सभी वाह वाही बटोरी।
कार्यक्रम के अंत में अतिथियों ने सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. पूरण मल बुनकर, राजेश टेलर निदेशक मदर टेरेसा स्कूल व समस्त कवियों का माल्यार्पण, साफा, शॉल व प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया व उपस्थिति सभी श्रोता को अल्पाहार करवाया गया।
इस अवसर पर रामावतार लाडला, कमल शर्मा सीताराम बुनकर, जगदीश नीझर, डॉ. ओमप्रकाश वर्मा, प्रधानाचार्य बाबूलाल बुनकर, कैलाश मारखी, सुनील नैनावत, एड. कैलाश बुनकर, जगदीश आसपुरा, रवि नैनावत, कानाराम घोरेठा, शिम्भू दयाल कांट, महेंद्र वर्मा, छात्र अशोक वर्मा सहित सैकड़ो की तादात में युवा व लोग उपस्थिति थे।