दूदू पर पुनर्विचार के लिए मंथन, जयपुर देहात जिले के गठन की तैयारी

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

www.daylife.page 

सांभरझील। प्रदेश के मुखिया की ओर से जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में सम्मिलित ग्राम पंचायत दूदू को नवीन जिला की घोषणा के बाद लगातार बढ़ते विरोध के स्वर आज तक थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, दूसरी तरफ दूदू के विधायक बाबूलाल नागर की ओर से विगत दिनों दिए गए विवादित बयान ने और आग में घी डालने का काम कर सरकार के लिए बेजा मुसीबत खड़ी कर दी है। दूदू जिले की घोषणा के बाद दूदू में सांभर फुलेरा को भी सम्मिलित किए जाने की प्रबल संभावनाओं के मद्देनजर फुलेरा विधानसभा के लोगों ने इसका प्रबल विरोध करते हुए किसी भी सूरत में दूदू जिले में शामिल नहीं होने का आंदोलन का बिगुल बजाया और सरकार से पुरजोर तरीके से मांग कर सांभर फुलेरा नवीन जिला का एक प्रस्ताव भेज कर सरकार को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया। 

रविवार को फुलेरा विधानसभा क्षेत्र के 200 से अधिक गांव के करीब 50 हजार लोगों की ओर से मोखमपुरा हाईवे महापड़ाव के सफल आंदोलन के बाद सरकार को फुलेरा विधानसभा क्षेत्र की जनता के हित में दोबारा से फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया।‌ माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि आगामी विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले वे नवीन जिलों की घोषणा से उपजे तमाम विवाद को पूरी तरह से खत्म करना चाहते हैं। इसी संदर्भ में सांभर फुलेरा नवीन जिला घोषित करने अथवा सांभर फुलेरा को जयपुर जिले में ही यथावत रखने को लेकर महापड़ाव के बाद सीएम गहलोत की ओर से कैबिनेट की बैठक में सभी विधायकों की राय जानने के बाद जयपुर देहात नया जिला बनाने  के लिए भी ऐलान किया गया है। बैठक में सबसे विवादित नवीन जिला दूदू के विधायक बाबूलाल नागर जो कि खुद मुख्यमंत्री के सलाहकार भी है को बैठक में नहीं बुलाना राजनीतिक गलियारों में और आमजन में जबरदस्त चर्चा का विषय बना रहा। 

मुख्यमंत्री गहलोत ने एक अहम बैठक का आयोजन कर जयपुर व जयपुर देहात नवीन जिले के गठन को लेकर उनकी मंशा और राय भी जानी। सूत्रों का कहना है कि इसमें दूदू का नवीन जिला बनाना उन विधायकों के भी हजम नहीं हो रहा है जो दूदू जिले में शामिल नहीं होना चाहते हैं। इसका सबसे बड़ा प्रमुख कारण उस विधानसभा क्षेत्र का स्वयं वर्चस्व और मापदंड इतना मजबूत है की दूदू नवीन जिला (ग्राम पंचायत) में उन्हें शामिल करने की प्रबल संभावना को देखते हुए विधानसभा क्षेत्र की जनता के लिए स्वाभिमान पर ठेस बताई जा रही है, जहां दूदू का विरोध पहले से ही चल रहा था उसे स्वयं दूदू के विधायक नागर ने अनर्गल बयान देकर खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी भी मारने का काम कर लिया। 

प्रदेश के मुखिया गहलोत आगामी 30 जून अथवा इसके बाद या पहले अधिसूचना जारी होने से पहले तमाम विवाद का पटाक्षेप करने में जुट गए हैं। सांभर फुलेरा के आंदोलन के बाद सरकार के भी समझ में आ गया कि कहीं उनसे जल्दबाजी में यह चूक हुई है इसीलिए आंदोलन में शामिल नेताओं को सरकार के निर्देश पर मौजूद प्रशासन के अधिकारियों ने आखिरकार लिखित में दिया कि उनकी मंशा के अनुरूप काम होगा। आंदोलनकारियों द्वारा विधानसभा क्षेत्र के लिए एक बड़ी सफलता भी माना जा रहा है। 

दूदू को नवीन जिला घोषित करने के बाद दूदू जिले में आसपास के विधानसभा क्षेत्र के कोई भी लोग इसमें शामिल नहीं होना चाहते है यानी अब दूदू पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गया है। अब अकेले दूदू का नवीन जिले की तमाम प्रक्रियाओं का पूरा होना अब रुक सकता है। मुख्यमंत्री खुद दूदू के लिए इस पर फिर से पुनर्विचार कर सकते हैं। फिलहाल विधानसभा क्षेत्र की जनता को सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन को पूरा होने का इंतजार बना हुआ है वहीं क्षेत्र के उन तमाम नेताओं व आमजन की जिन्होंने इस आंदोलन को सफल बनाया की निगाहें अब अधिसूचना जारी होने पर टिकी हुई है।