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टोंक। "वसुधैव कुटुम्बकम” की परिकल्पना पर प्रवासी भारतीय के विभिन्न मुद्दों को लेकर अंतर्रष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन "द काउंसिल फॉर इंटरनेशनल कॉ-ऑपरेशन" (अंतर्रष्ट्रीय सहयोग परिषद) नई दिल्ली द्वारा विदेश मंत्रालय के सहयोग से डायसपोरा रिसर्च एंड रिसोर्स सेंटर (डीआरसीसी) के संयुक्त तत्वावधान में प्रवासी भवन 50 दीनदयाल उपाध्याय मार्ग नई दिल्ली पर शनिवार 8 अप्रैल 2023 को किया गया। जिसमें टोंक निवासी गांधीवादी विचारक मुजीब अता आजाद ने हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड्स के उपाध्यक्ष की हैसियत से विशिष्ट वक्ता के रूप में भाग लिया, कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता जाने-माने पूर्व राजनयिक वीरेंद्र गुप्ता ने की, पूर्व राजनयिक व हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड्स की अध्यक्ष प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी द्वारा लिखित पुस्तक सेपरेट इमोशंस का लोकार्पण किया गया। कॉन्फ्रेंस में विशिष्ट वक्ता सूरीनाम के पूर्व उच्चायुक्त एंबेसडर एमएस कन्याल, काउंसिल के निदेशक नारायण कुमार रहे, कॉन्फ्रेंस एआरएसपी के सेक्रेटरी जनरल श्याम परांडे, सेक्रेटरी प्रोफेसर गोपाल अरोड़ा, एसजीएनडी खालसा कॉलेज की प्रोफेसर डॉ निधि शर्मा, डीआरसीसी की डॉ रुचि शर्मा, धर्मवीर सिंह पूर्व विदेश सेवा के अधिकारी की गरिमामय उपस्थिति रही, कॉन्फ्रेंस में देश दुनिया के जाने-माने प्रबुद्ध जनों ने भाग लिया एंबेसडर वीरेंद्र गुप्ता एआरएसपी के अध्यक्ष और तंजानिया, त्रिनिदाद और टोबैगो और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व भारतीय उच्चायुक्त रहे हैं विशिष्ट वक्ता मुजीब आजाद ने कांफ्रेंस में अपने संबोधन में कहा कि भारत एक ऐसा सभ्यता संस्कृति और तहज़ीब वाला देश है जहां पर विभिन्न सभ्यताएं मिलजुल कर समन्वय और सामंजस्य के साथ रहती हैं। यह सभी सभ्यता और संस्कृति एक दूसरे की पूरक है जो मिलकर पूर्ण होती हैं। इनके आपसी समन्वय से भारतीय सभ्यता और संस्कृति का निर्माण हुआ है यही सभ्यता और संस्कृति विश्व को वसुधैव कुटुंबकम का रास्ता बताती है। पूरा विश्व आज सभ्यता और संस्कृति के रूप में भारत की ओर देख रहा है भारत से विदेशों में बसने वाले प्रवासी भारतीय सही मायने में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं या यूं कहा जाए कि यह प्रवासी भारतीय विदेशों में भारत का चेहरा है आईना है दर्पण है जिसको देखकर विश्व के अन्य देश यह महसूस करते हैं कि भारत का स्वरूप किस प्रकार का है। इसलिए प्रवासी भारतीयों का दायित्व बढ़ जाता है उन्हें अपने आचरण से आदर्श भारत का दर्शन कराना होता है जिस देश में वह रह रहे हैं वहां का नागरिक प्रवासी भारतीय को देखकर भारत के दर्शन करता है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे भारतीय जिन देशों में रह रहे हैं वहां पर उन्होंने वहां के दायित्व को निभाते हुए भारतीय सभ्यता और संस्कृति को अपनाया हुआ है वास्तव में यही वह व्यक्तित्व है जो विश्व स्तर पर भारत की साख को बनाने का काम करते हैं भारत से दूर रहकर विदेशों में अपनी भारतीयता को कायम रखना इनकी राष्ट्र भावना को दर्शाता है। मुजीब आजाद ने यूरोपीय सहित विश्व के अन्य देशों से भारत के साथ साहित्यिक सांस्कृतिक आयोजन किए जाने पर बल दिया उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से संस्कृतियों के आपसी साझा कार्यक्रमों से सद्भावना भाईचारा बढ़ेगा और हम गांधी के देश से हैं यह भावना विश्व को बेहतरीन तरीके से बता सकेंगे।
राष्ट्रभाषा हिंदी की चर्चा करते हुए मुजीब आजाद ने कहा कि विश्वस्तर पर भारत की पहचान हिंदी से है। चूंकि उन देशों में कामकाज व शिक्षा की भाषा के लिए अपनी भाषाएँ हैं वहाँ हिंदी भाषा की साहित्य-संस्कृति के माध्यम से और भारतवंशियों को साथ लेकर हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन के माध्यम से विश्वस्तर पर हिंदी के विश्वदूत बनकर हिंदी भाषा व साहित्य को प्रतिष्ठित करने में प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी की अगुवाई में हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड्स निरंतर कार्यरत है। उन्होंने पिछले दो दशकों से राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।
हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड्स के अध्यक्ष प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी ने कहा कि हिंदी-भाषा-प्रसार के क्षेत्र में हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन ने हिंदी पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए अन्य भाषाविद् विद्वानों के साथ देवनागरी से शुरुआत करते हुए छह भाषाओं में विशेष पुस्तकें तैयार की है हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला, फ्रेंच और डच भाषाओँ के विद्वानों को जोड़कर हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन ने जापान, मॉरिशस, अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, न्युजीलैंड सहित कई यूरोपियन और कैरिबियई देशों में राष्ट्रभाषा के विषय को लेकर सेमिनार व्याख्यानो का आयोजन किया है। विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में वैश्विक मानवीय संस्कृति तथा भारतवंशी संस्कृति पर विशेष व्याख्यान आयोजित किए जा रहे हैं। मॉरीशस स्थित हिंदी लेखक संघ सहित विदेशों अनेक शैक्षणिक संस्थाओं के साथ जुड़ कर लगातार कई वर्षों से हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन भारतवंशी बहुल देशों में से सुरीनाम, गयाना, ट्रिनिडाड, फिजी, दक्षिण अफ्रीका और कैरिबियाई देश-द्वीपों को अपना कार्य और सृजनात्मक चिंतन का क्षेत्र बनाए हुए हैं। प्रवासी भारतीयों को लेकर शोध कार्यों को प्रमुखता के साथ हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है उन्होंने अपनी पुस्तक हिंदी उपन्यास "छिन्नमूल" के अंग्रेजी संस्करण नोवल सेपरेट इमोशंस पर विस्तार से चर्चा की।