लखनऊ (यूपी) से
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क्या आप किसी विषय को बीस से तीस सेकंड में समझने की कल्पना कर सकते हैं? अगर नहीं, तो आपको ऐसी कोई कल्पना करने की ज़रूरत नहीं। क्योंकि यह एक हक़ीक़त है। तो क्या है ये हक़ीक़त, इसे जानने के लिए यह लेख अंत तक पढ़िये
जलवायु परिवर्तन आज हमारी चर्चाओं का हिस्सा बनता जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि हम बदलती जलवायु को रोज़ अनुभव करने लगे हैं। दूसरी बड़ी वजह है हमारे प्रधानमंत्री द्वारा इस विषय को नीति निर्माण कि मुख्यधारा में लाना।
जलवायु परिवर्तन कि मुख्य वजह मानवीय गतिविधियां हैं। इसलिए इससे निपटने में जहां एक ओर नीतियाँ ज़रूरी और कारगर तो हैं, मगर असल असर दिखेगा जब व्यक्तिगत स्तर पर हम इससे निपटने को कमर कस लें। इस व्यक्तिगत लड़ाई के लिए सबसे ज़रूरी बात है अपने इस दुश्मन को जानना समझना। बिना अपने इस दुश्मन को जाने समझे हम या तो उससे लड़ेंगे नहीं, या लड़ने कि सोच नहीं पाएंगे, और अगर लड़ने का इरादा करेंगे तो लड़ नहीं पाएंगे।
लेकिन यह लड़ाई ज़रूरी है। ज़रूरी इसलिए क्योंकि आज हम जनसंख्या के मामले में दुनिया के सबसे बड़े देश में रहते हैं। हमने चीन को भी पछाड़ दिया है। साथ ही हमारे देश में विकास का पहिया तेज़ी से दौड़ रहा है। विकास मतलब उत्पादन और उत्पादन मतलब कार्बन उत्सर्जन। और कार्बन उत्सर्जन मतलब वैश्विक तापमान बढ़ना और जलवायु परिवर्तन को गति मिलना।
यहाँ ये जानना बहुत ज़रूरी है कि कुल उत्सर्जन के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर तीसरे नंबर पर आता है। लेकिन प्रति व्यक्ति औसत उत्सर्जन के मामले में भारत वैश्विक औसत से काफ़ी नीचे है।
लेकिन इसका ये मतलब नहीं हुआ कि इस वजह से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ इस लड़ाई में भारत कि भूमिका भी कम है। भारत के लिए यह लड़ाई ज़रूरी है। क्योंकि जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी ज़िम्मेदारी। लेकिन लड़ाई से पहले दुश्मन को जानना समझना ज़रूरी है।
जलवायु का बदलना हमेशा से होता आय है और यह एक प्रकृतिक घटनाक्रम है, जो विज्ञान पर आधारित है। मानवीय गतिविधियों ने इस बदलाव को गति दे दी है। और इस गति के चलते हमारे लिए पृथ्वी पर रहना दिन ब दिन मुश्किल हो रहा है। अगर इस रफ्तार को नहीं रोका तो रहना मुश्किल होता जाएगा।
इसकी रफ्तार को थामने के लिए इसे समझना ज़रूरी है। जलवायु परिवर्तन एक विषय के तौर पर उतना जटिल है नहीं जितना वो लगता है। इसकी बड़ी वजह है इस विषय की अंग्रेज़ी में होने वाली चर्चा और जटिल प्रस्तुतीकरण। तो इस सरल से विषय के साथ हुआ ये कि इसे जटिलता में बांध दिया गया। वो भी, ऐसी भाषा में जो भारत में अधिकांश जनता कि पहली भाषा नहीं।
इस समस्या से निपटने के लिए क्लाइमेट कहानी नाम की एक पहल पिछले तीन साल से इस विषय को सरल हिन्दी में भारत की हिन्दी पट्टी में मीडिया की मुख्यधारा में लाने का काम कर रही है। अब इस प्रयास को एक ना आयाम देते हुए, क्लाइमेट कहानी ने शॉर्ट विडियो और रील्स के बढ़ते चलन और लोकप्रियता के चलते अपने यूट्यूब चैनल पर जलवायु विज्ञान और जलवायु परिवर्तन से जुड़े जटिल विषयों को महज़ 20-30 सेकंड की रील्स और शॉर्ट विडियो में प्रस्तुत करने का काम शुरू किया है।
इस क्रम में, क्लाइमेट कहानी के यूट्यूब चैनल (@climatekahani) को सबस्क्राइब कर, और नोटिफिकेशन के लिए बेल आइकन दबा कर, आप रोज़ सुबह नौ बजे एक 20-30 सेकंड का विडियो देख पाएंगे जिसमें इस विषय से जुड़ी कोई न कोई नयी और रोचक बात आपको सरल हिन्दी में देखने को मिलेगी।
अगर आप जलवायु कार्यवाही में अपना योगदान देना चाहते हैं तो सबसे पहले इस चैनल को सबस्क्राइब करें और अपने मित्रों और परिवारजनों को इसके बारे में बताएं जिससे उनकी जानकारी बढ़े और वो अपने स्तर पर कुछ न कुछ तो कर पाएँ। तो देर किस बात की, क्लिक कीजिये क्लाइमेट कहानी-यूट्यूब को और अभी से शुरू कर लीजिये कुछ सेकंड में ज्ञान अर्जन की इस यात्रा को। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)