लेखिका : साधना सेठी
लेखिका एवं पत्रकार
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मातृशक्ति की आराधना के लिए हमें वर्ष में 9 दिन विशेष दिए गए हैं। यह नवरात्रि नारी शक्ति के आदर और सम्मान का उत्सव है। यह नवरात्रि उत्सव नारी को अपने स्वाभिमान व अपनी शक्ति का स्मरण दिलाता है, साथ ही समाज के अन्य पुरोधाओं को भी नारी शक्ति का सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है।
उन्होंने कहा कि नारी के प्रति संवेदनाओं में विस्तार होना चाहिए। जिस तरह हम नवरात्रि में मातृशक्ति के अनेक स्वरूपों का पूजन करते हैं, उनका स्मरण करते हैं, उसी प्रकार नारी के गुणों का हम सम्मान करें। हमारे घर में रहने वाली माता, पत्नी, बेटी, बहन- इन सब में हम गुण ढूंढें। एक नारी में जितनी इच्छाशक्ति दृढ़ता के साथ होती है, वह पुरुष में शायद ही होती है। आज नारी जाति अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण ही घर और बाहर, ऑफिस हो यासामाजिक कार्यक्षेत्र में स्वयं को स्थापित कर रही है।
उन्होंने कहा कि भारतीय नारी पुरातन काल में ऋषियां हुआ करती थीं। ऐसी अनेक नारियां हैं जिनके ज्ञान- तपस्या से तीनों लोक प्रभावित होते थे। ऋषि पत्नियां भी ऋषियों के साथ-साथ तप में लीन रहती थीं। वह सतयुग था उसके पश्चात कलयुग में भी नारी शक्तियों ने संस्कृति की रक्षा के लिए अपनी वीरता दिखाई।
उन्होंने कहा कि अनेक वीरांगनाएं इस देश की माटी पर जन्मी हैं। उनकी प्रेरणा और संकल्पों से परिवार और समाज को समय-समय पर ऊर्जा प्राप्त हुई है। आध्यात्मिक, सामाजिक, राजनीतिक सभी स्तरों पर नारी शक्ति द्वारा आज भी शंखनाद किया जा रहा है। बड़े-बड़े पदों पर नारियां अपनी विद्वता से देश को दिशा दे रही हैं। यह नवरात्रि पर्व उनके सम्मान का पर्व है। शक्ति ही हमें मुक्ति, भक्ति दोनों प्रदान करती है। हम उपासना के साथ नारियों के सम्मान का संकल्प लें। नवरात्रि केवल एक त्यौहार ही नही यह उन सभी महिलाओं के लिये गर्व की अनुभूति है जो अपने अस्तित्व तो समझती है, नवरात्री सिर्फ़ नौ दिन की नही होती है, हर दिन हर रुप मे नारी निभाती है किरदार माँ दुर्गा का .शब्दो से इन रुपो को नवाज़ा नही जा सकता। जिन घरों मे ऐसी नारी की प्रसन्न तस्वीर नज़र आती है सोचिये उस घर को घर नही मंदिर बना कर रखती है। (लेखिका का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)