मनोहरपुर में गणगौर पूजन जारी

जाफ़र लोहानी    

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मनोहरपुर (जयपुर)। कस्बे सहित आसपास के गांव में गणगौर पूजन जारी है। गणगौर पूजा में नवविवाहिताएं व युवतियों के सुरीले कंठो से पारंम्परिक लोक गीतों की धूम सुनाई दे रही हैं। सोलह दिवसीय गणगौर पर्व के दौरान विधि-विधान से ईसर-गौर की पूजा अर्चना की जा रही हैं। शाहपुरा पंचायत समिति क्षेत्र के गांवो में शीतलाष्टमी बड़ी धूमधाम के साथ मनाई गई इस अवसर पर जगह जगह शीतला माता के मंदिर लोगों व महिलाओं ने पूजा अर्चना कर ठंडे पकवानों से शीतला माता के भोग लगाकर मन्नत मांगी। 

इस अवसर पर लोगों व महिलाओं ने शीतला माता के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कर मन्नत मांगी व ठंडे पकवानों से शीतला माता के भोग लगाया। चंदा, पूजा, सोनाली, संतोष रितु, गुड़िया, निहारिका, पिंकी, निशा, आकांक्षा, एकता, जय श्री, गुड्डू, बिट्टू, गुड़िया, चीकू, खुशी, भूमि धन्ना, लक्षिता, निविषा, दिविषा कुम्हार के घर जाकर बनवाई मिट्टी की ईशर गणगौर, 8 दिन तक निकालेगी रात को घडुल्ला, होली के दूसरे दिन से लगातार 16 दिनों तक के नवविवाहिता एवं युवतियों द्वारा पूजी जा रही गणगौर पर्व पर शीतला अष्टमी के दिन बुधवार को गणगौर पूजने वाली नवविवाहिता एवं युवतीया गीत गाती हुई कुम्हार के घर पहुंची। वहां उन्होंने मिट्टी की इस ईशर व गणगौर बनवाई उसके बाद अब 8 दिनों तक लगातार रात के समय में यह नवविवाहिता एवं युवतियां घडुल्ला निकालेगी एवं घर घर जाकर आएंगी। 

ऐसे होती है गणगौर पूजा

गणगौर पूजन के लिए कुंवारी कन्याएं और सुहागिन महिलाएं सुबह में सुंदर वस्त्र, आभूषण पहन कर सिर पर लोटा लेकर बाग़- बगीचों में जाती हैं।

वहीं से ताजा जल लोटों में भरकर उसमें हरी-हरी दूब और फूल सजाकर सिर पर रखकर गणगौर के गीत गाती हुई घर आती हैं। इसके बाद मिट्टी से बने शिव स्वरूप ईसर और पार्वती स्वरूप गौर की प्रतिमा और होली की राख से बनी 8 पिंडियों को दूब पर एक टोकरी में स्थापित करती हैं। दूब घास और पुष्प से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। पूरे 16 दिन तक दीवार पर सोलह-सोलह बिंदिया रोली, मेंहदी, हल्दी और काजल की लगाई जाती हैं। दूब से पानी के 16 बार छींटे 16 श्रृंगार के प्रतीकों पर लगाए जाते हैं।

नव विवाहित स्त्रियों के साथ लड़कियों की टोली दूब व जल लेने के लिए मंदिरों में आ-जा रही हैं। इस दौरान मधुर कंठ से गौर ए गणगौर माता, खोल ए किंवाड़ी..., गौर गौर गोमती ,ईसर पूजे पार्वती जैसे गीत गणगौर पूजन के दौरान सुनाई देने लगे हैं। साथ ही रात्रि के समय में बिंदोरी निकाली जा रही है जिसमें गुडलयों घूम लो जी घूमेल्यो सहित अन्य गीत गाए जा रहे हैं।