पत्रकार और लेखिका
एक स्त्री के ज़िंदगी का एक कठोर मुलायम कंधा होता है उनके पिता का जहां वो खिल सकती, सँवर सकती, सपने देख सकती है, ज़िंदगी के कुछ सफ़र बाद एक पिता के सटीकता से कॉंधे लगकर मुहब्बत का हिसाब चंद लम्हों के दरम्यान कर स्त्रीमन विदा होती मगर इन लम्हों में ये दो मन कर लेते हैं वादे एक दूसरे से की रहना। तुम हमेशा मेरे साथ, मैं जब तक हूँ, तब तक और मेरे नहीं होने के बाद भी याद रखना, क्योंकि हर स्पर्श का रिश्ता किसी एक के ना होने से ख़त्म हो जाता है। मगर ये भावनात्मक रिश्ता हमेशा बरकरार रहता है। एक बेटी के दिल में पिता और पिता के दिल में बेटी …!!!
पंक्तियां
बेटी चाहे कैसी भी हो
वो पापा की राजकुमारी होती है
रानी बनना चाहे उसके नसीब में ना हो
लेकिन पापा की राजदुलारी होती है
पिता ही होते है अपनी बेटी के रोल मॉडल
उसकी दुनिया अलग से न्यारी होती है
पापा के साथ ही होती है हर ख्वाहिश पूरी
बाद में केवल एक जिंदा निशानी होती है
लोग कहते है बेटी माँ का साया होती है,
पर जरुरी तो नहीं, वो हमेशा माँ जैसे ही होती है |
बेटी होती है पिता की शान सम्मान जान स्वाभिमान
होती वो पिता की परछाई ही है
सांसे तो चलती है पिता के जाने के बाद
लेकिन इस में जिंदगी निकल जाती है
घर परिवार जिमेदारिया रिश्ते नाते सभी तो वही रहते है
बस आप के बिना जिंदगी थम सी जाती है