संकलन : सत्यनारायण सिंह (पूर्व प्रशासकीय अधिकारी)
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बहुतों को आश्चर्य होता रहा है कि अशोक गहलोत ने कैसे राजनीति को इस प्रकार साध रखा है कि उनके सामने नेतृत्व की कोई चुनौती ठीक से खड़ी ही नहीं हो पाती है और उनकी धवल छवि पर कोई आंच नहीं आती। उनकी प्रशासनिक योग्यता या सत्ता के परिपेक्ष्य में वैचारिक तथा अन्य नैतिक प्रतिबद्धताओं का जायजा तो इतिहास बाद में लेगा किन्तु अभी वे विशिष्ठ भद्रजनों में सर्वत्र लोकप्रिय है। गहलोत मीडिया के भी प्रिय हैं जो उनकी सरस लोक छवि को बनाए रखता है। यह अलग बात है कि पांच-पांच साल के उनके पिछले दो कार्यकालों में प्रत्येक के बाद मतदाताओं ने उनके शासन को उसी प्रकार अस्वीकार किया जिस प्रकार बीजेपी की वसुंधरा राजे के शासन को दो बार अस्वीकार किया। उनका कांग्रेस की राजनीति को साधे रखने के अपने कौशल से उन्होंने पार्टी में अपने को अब तक अपराजेय बना रखा है। विशिष्ठ भद्रजन गहलोत के बारे में क्या राय रखते हैं इसकी बड़ी खूबसूरत झलक “स्वच्छ नगर संस्था, जयपुर, की स्मारिका के प्रकाशन में मिलती है। उसके जरिए हम गहलोत की विशिष्ठजनों में बनी हुई छवि को देख सकते हैं और समझ सकते हैं।
इस स्मारिका का शीर्षक है “जज़्बे से भारी उड़ान ...जनसेवा के लिए प्रतिबद्ध”। यह शीर्षक ही यह संकेत दे देता है कि इस प्रकाशन में क्या होगा। इसमें गहलोत को एक मसीहा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अनेक विशिष्ठजनों ने इस प्रकाशन के लिए गहलोत के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए लेख लिखे हैं। इन लेखों में गहलोत के व्यक्तित्व के अनेक आयाम खुलते हैं। आइए देखते हैं गहलोत को कौन विशिष्ठजन किस प्रकार देखता और उनका आकलन करता है: “विनम्रता और सज्जनता में राज्य का कोई भी मुख्यमंत्री उनके समान होगा कठिन है।” -पानाचंद जैन (राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश)
“समाज के प्रति उनकी निष्ठा, प्रतिबद्धता, नगर के विकास एवं स्वच्छता अभियान को आगे ले जाने की कार्यशैली उनको विरासत में मिली है।” - विनोद शंकर दवे (राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश)
“अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व में अशोक गहलोत घड़ी की सुइयों की तरह अपने क्षेत्र में आगे बढ़ते जाते हैं।... किसी भी प्रकार का अवरोध या बाधा (उनकी) गतिशीलता में टिक नहीं पाता।” - प्रवीण चंद छबड़ा (वरिष्ठतम पत्रकार)
“किसी भी शासन प्रणाली का सही आकलन करना हो तो उसे टीम मानकों की कसौटी पर कसा जाना चाहिए। यह मानक हैं संवेदनशीलता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही। इन आधारों पर यदि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन को परखा जाए तो वे उस पर खरे उतरते हैं।” - महेश चंद्र शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार एवं नवज्योति के पूर्व संपादक )
“प्रबंधन के विद्यार्थी न होते हुए भी उनकी प्रबंधन में जो निपुणता है उसकी कोई सानी नहीं।” - जगदीश शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार)
“जब-जब हम क्रूर और अमानवीय राजनीति के दौर से गुजरेंगे हमें एक सौम्य मानवीय चेहरा अवश्य दिखाई देगा और वह होगा अशोक गहलोत का चेहरा।” - ईशमधु तलवार (वरिष्ठ पत्रकार, अब दिवंगत)
“राजनीति का जादूगर है, हर क्षण जिसने सिद्ध किया/ यह अशोक गहलोत नहीं है, मरुधरा का गांधी है।” -इक़राम राजस्थानी (पूर्व प्रसारणकर्ता)
“जादूगर जांबाज़ हैं अशोक गहलोत/मरुधर की आवाज़ है अशोक गहलोत।”- लोकेश कुमार साहिल (कवि)
“मोहनलाल सुखाड़िया और भैरोंसिंह शेखावत के बाद अशोक गहलोत सब से अधिक लोकप्रिय व सफल मुख्यमंत्री हैं।” - गुलाब बत्रा (वरिष्ठ पत्रकार)
“मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सिर्फ एक जननेता नहीं बल्कि एक मिशन का नाम है।” - राजीव अरोड़ा (राजनेता)
“गहलोत की राजनीतिक समझ, संवेदनशील और प्रशासनिक क्षमता का आज सभी लोहा मानते हैं।” -सत्यनारायण सिंह (पूर्व प्रशासकीय अधिकारी)