लेखक : लोकपाल सेठी
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक
www.daylife.page
दक्षिण के एक फिल्म निर्माता लाहरी वेलु ने कुछ लगभग 5 साल पूर्व देश के प्रमुख हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर वृहद स्तर पर फिल्म बनाये जाने की घोषणा की थी। उन्होंने इस फिल्म की पटकथा लिखने के लिए हिंदी और दक्षिण की फिल्मों के प्रसिद्ध पटकथा लेखक विजयेन्द्र प्रसाद से बात की थी तथा उन्होंने इस पर अपनी सहमति दी थी। वेलु, जो कि कर्नाटक के बंगलुरु से अपना व्यवसाय चलाते है, ने इसके लिए हैदराबाद में एक अलग से ऑफिस खोला था इस फिल्म के लिए उन्होंने “संघ” का नाम पंजीकृत करवाया था। उन्होंने उस समय कहा था कि मूल रूप से यह फिल्म हिंदी में होगी तथा इसे आधा दर्जन प्रमुख भारतीय भाषाओं में डब किया जायेगा।
फिल्म बनाने से पूर्व आरएसएस पर रिसर्च करने के लिए उन्होंने लगभग 2 दर्जन लोंगों की टीम बनाई थी। इस रिसर्च के आधार पर ही विजयेन्द्र प्रसाद ने अपनी पटकथा लिखनी थी। उल्लेखनीय है है विजयेन्द्र प्रसाद ने हिंदी की प्रसिद्ध फिल्म बजरंगी भाई जान के अलावा तेलगु की अतिलोकप्रिय हुई फिल्मों बाहुबली और आर आर आर की पटकथा लिखी थी। आर आर आर फिल्म के गाने नाटू नाटू को हाल ही में ऑस्कर पुरस्कार मिला है। इन दोनों फिल्मों के निदेशक राजमौली थे जो थे जो विजयेन्द्र के पुत्र है। दक्षिण के फिल्म उद्योग के अनुसार विजयेन्द्र ने लगभग तीन वर्ष पूर्व ही इस फिल्म की पटकथा पूरी कर ली थी।
इस फिल्म की पटकथा लिखने से पूर्व विजयेन्द्र ने नागपुर जाकर वहां संघ के सर संघचालक मोहन भागवत सहित अन्य कई पदाधिकारियों से भेंट कर संघ के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाई थी। एक इंटरव्यू में विजयेन्द्र प्रसाद ने कहा था कि वे संघ की विचारधारा और कार्यशैली से बहुत प्रभावित हुए थे। इसके बाद वे संघ के बहुत नज़दीक होते चले गए फिल्म के निर्माता ने इस फिल्म के लिए लगभग 200 करोड़ का बजट रखा था तथा दावा किया था कि फिल्म का निर्माण विशाल स्तर पर होगा। लेकिन कुछ कारणों से फिल्म का निर्माण उस समय शुरू नहीं हो सका।
विजयेन्द्र को केंद्र की बीजेपी सरकार ने पिछले साल जुलाई में राज्यसभा का सदस्य नामज़द किया था। इसके बाद ही फिल्म निर्माण के काम में तेजी आनी शुरू हो गई। हालाँकि यह तब तक तय नहीं हुआ था की इस फिल्म के निदेशक कौन होंगे।
बताया जाता है कि पिछले साल के अंत में जब राजमौली ने अपने पिता से इस फिल्म की पटकथा सुनी तो वे बड़े भावुक हो गए। पटकथा में संघ के संस्थापक डॉक्टर के. एस. हेडगेवार तथा लम्बे समय इसके सर संघ चालक रहे एम. एस. गोलवलकर के जीवन और संघ को खड़ा करने के मार्मिक दृश्य थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि एक स्थान पर तो वे पटकथा सुनते सुनते रो पड़े। उन्होंने तब यह कहा था कि अगर उन्हें अवसर दिया जाता है तो वे इसका निदेशन करने के लिए तैयार है।
लोकसभा के अगले चुनाव लगभग एक साल दूर हैं इसलिए इस दल के कुछ नेता चाहते हैं कि तब तक फिल्म बनकर सिनेमाघरों में रिलीज़ कर दी जाये ताकि पार्टी को चुनावों में इसका लाभ मिल सके। उधर संघ की स्थापना के सौ साल 2025 पूरे हो रहे हैं। इससे जुड़े कार्यक्रम अगले साल से शुरू हो जायेंगे। इसलिए संघ के पदाधिकारियों की भी यह ईच्छा है कि तब तक यह फिल्म तैयार हो जाये।
बताया जाता है कि राजमौली इस समय अपनी नई फिल्म की तैयारियों में व्यस्त है इसलिए उन्होंने “संघ” फिल्म के निदेशन के हामी नहीं भरी है। उनके पिता विजयेन्द्र भी इस बात अडिग है कि उनकी लिखी पटकथा बनने वाली फिल्म का निदेशन उनका पुत्र ही करे। उनका कहना है कि राजमौली ही उनके द्वारा लिखी गयी पटकथा के साथ पूरी तरह से न्याय कर सकते है।
फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि फिल्म के निर्माण के अधिकारों को लेकर भी कुछ विवाद चल रहा है। लाहरी वेलु का कहना है उन्होंने ही फिल्म का नाम पंजीकृत करवाया था। वे इसकी तैयारियों पर अब तक काफी बड़ी राशि खर्च कर चुके है। वेलु के अनुसार विजयेन्द्र और राजमौली इस फिल्म के निर्माण को लेकर कुछ अन्य फिल्म निर्माताओं के संपर्क में है। उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस विवाद के चलते फिल्म के निर्माण का काम शुरू होने में विलम्ब हो सकता है। इसलिए लोकसभा चुनावों से पूर्व इसके रिलीज़ होने के संभावना नहीं के बराबर है। हाँ, संघ के शताब्दी वर्ष में यह फिल्म रिलीज़ हो सकती है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)