पंतनगर। प्रमुख वैश्विक कृषि विज्ञान कंपनी, एफएमसी इंडिया, ने जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जीबीपीयूएटी) के सहयोग से एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन करके विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड में मधुमक्खी पालन के इकोसिस्टम को बढ़ावा देना रहा। यह पहल एफएमसी के प्रमुख कार्यक्रम, ‘प्रोजेक्ट मधुशक्ति’ का एक हिस्सा है, जिसे वर्ष 2022 में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य महिला किसानों को उद्यमशीलता के लिए प्रोत्साहित करना, स्थायी आय उत्पन्न करना, उत्तराखंड में ग्रामीण परिवारों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना, साथ ही साथ जैव विविधता और उच्च फसल उत्पादकता का समर्थन करना है।
प्रोजेक्ट मधुशक्ति, भारत में अपनी तरह की पहली अभिनव सतत विकास पहल है। इस प्रोजेक्ट की अवधि तीन वर्षों की है। इसकी योजना हिमालय पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र के लिए बनाई गई है। यह क्षेत्र उपयोगी प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों का प्रचुर स्रोत है, जो शहद उत्पादन के लिए श्रेष्ठ है। मधुमक्खी पालकों के लिए इस प्रोजेक्ट के माध्यम से अपने दूसरे वर्ष में 750 महिला किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। अच्छे परागण के माध्यम से विभिन्न फलों और अन्य फसलों में 30 प्रतिशत तक की उत्पादकता में वृद्धि के माध्यम से 20 से अधिक गाँवों के 8,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष लाभ पहुँचने की उम्मीद है।
दिन भर चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान द्वारा किया गया। वे शिक्षण क्षेत्र के प्रमुख प्रबंधक और पशु जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं। डॉ. सिंह ने न सिर्फ मूल्यवान प्राकृतिक सुपर फूड शहद, बल्कि प्रोपोलिस, रॉयल जेली, विष, मोम आदि उत्पादों के लिए भी मधुमक्खी के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि मधुमक्खियाँ 15 से 200 प्रतिशत तक विभिन्न पर-परागित फसलों की फसल उत्पादकता बढ़ाने में सहायता कर सकती हैं। डॉ. ए. एस. नैन, अनुसंधान निदेशक, जीबीपीयूएटी, ने कहा, हमें एफएमसी इंडिया के साथ जुड़ने पर गर्व है। उत्तराखंड जैसे जैव विविधता से समृद्ध राज्य में कभी-भी मधुमक्खी पालन की क्षमता का सदुपयोग नहीं हो पाया, लेकिन प्रोजेक्ट मधुशक्ति के माध्यम से इसके विकास को गति मिली है। वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन, न सिर्फ उत्तराखंड की पहाड़ियों की क्षमता का सदुपयोग करेगा, बल्कि गरीब किसानों के लिए रोजगार और अतिरिक्त आय भी उत्पन्न करेगा। हम महिला उद्यमियों के लिए मधुमक्खी पालन को एक सफलतम क्षेत्र के रूप में स्थापित करने के लिए एफएमसी के सहयोग से उन्हें उचित प्रशिक्षण और सीखने के अवसर प्रदान करना जारी रखेंगे।
इस अवसर पर बोलते हुए, राजू कपूर, निदेशक, सार्वजनिक और उद्योग मामले, एफएमसी इंडिया, ने कहा, भारत के राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के साथ, हमारे देश में मधुमक्खी पालन में बदलाव लाने की जरुरत है। हम महिलाओं के कौशल को बढ़ाने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे। जीबी पंत विश्वविद्यालय के साथ हमारी साझेदारी के माध्यम से अनुभवी वैज्ञानिकों और मधुमक्खी पालकों द्वारा उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके माध्यम से महिला किसानों को व्यापक ज्ञान और ट्रेनिंग दी जाएगी , जिसे उनके समुदाय के भीतर पारित किया जा सकता है।
हम इन पेशकशों के माध्यम से अपनी पहुँच का विस्तार करने और अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करने के लिए तत्पर हैं। साथ ही, एफएमसी महिला सशक्तिकरण और जैव विविधता को बढ़ाते हुए आधुनिक कृषि पद्धतियों का उपयोग करके फसल उत्पादकता में वृद्धि का एक स्थायी मॉडल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्कशॉप की मेजबानी कीट विज्ञान विभाग और विश्वविद्यालय के हनीबी रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर द्वारा की गई थी।
कार्यक्रम में उत्तराखंड राज्य के मधुमक्खी पालन एजेंट्स की भागीदारी देखी गई, जिसके बाद छात्रों और विभाग के अनुसंधान प्रमुखों के साथ उनका अभिनंदन किया गया। वैज्ञानिकों और उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा छात्रों को मधुमक्खी पालन के बारे में ज्ञान और कौशल विकसित करने में मदद करने के लिए संबोधित किया गया। विश्वविद्यालय में आयोजित इस सहयोगी वर्कशॉप में डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, कुलपति, जीबीपीयूएटी; राजू कपूर, निदेशक, सार्वजनिक और उद्योग मामले, एफएमसी इंडिया; डॉ. एएस नैन, शोध निदेशक, जीबीपीयूएटी; डॉ. रेणु और डॉ. प्रमोद मल्ल, प्रमुख, कीट विज्ञान विभाग, जीबीपीयूएटी जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।