मौलाना साहब की दरगाह में बेइंतेहा सुकून और राहत का एहसास होता है

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जयपुर। मौलाना साहब के नाम से मशहूर 18 वीं सदी ई. में चिश्तिया सिलसिले के मशहूरो माउरूफ़ बुजुर्ग हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब (रह.) हुए हैं जिनकी दरगाह चार दरवाजा जयपुर में स्थित है। आप दिल्ली की बस्ती हजरत निजामुद्दीन में पैदा हुए थे। आप हजरत मौलाना फखरुद्दीन देहलवी (रह.) के ख़लीफ़ा थे। आप बहुत ही इबादत गुजार दयालु और खुदा के नेक बंदों से मोहब्बत करने वाले सूफ़ी थे। अपने पीर मौलाना फखर साहब के जेरे तालीम व तर्बियत रहे, मौलाना साहब ने दीनी तालीम के साथ-साथ अपने पीर फकीराना फेज़ भी हासिल किया। 

एक रोज आपके पीर हजरत मौलाना फखर साहब ने आपसे फरमाया ए जियाउद्दीन ! मुझे ढूंढार की तरफ से तुम्हारी खुशबू आ रही है तुम्हारी विलायत ढूंढार की तरफ है जाओ वहां जाकर सिलसिला फैलाओ। अपने पीर का हुकुम सुनते ही आपने जयनगर (जयपुर) की रवानगी ली और जब मौलाना जयनगर पहुंचे उस वक्त यहां महाराजा सवाई प्रताप सिंह की हुकूमत थी। महाराजा भी आपके भक्तों में शामिल थे और प्रतिदिन आप के दर्शन करने आते थे। 

हजरत मौलाना साहब ने जयपुर में अपनी उम्र का एक तवील अरसा गुजारा और ता-हयात खुदा का पैगाम ए मोहब्बत लोगों को पहुंचाते हैं खुदा की मखलूक से मोहब्बत शफकत उनकी खिदमत करना ही आप का तरीका था। 

दरगाह के बुलंद दरवाजे से अंदर दाखिल होते ही बांये जानिब अजमेर शरीफ की दरगाह की तरह ही देग बनी है जिसमें उर्स का लंगर बनाया जाता है। यहां से थोड़ा आगे चलने पर दरगाह के अंदरूनी अहाते में दाखिल होते ही दांये जानिब मौलाना जियाउद्दीन साहब का आलिशान आस्ताना है। बारादरी से गिरे हुए खूबसूरत नक्श व निगार वाले दर व दीवार के दरमियान हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब का मजारे अक़दस जायरीन की अकीदत व निसबत का मर्कज़ है। 

आपके दर पर हजारों लोग देश के कोने-कोने से दर्शन करने आते हैं यहां अपनी मुरादे और मन्नतें मानते हैं जायरीन की बात माने तो उन्हें मौलाना साहब की दरगाह में बेइंतेहा सुकून और राहत का एहसास होता है। 

दरगाह शरीफ से सज्जादा नशीन हजरत सैय्यद जैनुल आबेदीन उर्फ महमूद मियां साहब फरमाते हैं कि जहां खुदा के नेक बंदे होते हैं वहां खुदा की रहमत की बारिश होती है और मौलाना साहब की दरगाह इस हकीकत का जीता जागता सबूत है। जो शख्स भी यहां अकीदत से आता है सुकून ए दिल पाता है वह कभी भी खुदा की रहमत से महरूम नहीं होता। 

हजरत मौलाना साहब का उर्स 21 जीकादा ता 25 जीकादा हर साल मुनअक़ीद किया जाता है जो कि इस साल अंग्रेजी तारीख के हिसाब से 11 जून से 15 जून 2023 तक चलेगा। उर्स के दौरान दरगाह शरीफ में फातेहा ख्वानी, मिलाद शरीफ, महफिले समा, तरही मुशायरा व कुरान ख्वानी आयोजन होता है। कार्यक्रम में जयपुर शहर की तमाम कव्वाल पार्टियां महफ़िल ए शमा में सूफियाना कलाम पेश करती है! उर्स के दौरान दरगाह शरीफ में हर मज़हब मिल्लत के मानने वाले जियारत करते हुए देखे जा सकते हैं आपकी दरगाह सब धर्मों के मानने वालों की आस्था व अकीदत का मर्कज़  का मरकज मालूम होती होती हैं। यह जानकारी सैय्यद ज़ियाउद्दीन ज़ियाई ने दी।